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मंगलवार, 29 अगस्त 2023

राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वान समारोह- संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध - संस्कृत शिक्षा मंत्री -संस्कृत भाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों तथा संस्थाओं का हुआ सम्मान

 

राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वान समारोह- संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध - संस्कृत शिक्षा मंत्री -संस्कृत भाषा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले विद्वानों तथा संस्थाओं का हुआ सम्मान

जयपुर, 29 अगस्त। संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ बी.डी. कल्ला ने कहा कि राज्य सरकार संस्कृत भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्व है। राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं तथा कार्यक्रमों के माध्यम से संस्कृत भाषा के प्रसार के लिए धरातल पर तेजी से कार्य किए जा रहे हैं।


डॉ. कल्ला मंगलवार को बिड़ला ऑडिटोरियम में आयोजित राज्य स्तरीय संस्कृत विद्वान समारोह को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में संस्कृत भाषा को देववाणी मानते हुए कहा था कि इसके अध्ययन से मानव में देवतुल्य गुणों का विकास होता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं का मूल स्त्रोत है, इसलिए संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भी संस्कृत और संस्कृति को भारत की पहचान बताया था।


 डॉ. कल्ला ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने संस्कृत भाषा के संवर्द्धन के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए है जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान राज्य सरकार ने इस वर्ष में 20 नवीन संस्कृत महाविद्यालय खोले है जिससे युवाओं को संस्कृत भाषा में उच्च शिक्षा ग्रहण करने और रोजगार प्राप्त करने के अवसर मिल रहे हैं। राज्य में 2 लाख से अधिक विद्यार्थी संस्कृत भाषा में अध्ययनरत है। साथ ही, विभाग ने 30 नवीन प्राथमिक संस्कृत विद्यालय खोले हैं। उन्होंने कहा कि बजट वर्ष 2023- 24 में प्रदेश के प्रत्येक संस्कृत महाविद्यालय में योग एवं ध्यान केन्द्र खोलने के लिए 465 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है।


इस अवसर पर विधायक श्री राजकुमार शर्मा ने कहा था कि अधिक से अधिक युवा संस्कृत भाषा को सीखने में रूचि लें। संस्कृत भाषा के संवर्द्धन के लिए इसे आईटी से भी जोड़ा जाना चाहिए। राजस्थान संस्कृत अकादमी अध्यक्ष डॉ. सरोज कोचर ने कहा कि हम सभी को यह प्रयास करना चाहिए कि संस्कृत भाषा जन- जन की भाषा बनें। संस्कृत भाषा में परम्परा के सम्पूर्ण विषयों का समावेश है।


समारोह में त्रिवेणी धाम के श्री खोजी पीठाचार्य श्रीराम रिछपाल दासजी महाराज तथा जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. कल्ला ने विभाग द्वारा प्रकाशित श्रावणी- पत्रिका (नवीन शिक्षानीति विशेषांक) का विमोचन भी किया गया।


कार्यक्रम में संस्कृत साधना शिखर- सम्मान के लिए चयनित विद्वान पं श्री सांवर मल शर्मा को एक लाख रुपए पुरस्कार राशि और संस्कृत साधना सम्मान के लिए डॉ दीरघराम रामस्नेही एवं डॉ. गजानन मिश्र को 51-51 हजार रुपए की राशि के पुरस्कार दिए गए। संस्कृत- विद्वत्सम्मान के लिए डॉ. विश्वम्भर दयाल जोशी, डॉ शीतल चन्द जैन, प्रो. (श्रीमती) भगवती सुदेश, श्री कौशलदत्त शर्मा, पं. श्री गौरीशंकर शर्मा तथा डॉ. देवेन्द्र चतुर्वेदी को  31-31 हजार रुपए राशि पुरुस्कार स्वरुप प्रदान की गई। साथ ही, संस्कृत युवा प्रतिभा से 12 विद्वानों को 21-21 हजार रुपए तथा मंत्रालयिक सेवा सम्मान से 3 कार्मिकों को 11-11 हजार रुपए पुरुस्कार स्वरुप प्रदान किए गए। विशिष्ट सेवा सम्मान से 3 विद्वानों तथा भामाशाह प्रेरक सम्मान से एक व्यक्ति को पुरुस्कृत किया गया।


 समारोह में राज्य में स्थित संस्कृत भाषा विश्वविद्यालयों, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की प्रवेशिका तथा वरिष्ठोपाध्याय की परीक्षाओं में सर्वश्रेष्ठ अंक लाने वाली छात्रा- छात्राओं का सम्मान भी किया गया। साथ ही, सर्वाधिक नामांकन एवं सर्वाधिक नवीन प्रवेश वाली प्रशस्तियोग्य संस्थाओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में संस्कृत भाषा के विभागीय अधिकारी तथा बड़ी संख्या में संस्कृत महाविद्यालयों से आए प्रधानाचार्य तथा छात्रा- छात्राएं मौजूद रहे।

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