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मंगलवार, 22 अगस्त 2023

प्रशिक्षण का इंतजार: समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सके भिखारी


 प्रशिक्षण का इंतजार: समाज की मुख्य धारा से नहीं जुड़ सके भिखारी

सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में भिक्षावृति में लिप्त लोगों को प्रशिक्षित कर हुनरमंद बनाकर समाज की मुख्यधारा से जोडऩे की योजना करीब तीन साल बाद भी जिले में धरातल पर नहीं उतर सकी है। दरअसल, 2020 के अंत में प्रदेश में भिक्षावृति में लिप्त लोगों को विभिन्न विधाओं में प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाना था। यह योजना प्रदेश के सभी जिलों में संचालित की जानी थी।


इस योजना के तहत जयपुर में एक निजी संस्था की ओर से पूर्व में कुछ भिखारियों को चिह्नित करके प्रशिक्षण भी दिया गया था। वहीं प्रदेश की राजधानी में आज भी इस प्रकार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जयपुर में पूर्व में 100 भिखारियों को योजना के तहत प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें से 64 को प्रशिक्षण के बाद निगम की ओर से रोजगार भी उपलब्ध कराया जा चुका है। लेकिन तीन साल बीतने के बाद भी जिले में इस प्रकार की योजना शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।


प्रदेश में इतने भिखारी

पूर्व में राज्य सभा में पेश की गई एक रिपोर्ट में देश भर में भिखारियों की संख्या का अनुमानित लेखा जोखा पेश किया गया था। रिपोर्ट के अनुसार देश में कुल 4,13,670 भिखारी है। इनमें 2,21,673 पुरुष और 1,91,997 महिलाएं शामिल हैं। भिखारियों की संख्या के मामले में पश्चिम बंगाल 81, 224 लोगों के साथ पहले नंबर पर है। जबकि उत्तर प्रदेश में 65,835 भिखारी, आंध्र प्रदेश में 30,218, बिहार में 29,्र723, मध्य प्रदेश में 28,695, राजस्थान में 25,853, दिल्ली में 2,187 भिखारी हैं जबकि चंडीगढ़ में केवल 121 भिखारी हैं।


प्रशिक्षण प्रदाताओं ने भी नहीं दिखाई रुचि

आरएसएलडीसी से मिली जानकारी के अनुसार योजना के तहत पूर्व में 2020 में निगम की ओर से निविदा के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं केे आवेदन पत्र आमंत्रित किए थे। इसमें इच्छुक संस्थाओं को वे जिस जिले में उनके द्वारा प्रशिक्षण देने की मंशा थी उसका भी उल्लेख किया जाना था, लेकिन जिले में किसी भी संस्था ने प्रशिक्षण में रुचि नहीं दिखाई। इसका एक कारण तो यह रहा कि जिले में भिखारियों का अब तक कोई सटीक आंकडा ही नहीं है और दूसरा यह कि भिखारियों को चिह्नित करने के बाद उन्हें लगातार तीन माह तक प्रशिक्षण देना भी कठिन माना जा रहा है।


इनका कहना है...

यह मेरे कार्यकाल से पूर्व की योजना है। जिले में अब तक भिखारियों के लिए प्रशिक्षण शुरू नहीं हो सका है। जिले में जल्द ही प्रशिक्षण शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। - सत्यनारायण सैन, जिला कौशल समनव्यक।


एक ओर तो सरकार की ओर से प्रदेश को भिक्षावृति से मुक्त करने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से प्रशिक्षण योजना का संचालन किया जा रहा है। योजना के तहत भिक्षावृति में लिप्त लोगों को चिह्नित करके उन्हें मोबाइल रिपेयरिंग, फास्ट फूड मेंकिग, जूट मेकिंग आदि कई प्रकार की अलग-अलग विधाओं में प्रशिक्षित किया जा रहा है। वहीं जिले में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के पास अब तक जिले में कुल कितने भिखारी हैं। इसका कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। जबकि पूर्व में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को इस संबंध में प्रदेश भर में सर्वे कराने के निर्देश जारी किए गए थे।


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