पढ़ाई संग कैब-स्कूल वैन चलाकर सपनों को उड़ान दे रहीं बेटियां
जयपुर. राजधानी में बेटियां दिन में कैब चला रही हैं और रात में पढ़ाई कर अपने सपनों को उड़ान दे रही है। कार चलाकर ये महीने में 50 से 60 हजार रुपए तक कमा कर अपनी व परिवार की जरूरतों को पूरा कर रही हैं। इनसे बातचीत में सामने आया कि इन्होंने स्वयं सेवी संस्थाओं से जुड़कर ड्राइविंग तो सीखी ही, साथ ही पढ़ाई करने का फिर से मौका भी मिला। ये महिलाएं कार, बाइक और हूपर चलाकर कुछ कर गुजरने की मिसाल कायम कर रही है।
23 वर्षीय सुमित्रा 3 वर्ष से स्कूल वैन, कैब और आउट ऑफ स्टेशन भी कार चलाती है। सुमित्रा अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती थी, ताकि वो आगे की पढ़ाई जारी रख सके। अभी वो ड्राइविंग और कॉलेज की पढ़ाई दोनों एक साथ कर रही है। साथ ही ऑनलाइन क्लासेज से सरकारी नौकरी की तैयारी भी कर रही है। सुमित्रा अपनी पढ़ाई का पूरा खर्चा स्वयं उठा रही है। सुमित्रा महीने का 50 हजार रुपए तक कमा रही है। इस सफर में उनके पापा बहुत सपोर्टिव रहे, वो कहते हैं कि बेटों से बढ़कर बेटियां हैं।
21 वर्षीय मोना डेढ़ वर्ष से एयरपोर्ट पर कार चला रही हैं। मोना महीने का 50 से 60 हजार रुपए तक कमा लेती हैं। वह जॉब और पढ़ाई दोनों एक साथ कर रही है। परीक्षा के समय में काम से छुट्टी ले लेती है। मोना आत्मनिर्भर बनना चाहती थी और उन्हें कार चलाने का शौक भी है तो उन्होंने इसे ही अपना कॅरियर बनाया। आज वो अपनी पढ़ाई का खर्चा और अपनी सभी जरूरत को पूरा करने के लिए किसी पर निर्भर नहीं है।
कैब चला रही, मार्केटिंग व होम डिलीवरी भी कर रही पूजा
31 वर्षीय पूजा तीन वर्ष से कैब स्कूटर चला रही हैं। इसके साथ ही मार्केटिंग और होम डिलेवरी का काम भी करती हैं। वर्ष 2015 में शादी के बाद पढ़ाई छूट गई। आठवीं तक ही पढ़ाई कर पाई थी। पति की कमाई कम थी तो एक संस्थान से जुड़ी, जो महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ड्राइविंग सिखाती है। लेकिन अब परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी पूरी करने के साथ ही पढ़ाई भी वापस शुरू की है। हाल ही में उन्होंने दसवी की परीक्षा दी है।
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