बेरोजगारों को भर्ती परीक्षाओं के कैलेंडर का इंतजार, आचार संहिता लगने का सता रहा डर
उदयपुर. राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से अब तक भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर जारी नहीं किया गया है। इसे लेकर बेरोजगार युवा रोष में हैं। वहीं, उनकी परेशानी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फेक कैलेंडर ने और बढ़ा दी है। हालांकि बोर्ड ने साफ कह दिया है कि ये कैलेंडर फेक है। जल्द बोर्ड की ओर से कैलेंडर जारी किया जाएगा। वहीं, बोर्ड ने आधिकारिक वेबसाइट से ही सूचना लेने की अपील की है। लेकिन, बेरोजगारों को डर है कि अगर जल्द ही कैलेंडर जारी नहीं किया गया तो आचार संहिता लगने के कारण भर्ती परीक्षाएं अटक ना जाएं।
सोशल मीडिया पर चला -आरएसएसबी परीक्षा कैलेेंडर जारी करो : फर्जी कैलेंडर से परेशान राजस्थान के युवाओं ने कर्मचारी चयन बोर्ड के खिलाफ सोशल मीडिया पर अभियान शुरू कर दिया है। इस पर हैशटेग आरएसएसबी परीक्षा कैलेेंडर जारी करो की मांग की जा रही है। प्रकाश मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री जल्द ही बोर्ड चेयरमैन को कैलेंडर जारी करने के लिए निर्देशित करें ताकि बेरोजगार युवाओं को राहत मिल सके और असमंजस की स्थिति से बाहर आ सकें
युवाओं का कहना...
दो बार भर्ती परीक्षाओं का फेक कैलेंडर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। कई युवा इसे देखकर बिना सोचे ही फॉरवर्ड कर देते हैं, जिससे भ्रम पैदा हो जाता है। अब कर्मचारी चयन बोर्ड को जल्द से जल्द कैलेंडर जारी करना चाहिए ताकि स्थिति स्पष्ट हो।
पलक जोशी
बेरोजगार युवाओं में भर्ती परीक्षाओं को लेकर अभी केवल असमंजस बना हुआ है। कैलेंडर जारी होने से परीक्षार्थी उस हिसाब से तैयारी कर सकते हैं। वहीं, समय भी अब कम ही है। अक्टूबर, नवंबर में कई सारी परीक्षाएं होने की संभावना है। ऐसे में जितना जल्दी कैलेंडर जारी हो अच्छा रहेगा।
दीपक व्यास
चुनाव आचार संहिता अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में या उसके बाद ही लगेगी। इसलिए इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर सही समय पर जारी करना और सख्ती से उसका पालन कराना आरपीएससी, अधीनस्थ बोर्ड के लिए साख को कायम करने और बढ़ाने की दिशा में बेहतर कदम सिद्ध होगा। इससे बेरोजगार युवाओं की तैयारी को सही दिशा मिलेगी। परीक्षा की तैयारी कर रहे युवाओं का तनाव कम होगा। पेपर लीक होना, समय पर परीक्षा आयोजित नहीं होना आदि गड़बड़ियों के चलते युवाओं में वैसे ही आक्रोश है। भर्ती परीक्षाओं के लिए जल्द ही कैलेंडर जारी करना एवं प्रश्न को अटेंप्ट नहीं करने का विकल्प शामिल करने जैसे कदम आयोग की विश्वसनीयता को बढ़ाएंगे।
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