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बुधवार, 9 अगस्त 2023

'मेरी माटी मेरा देश' गीत यह गीत अध्यापक छात्राओं से विद्यालय में गायन कराएं


 'मेरी माटी मेरा देश' गीत  यह गीत अध्यापक छात्राओं से विद्यालय में गायन कराएं

'मेरी माटी मेरा देश' गीत भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लिखा गया था. यह गीत भारत के लोगों के प्यार और देशभक्ति का प्रतीक है. गीत में भारत के लोगों को देश के लिए लड़ने और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया गया है. गीत में भारत की वीरता और साहस का भी बखान किया गया है. गीत के बोल हैं:



गीत -1


"मेरी माटी मेरा देश है,

यह मेरा घर है.

यह मेरी माँ है,

यह मेरा पिता है.


मैं इसकी मिट्टी से बना हूं,

इसके पानी से पला हूं.

इसकी हवा में सांस लेता हूं,

इसके सूरज की रोशनी में चमकता हूं.


मैं इसकी धरती से प्यार करता हूं,

इसके लोगों से प्यार करता हूं.

मैं इसकी रक्षा करूंगा,

इसकी स्वतंत्रता के लिए लड़ूंगा.


मेरा देश मेरा गौरव है,

मेरा सम्मान है.

मैं इसके लिए जीने और मरने के लिए तैयार हूं."


यह गीत भारत के लोगों के लिए एक प्रेरणा है. यह गीत उन्हें देश के लिए प्यार और देशभक्ति का भाव पैदा करता है. यह गीत उन्हें देश के लिए लड़ने और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है.




गीत -2



उगते इसमें पेड़ अनेक

जीवन लेता पूरा देश

मेरी माटी मेरा देश।


चंदा मामा देखे देश

रूप में उसके खोता देश ।

वीर शहीदों वाला देश ।

मेरी माटी मेरा देश।।


खड़ा हिमालय दे संदेश

दुश्मन न आए मेरे देश

आजादी से घूमें देश

मेरी माटी मेरा देश।।





नदियां कल कल दे संदेश

हरा भरा मेरे देश।

खेती करता आधा देश

मेरी माटी मेरा देश।।


दोमट चिकनी काली बालू

अन्न खिलाती पूरा देश

आबादी में अब्बल देश

मेरी माटी मेरा देश।


चार दिशाओं वाला देश

मीठी वाणी वाला देश

उन्नति करता मेरा देश

मेरी माटी मेरा देश।।


विश्व गुरु कहलाने वाला

दुनिया में है मेरा देश

चांद से टाटा करने वाला

हो गया है मेरा देश।

मेरी माटी मेरा देश।।


युद्ध क्षेत्र में दुश्मन को

धूल चटाने वाला देश

शहीदों की बलदानी का

बदला लेने वाला देश ।

मेरी माटी मेरा देश।।


चांद के दक्षिणी ध्रुव देखो

पहले जाने वाला देश

जमी बर्फ व वायुमंडल

पता लगाने वाला देश ।

मेरी माटी मेरा देश।।


सुबह उठे और करें प्रणाम

ऐसी माटी वाला देश

हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई

एक एकता वाला देश ।

मेरी माटी मेरा देश।।

-आदर्श कुमार" वर्मा "

 

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गीत -3

चन्दन है इस देश की माटी,

तपोभूमि हर ग्राम है।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा-बच्चा राम है॥


हर शरीर मन्दिर सा पावन,

हर मानव उपकारी है।

जहाँ सिंह बन गये खिलौने,

गाय जहाँ माँ प्यारी है।

जहाँ सवेरा शंख बजाता,

लोरी गाती शाम है।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा-बच्चा राम है॥


जहाँ कर्म से भाग्य बदलते,

श्रम निष्ठा कल्याणी है।

त्याग और तप की गाथाएँ,

गाती कवि की वाणी है॥

ज्ञान जहाँ का गंगा जल सा,

निर्मल है अविराम है।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा-बच्चा राम है॥


इसके सैनिक समर भूमि में,

गाया करते गीता हैं।

जहाँ खेत में हल के नीचे,

खेला करती सीता हैं।

जीवन का आदर्श यहाँ पर,

परमेश्वर का धाम है।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा-बच्चा राम है ॥


चन्दन है इस देश की माटी,

तपोभूमि हर ग्राम है।

हर बाला देवी की प्रतिमा,

बच्चा-बच्चा राम है ॥


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