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बुधवार, 23 अगस्त 2023

राजस्थानियों का हक छीन रहे बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी ... घर बैठे दिल्ली, यूपी व एमपी से डिग्री लेने वालों की भर्तियों में 'घुसपैठ', यहां के युवा निराश



 राजस्थानियों का हक छीन रहे बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी ... घर बैठे दिल्ली, यूपी व एमपी से डिग्री लेने वालों की भर्तियों में 'घुसपैठ', यहां के युवा निराश


सुरेन्द्र स्वामी

असिस्टेंट रेडियोग्राफर भर्ती के दस्तावेज सत्यापन सूची का मामला - संगठनों ने कहा- राज्यों के मूल नागरिकों को प्राथमिकता दी जाए

सरकार की लापरवाही से सीफू की ओर से की जा रही असिस्टेंट रेडियोग्राफरों की भर्ती में राज्य के युवाओं का हक मारा जा रहा है। राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान की ओर से असिस्टेंट रेडियोग्राफर की दस्तावेज सत्यापन सूची में डेढ़ गुना अभ्यर्थियों में दिल्ली, मध्यप्रदेश और यूपी के अभ्यर्थियों की संख्या ज्यादा होने पर राज्य के युवा न केवल निराश बल्कि डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।


राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों की घुसपैठ रोकने के लिए पॉलिसी बनानी चाहिए और बारीकी से जांच करके फर्जी लोगों को बाहर किया जाना चाहिए। गाैरतलब है कि बाहरी राज्यों से फर्जी डिग्री के चक्कर में कर्मचारी चयन बोर्ड -2020 की ओर से की गई भर्ती में करीबन 100 असिस्टेंट रेडियोग्राफर व 125 लैब टेक्नीशियन का मामला लंबित चल रहा है।


ऐसे बढ़ रहा है ग्राफ

वर्ष-2013 में राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल में सहायक रेडियोग्राफर के लिए पंजीकरण कराने वालों की संख्या 9 व लैब टेक्नीशियन की संख्या 53 थी, लेकिन वर्ष 2020 की भर्ती निकलने के बाद एक माह में रेडियोग्राफर की संख्या 9 से बढ़कर 154 व लैब टेक्नीशियन की संख्या 53 से बढ़कर 350 तक पहुंची।


हमारा काम नियमानुसार अभ्यर्थियाें का पंजीकरण करने का है। भर्ती का काम विभाग का है। -कैलाश नारायण मीना, रजिस्ट्रार, राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल सरकार को राज्य के योग्य अभ्यर्थियों का किसी भी भर्ती में न केवल प्राथमिकता बल्कि कोटा भी निर्धारित करना चाहिए, जिससे मूल नागरिकों को सरकारी नौकरी का अवसर मिलेगा। युवाओं की पीड़ा को देखते हुए इस पहल पर सरकार को काम करना चाहिए। अन्यथा आने वाले दिनों में बाहरी राज्यों के अभ्यर्थी की फौज खड़ी हो जाएगी।


एलाइड एंड हैल्थ केयर प्रोफेशन एक्ट ( इंडियन पैरामेडिकल काउंसिल) का पूरी तरह से गठन होकर अस्तित्व में आने तक राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल को बाहरी राज्यों के पंजीकरण पर रोक लगनी चाहिए। प्रदेश के युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिससे युवाओं को अवसर मिल सके घर बैठे डिग्री लाने वालों से प्रदेश की आठ करोड़ की जनता की सेहत पर सीधी-सीधा असर पड़ेगा। गंभीर मामले को देखते हुए सरकार को जल्द अहम फैसला लेना चाहिए।-डॉ.अर्जुन सिंह शेखावत, अचलाराम चौधरी और जितेन्द्र सिंह


काउंसिल में पंजीकरण प्रक्रिया ही सवालों में है

राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से बाहरी राज्यों के पंजीकरण करने का खामियाजा राज्य के युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। अभी तक हर साल जारी होने वाली दिसंबर-2022 तक की अवधि के पंजीकरण कराने वालों की सूची वेबसाइट पर अपलोड नहीं की है। यहां तक की 17 साल से कम उम्र वालों का भी पंजीकरण करने का मामला सामने आया है। ऐसे में काउंसिल में पंजीकरण प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।

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