नगर परिषद और पालिका तक बच्चों की मिठाई से काटने लगे कन्नी,अधिकांश नगर परिषद/पालिका ने मुख्य समारोह के अतिरिक्त स्कूली बच्चों की मिठाई की बंद
नागौर.. आजादी हो या गणतंत्र दिवस समारोह, जिले में अधिकांश नगर परिषद/नगर पालिका ने स्कूली बच्चों की मिठाई के इंतजाम से हाथ झाड़ लिया है। मुख्यालय में स्टेडियम पर आयोजित समारोह में शामिल बच्चों को जरूर परिषद की ओर से लड्डू बांटे जाते हैं। यही हाल लगभग पूरे जिले का है, पचास फीसदी से अधिक नगर पालिका ने क्षेत्र के स्कूली बच्चों को मिठाई देना लगभग बंद कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार करीब साढ़े तीन साल से यही हो रहा है। स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारियां स्कूलों में जोर-शोर से की जा रही है पर संस्था प्रधान इस उत्सव को कहीं से फीका नहीं रहने देना चाहते। शिक्षा विभाग की ओर से कभी इस दिन के लिए बजट कभी मिला ही नहीं। कुछ समय पहले तक नगर पालिका/परिषद अथवा अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं के माध्यम से स्कूलों की बच्चों की संख्या मंगवाते, फिर मिठाई का इंतजाम कर देते थे। अब धीरे-धीरे ये भी इससे बचने लगे हैं। नागौर नगर परिषद ही अब स्टेडियम में हो रहे समारोह में शामिल बच्चों के मिठाई का इंतजाम करती है, शेष स्कूलों के बच्चों से खुद को दूर कर लिया है। जिले की अन्य नगर पालिका-परिषद भी कमोबेश इसी राह पर चल पड़े हैं। गिनी-चुनी नगर पालिका/परिषद को छोड़ दें तो अधिकांश ने बच्चों को मिठाई देने से कन्नी काट ली है।
जिले में तीन नगर परिषद तो ग्यारह नगर पालिका हैं। इनमें से आधे भी इस आयोजन में अपना सहयोग नहीं करते। सूत्र बताते हैं कि जिले के सरकारी स्कूलों को साल में एक बार बजट मिलता है वो भी वार्षिक उत्सव के लिए। स्वतंत्रता अथवा गणतंत्र दिवस के लिए अब ये सभी स्कूल भामाशाह/जनप्रतिनिधियों पर निर्भर हैं। ग्राम पंचायत/पंचायत समिति स्तर पर थोड़ा बहुत कुछ भले ही हो रहा हो पर अधिकतर स्कूलों में इस दिन के लिए खास अतिथि तलाशें जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस को महज सात दिन बचे हैं, ऐसे में बच्चे भले ही सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ पीटी-परेड की तैयारी कर रहे हों पर संस्था प्रधान आयोजन पर होने वाले खर्च का इंतजाम करने में जुटे हैं।
>इनका कहना
नागौर स्टेडियम में आयोजित समारोह में शामिल सभी बच्चों को नागौर नगर परिषद की ओर से मिठाई दी जाती है। अब अन्य स्कूलों के बच्चों का तो वहां के प्रिंसिपल ही बता सकते हैं। कौन-कौन सी परिषद/पालिका मिठाई नहीं देती, इसकी जानकारी मुझे नहीं है।-रामनिवास जांगिड़, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) नागौर
इस संबंध में जिले के कुछ संस्था प्रधानों से बात हुई। पहले तो वे इस पर कुछ कहने से ही बचते रहे फिर नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि सरकार इन राष्ट्रीय उत्सव पर धेला खर्च नहीं करती। अब तो अधिकांश नगर परिषद/पालिका ने भी स्कूली बच्चों को मिठाई देने वाले खर्च को बंद कर दिया है। गांव में सरपंच स्तर पर जुगाड़ हो जाता है तो शहरी इलाकों में जनप्रतिनिधि ही नहीं भामाशाह ज्यादा तलाशे जाते हैं। बच्चों की मिठाई समेत अन्य पर करीब बीस हजार रुपए खर्च आता है।
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