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बुधवार, 30 अगस्त 2023

गैर शैक्षणिक कार्यों में जुटे गुरुजी, नए सत्र में पढ़ाई प्रभावित



 गैर शैक्षणिक कार्यों में जुटे गुरुजी, नए सत्र में पढ़ाई प्रभावित

श्रीगंगानगर. कभी कोई सर्वे तो कभी कोई शिविर। किसी दिन खेल आयोजन का जिम्मा तो किसी दिन प्रशिक्षण। इनसे समय मिला तो शिक्षक स्कूल और विद्यार्थियों से जुड़ी योजनाओं के कार्य निपटाने में व्यस्त रहे। अब जो वक्त बचता है उसमें ही विद्यार्थियों की पढ़ाई करवानी पड़ती है। यह स्थिति है सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की। रही-सही कसर ग्रामीण एवं शहरी ओलम्पिक ने पूरी कर दी है। पहले शिक्षा सत्र की शुरुआत के दो ढाई महीनों में विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिताओं से जुड़ा कामकाज ही होता था। इस बार तो शिक्षक कई सप्ताह से ओलम्पिक खेल आयोजन में व्यस्त हैं। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।शिक्षक संगठनों के अनुसार तीन दर्जन गतिविधियों एवं कार्यों की जिम्मेदारी शिक्षकों पर हैं। इनमें से करीब आधी तो ऐसी हैं जिनका अध्यापन कार्य व विद्यार्थियों से सीधा कोई संबंध नहीं है।


इन कार्यों से पढ़ाई कोसों दूर

दो माह में शिक्षकों ने अध्यापन से इतर 36 से भी ज्यादा ऐसे कार्य किए हैं, जिनका पढ़ाई से ज्यादा कोई वास्ता नहीं। इनमें से कई कार्य तो अब भी किए जा रहे हैं। शिक्षकों ने हाउस होल्ड सर्वे, महंगाई राहत शिविर, प्रशासन गांवों के संग शिविर, युवा महोत्सव, प्रधानाचार्य ट्रेनिंग, गुड टच बेड टच ट्रेनिंग, आइपीआर अचल सम्पत्ति, स्वीप कार्यक्रम आदि कार्य संपादित किए हैं।


शिक्षकों ने बताया कि कई ऐसे कार्य हैं जो शिक्षकों के नियमित रूप से एवं निरंतर जिम्मे हैं। हालांकि यह कार्य व गतिविधियां शिक्षा से ही जुड़ी हुई हैं। इनमें आइसीटी लैब, ब्रॉड बैंड कनेक्शन, नवोदय फॉर्म, इंस्पायर अवार्ड, नो बैग डे, अब्दुल कलाम व्यक्तित्व विकास योजना, नि:शुल्क पुस्तक वितरण, उड़ान सैनेटरी नेपकिन योजना, डिजिटल प्रवेशोत्सव, विधानसभा प्रश्न, शाला सिद्धि,उपचारात्मक शिक्षण, छात्रवृत्ति, पालनहार योजना, आपकी बेटी योजना, राजश्री, यशस्वी योजना,टेबलेट वितरण योजना, ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना, डायल फ्यूचर योजना, बोर्ड आवेदन फॉर्म, शाला दर्पण पर विद्यार्थी उपस्थिति व स्टाफ उपस्थिति आदि कार्य शामिल हैं।


गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति मिले

शिक्षकों का मूल कार्य अध्यापन है। लेकिन वर्तमान में शिक्षकों के जिम्मे इतने गैर शैक्षणिक कार्य दिए जा रहे हैं कि पढ़ाने के लिए फुर्सत ही नहीं मिल रही है। लगातार गैर शैक्षणिक कार्यों में व्यस्त रहने के कारण शिक्षक अपने मूल कार्य से भटकते जा रहे हैं। इससे पढ़ाई बाधित होती है जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। वे गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त करने की मांग अरसे से कर रहे हैं परन्तु सुनवाई नहीं हो रही।-बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा


अतिरिक्त काम इतने कि मूल भी भूल रहे शिक्षक

पिछले कुछ समय से शिक्षकों पर निरंतर गैर शैक्षणिक कार्यों का दायित्व डाला जा रहा है। स्थिति यह है कि शिक्षा विभाग में पढ़ाई के अलावा अन्य कार्यों की ऐसी भरमार है कि शिक्षक अपने मूल कार्य चाह कर भी नहीं कर पा रहे। विद्यालयों में अध्यापन कार्य गौण होता जा रहा है। यह स्थिति अध्यापन और शिक्षा के लिए चिंताजनक है।—चेतन प्रकाश सैनी, उपाध्यक्ष, राजस्थान विशेष शिक्षक संघ, श्रीगंगानगर


शिक्षकों को पढ़ाई के लिए टाइम ही नहीं

जब से नया शिक्षा सत्र शुरू हुआ है, तबसे शिक्षक खेलों में व्यस्त हैं। स्कूली खेलकूद प्रतियोगिताओं के आयोजन में वैसे भी कई सप्ताह तक शिक्षक व्यस्त रहते हैं। अब ग्रामीण व शहरी ओलम्पिक खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन का भार भी शिक्षकों के कंधों पर है। ऐसे में अब तक नया शिक्षा सत्र प्रवेशोत्सव, खेल आयोजन आदि में ही बीता ह—राधेश्याम यादव, प्रदेश कोषाध्यक्ष,राजस्थान शिक्षक संघ-शेखावत।

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