नए कॉलेजों में स्टाफ नहीं, कैसे लगेंगी कक्षाएं
सीकर. राज्य सरकार की ओर से प्रदेशभर में खोले नए सरकारी कॉलेज विद्यार्थियों को पूरी राहत नहीं दे पा रहे है। इनमें संसाधनों की कमी की वजह से विद्यार्थियों का दर्द कम नहीं हुआ है। सरकार ने पिछले चार साल में करीब 300 नए कॉलेज खोले हैं, लेकिन यह कॉलेज सोसायटी के तहत खोले गए हैं। सोसायटी के तहत खोले गए इन कॉलेजों में नियमित स्टाफ तक नहीं हैं, शुरू में पांच-पांच विषय आवंटित किए गए हैं लेकिन पहले से ही सरकारी लेक्चरर की कमी है और सरकार उक्त कार्मिकों में से दो-से तीन लेक्चरर नियुक्त कर इन कॉलेजों को संचालित कर रही है।
नए खोले गए इन कॉलेजों में विषय के असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर नियुक्त नहीं हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स सेल्फ स्टडी पर ही डिपेंड हैं। सेवानिवृत्त होते शैक्षणिक व अशैक्षणिक कार्मिकों के कारण पहले से चले आ रहे कॉलेजों में भी स्टाफ की भारी कमी है। यहां तक कि लाइबेरियन, चतुर्थ श्रेणी कार्मिक, बागवान तो गिने-चुने कॉलेजों में ही शेष रह गए हैं। ऐसे में नए कॉलेजों स्टाफ की कमी ने शैक्षणिक स्तर पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।
जमीन आवंटित हुई, अस्थायी भवनों में चल रहे कॉलेज
सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर में दो कॉलेज, लोसल, दांतारामगढ़, नेछवा, श्रीमाधोपुर, अजीतगढ़, पाटन आदि स्थानों पर कॉलेज खोले गए हैं। ज्यादातर कॉलेज अभी तक स्कूलों में या अन्य अस्थायी भवनों में संचालित किए जा रहे हैं। कुछ कॉलेजों के लिए सरकार ने जमीन आवंटित कर दी है, यहां निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है लेकिन आगामी दो डेढ़ तक किसी भी कॉलेज को नया भवन मिलने की संभावना बहुत कम है।
भवन तैयार अभी तक शिफ्ट नहीं हुआ
फतेहपुर में खोले गए कॉलेज के लिए भामाशाह गिरधारीलाल मोदी ने जमीन दान देने के साथ ही दो माह पहले भी भवन बनाकर तैयार कर दिया है लेकिन आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा, जयपुर के अधिकारियों की लापरवाही के चलते अभी तक कॉलेज नए भवन में शिफ्ट नहीं हो पाया है। अधिकारी अभी तक जमीन का एकल पट्टा व कॉलेज का नाम ही नहीं बदल सके हैं।
स्टाफ व कक्षाकक्षों का अभाव
राज्य सरकार ने चार साल पहले जिन-जिन तहसीलों में कॉलेज खोले थे, उनमें पिछल तीन साल में बीए फाइनल तक के 700 से अधिक स्टूडेंट्स हो गए हैं, ऐसे में अब कक्षाकक्ष भी कम पड़ने लग गए हैं। कक्षाकक्ष व फर्नीचर का अभाव करीब-करीब सभी कॉलेजों में है। कुछ जगह भामाशाहों ने बच्चों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्या में लेक्चरर भी नहीं है जिससे छात्र-छात्राएं कॉलेज में आकर वापस लौट रहे हैं।
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