तबादलों का तिलिस्म: टीएसपी से नॉन टीएसपी स्थानांतरण ‘कोहनी पर गुड़’
डूंगरपुर. प्रदेश में पांच विधानसभा चुनाव से जनजाति उपयोजना क्षेत्र से गैर जनजाति उपयोजना क्षेत्र में तबादलों का मुद्दा प्रमुख मुद्दा बन रहा है। कई बार राजनीति पार्टियों के घोषणा पत्र में भी यह मसला प्रमुख रुप से शामिल किया। लेकिन, सरकार बनने के साथ ही पार्टियों ने प्रावधानों के झोल में इस मुद्दे को भी लटका दिया। इसके चलते हालात ये है कि करीब 24 वर्षों के लम्बे अर्से बाद भी टीएसपी में कार्यरत नॉन टीएसपी के शिक्षकों के तबादले उनके गृह जिलों में नहीं हो पाए हैं। हाल में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने टीएसपी से नॉन टीएसपी में समायोजन के आदेश निकाले हैं। लेकिन, यह भी कोहनी पर गुड़ लगाने जैसे ही है। इसमें काफी विसंगतियां सामने आ रही है। इससे समायोजन की सूची में शामिल शिक्षक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
संभाग के ही जिलों में समायोजन
माध्यमिक एवं प्रारम्भिक शिक्षा निदेशक ने हाल ही में टीएसपी से नॉन टीएसपी में कार्यरत शिक्षकों के समायोजन के आदेश निकाले है। यह आदेश पूर्व में दिए विकल्प अनुसार है। लेकिन, इसमें पेंच यह सामने आ रहा है कि शिक्षकों को संबंधित पदस्थापन क्षेत्र के संभाग के ही नॉन टीएसपी क्षेत्र के जिलों का आवंटन किया है। समायोजन का यह आदेश भी वर्तमान पदस्थापन स्थान पर शिक्षक भर्ती से नए शिक्षक के आने पर ही प्रभावी होगा। ऐसे में टीएसपी से नॉन टीएसपी में जाने के इच्छुक शिक्षक अब सरकार के दोहरे आदेश से असमंजस में फंस गए हैं।
1999 से घुसी है फांस
प्रदेश के दस जिलों डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जालोर, सिरोही, जैसलमेर, बाड़मेर, बांरा, झालावाड़ और बीकानेर को वर्ष 1999 से सरकार ने डार्क जोन घोषित कर रखा था। ऐसे में यहां के शिक्षकों के स्थानांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा था। बाद में 2014 में राजस्थान विनिर्दिष्ट क्षेत्र सेवा अधिनियम लागू होते ही डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ सम्पूर्ण जिला और उदयपुर, राजसमंद, पाली और चित्तौडग़ढ़ का आंशिक भाग को टीएसपी क्षेत्र घोषित कर दिया। ऐसे में अब यहां पदस्थापन केवल टीएसपी जिलों के निवासियों के लिए ही हो गया। लेकिन, 2014 के पूर्व से कार्यरत नोन टीएसपी के शिक्षक एवं अन्य कार्मिकों के लिए यहां से तबादला करवाना टेढ़ी खीर साबित हो गया। समय-समय पर कार्मिक विभाग ने टीएसपी क्षेत्र के लिए जारी किए गए विभिन्न परिपत्रों के अनुसार टीएसपी क्षेत्र से शेष राजस्थान में जाने का विकल्प पत्र भरवाएं। लेकिन, यह हमेशा फाइलों में ही दबे रहे।
शिक्षा विभाग के जानकारों का कहना है कि टीएसपी क्षेत्र से सामान्य जिलों के शिक्षकों का एक बार स्थानांतरण कर दिया जाए, तो केवल एक बार की ही प्रक्रिया होगी। इसके बाद टीएसपी से सामान्य जिलों में स्थानांतरण कभी भी नहीं करने पड़ेंगे। क्योंकि, 2014 के बाद यहां राज्यपाल की अधिसूचना के तहत ही भर्तियां हो रही है और इस क्षेत्र में यहां के मूल निवासियों का ही पदस्थापन हुआ है।
1908 का समायोजन
निदेशक की ओर से जारी आदेशों में बांसवाड़ा के 202, चितौडग़ढ़ के 12, डूंगरपुर के 108, उदयपुर के 760, प्रतापगढ़ के 424, राजसमंद के 47, सिरोही के 218 एवं पाली जिले के 132 शिक्षकों को संभाग के ही नॉन टीएसपी जिलों में समायोजन के आदेश निकाले हैं। जबकि, वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक है। कई शिक्षकों के नाम ही इन सूचियों में नहीं जुड़ पाए हैं। प्रारम्भिक सेटअप के वरिष्ठ अध्यापक एवं शारीरिक शिक्षकों अब भी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
यहां के युवाओं को मौका
कार्मिक विभाग एवं शासन सचिवालय की ओर से राजस्थान विनिर्दिष्ट क्षेत्र सेवा अधिनियम के तहत सामान्य जिलों के कार्मिकों के स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगाया था। पर, इसमें स्पष्ट लिखा था कि यदि उनके स्थान पर कार्मिक आ जाते हैं, तो उनका स्थानांतरण किया जा सकेगा। टीएसपी क्षेत्र में 2014 बाद तृतीय श्रेणी शिक्षकों की कई भर्तियां हुई है। वरिष्ठ अध्यापकों की भी पृथक-पृथक भर्तियां हुई है। ऐसे में टीएसपी क्षेत्र से सामान्य जिलो में जाने के इच्छुक शिक्षकों के उनके गृह जिले में स्थानांतरण होना चाहिए। अभी सरकार ने समायोजन संभाग के जिलों में किया है। यह न्यायोचित्त नहीं है। यहां से तबादले होंगे, तो स्थानीय युवाओं को अवसर मिलेगा।-महेन्द्रकुमार शर्मा, प्रदेशाध्यक्ष, नॉन टीएसपी शिक्षक संघर्ष समिति
इन्होंने कहा...
यह बहुत ही पेचिंदा मामला है। फिलहाल तबादलों को लेकर गली निकाली है। जल्द ही सरकार से बात कर इस समाधान करवाएंगे।- वल्लभराम पाटीदार, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस
प्रदेश सरकार अपनों की ही लड़ाई से उभर नहीं पा रही है। क्षेत्रीय समस्याओं पर ध्यान जाना दूर की बात है। नॉन टीएसपी के कार्मिकों को गृह जिले में जल्द स्थानांतरण करें। -- प्रभु पण्ड्या, जिलाध्यक्ष, भाजपा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें