।
शिक्षा लेने आए बच्चों को पढ़ाया जा रहा था मजदूरी का पाठ, जानें क्या है पूरा मामला
दौसा की बसवा स्कूल का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चे मजदूरी करते नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो की पुष्टि सीबीईओ अशोक शर्मा ने की और मामले की जांच करवाकर उचित कार्रवाई की बात कही है। हाल ही में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व मनाया गया। उसके दूसरे दिन 16 अगस्त बुधवार को स्कूल खुला, तो जो नन्हे-मुन्ने अपने हाथों से एक दिन पहले तिरंगे को सलामी देते नजर आए थे, देश के अमृतकाल में दाखिल होने के साथ दूध पाउडर से भरे कार्टून अपने सिर पर रखकर स्कूली बच्चों की दूध योजना बोझ रखकर ढोते दिखे।
दौसा की बसवा स्कूल का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें नन्हे-मुन्ने स्कूली बच्चे मजदूरी करते नजर आ रहे हैं। वायरल वीडियो की पुष्टि सीबीईओ अशोक शर्मा ने की और मामले की जांच करवाकर उचित कार्रवाई की बात कही है। हाल ही में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व मनाया गया। उसके दूसरे दिन 16 अगस्त बुधवार को स्कूल खुला, तो जो नन्हे-मुन्ने अपने हाथों से एक दिन पहले तिरंगे को सलामी देते नजर आए थे, देश के अमृतकाल में दाखिल होने के साथ दूध पाउडर से भरे कार्टून अपने सिर पर रखकर स्कूली बच्चों की दूध योजना बोझ रखकर ढोते दिखे।
स्कूल मैनेजमेंट की कार्यशैली को लेकर सवाल
मामला बांदीकुई विधानसभा क्षेत्र के उपखंड बसवा क्षेत्र के उच्च माध्यमिक विद्यालय बसवा का है, जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें बसवा के उच्च माध्यमिक विद्यालय के मुख्य गेट से ई-रिक्शा में सरकार की दुग्ध योजना के कार्टून ढोते बच्चे नजर आ रहे हैं। इसने सरकारी स्कूल बसवा प्रशासन प्रबंधन की भी पोल खोलकर रख दी है। पढ़ाई की जगह बच्चों से मुफ्त की मजदूरी करवाई जा रही है। यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम का भी खुलेआम उल्लंघन है, जिसके तहत 14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी नहीं कराई जा सकती है।
बताया जा रहा किसी राहगीर ने यह वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शिक्षा विभाग पर अलग-अलग तरीके से लोग टिप्पणियां कर रहे हैं। बसवा कस्बे में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में बच्चों को पढ़ाई के अलावा विद्यालय के भी कार्य करने पड़ रहे हैं। जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह करीब 11 बजे विद्यालय में दूध योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले दूध पाउडर का एक ई- रिक्शा भरकर आया था। स्कूल के गेट पर चढ़ाई होने के कारण गाड़ी अंदर चढ़ नहीं पाई। तो पहले बच्चों को उसे धक्का लगाना पड़ा और फिर भी वाहन अंदर नहीं चढ़ा, तो दूध के कार्टूनों को बच्चों को सिर पर रखकर विद्यालय में ले जाना पड़ा।
छोटे-छोटे बच्चों को ई-रिक्शा से दूध पाउडर कार्टून उतारते हुए और सिर पर रखकर ले जाते हुए देखा गया। लेकिन लापरवाह विद्यालय प्रशासन और प्रबंधन इस पूरे मामले में जान बूझकर बेखबर बना रहा। शिक्षा के मंदिर में बाल मजदूरी जैसा काम बालकों से कराने मामले में अब शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर कई तरह के सवालिया निशान खड़े हो गए हैं?
स्कूल में बच्चों से मजदूरी कराने का वीडियो वायरल होने के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य राजेन्द्र बैरवा ने मोबाइल पर बताया कि वीडियो के मामले में जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हुआ है, तो बहुत ग़लत है। मेरी राज्य के ओलम्पिक खेलों में ड्यूटी थी। सरकारी दुग्ध योजना के कार्टून ठेकेदार द्वारा भेजे गए थे। स्कूल में स्टाफ की कमी का बहाना बनाते हुए ई रिक्शा चढ़ाई होने के कारण रिक्शा आगे चल नहीं पाने का बहाना बताया गया। लेकिन बड़ा सवाल अब भी वही है कि स्कूल में बच्चे पढ़ाई करने आए थे तो उनसे बाल मजदूरी क्यों करवाई गई? किसी राहगीर ने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, तो स्कूल प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे हैं।
बसवा के चीफ ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर (सीबीईओ) अशोक शर्मा से बात की तो उन्होंने मामले की गंभीरता को समझा और इस मामले की पुष्टि करते हुए कहा, बसवा स्कूल प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी करने सहित तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी जाएगी। संबंधित वेंडर जिसको दूध सप्लाई करने का काम मिला है, उससे भी स्पष्टीकरण लिया जाएगा कि ऐसा क्यों हुआ? उसके बाद उचित कार्रवाई की जा सकेगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें