जिलों के फेर में फिर अटक न जाएं शिक्षकों के तबादले
बीकानेर. दिए गए तीन उदाहरण तो आपके सामने है। ऐसे सैकड़ों शिक्षक हैं, जो थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थानांतरण की बाट जोह रहे हैं। कांग्रेस सरकार में थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले एक बार भी नहीं हुए हैं। अब अगर सरकार थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थानांतरण से बैन हटाती है, तो अंतर जिला तबादले होंगे। अगर अंतर जिला स्थानांतरण नहीं होते हैं, तो बड़ी संख्या में शिक्षकों के अरमान टूट जाएंगे। जिलों के पुनर्गठन ने उनकी आशंकाएं और असमंजस को बढ़ाया ही है। अगर बीकानेर का उदाहरण भी लेते हैं, तो यहां से बड़ी संख्या में शिक्षक खाजूवाला अपडाउन करते हैं। उनके सामने मुख्यालय वापस लौटने की समस्या स्थाई होती दिखाई दे रही है।
दो साल पहले जमा हुए थे 85 हजार आवेदन
प्रदेश में जब गोविंदसिंह डोटासरा शिक्षा मंत्री थे, तो उन्होंने थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थानांतरण करने का मानस बनाया था। उस वक्त उन्होंने ऑनलाइन आवेदन भी मांगे थे। बड़ी संख्या में शिक्षकों ने अपने गृह जिले में आने के लिए आवेदन किया था। पूरे प्रदेश में करीब 85 हजार आवेदन जमा हुए थे, लेकिन तबादले नहीं कर सरकार ने थर्ड ग्रेड शिक्षकों को मायूस ही नहीं किया, बल्कि उनके सामने समस्या खड़ी कर दी। गौरतलब है कि 85 हजार आवेदनों में से अधिकांश शिक्षकों ने अंतर जिला तबादलों के लिए आवेदन किया
केस : एक
राउमावि 22 केवाईडी (खाजूवाला) में शिक्षक मदन जनागल 2005 से हैं। थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों की बात चलती है, तो वे बीकानेर तबादला कराने का प्रयास करते हैं। क्योंकि खाजूवाला बीकानेर जिले में था। अब खाजूवाला अनूपगढ़ जिले में शामिल हो गया है। अब अगर सरकार ने अंतर जिला तबादला नहीं किया, तो मुश्किल हो जाएगी।
केस : दो
शिक्षिका सुनीता शर्मा पाली जिले के रोट गांव में सरकारी स्कूल में थर्ड ग्रेड की शिक्षिका हैं। रोट पूर्व में पाली जिले में था। इस वजह से सुनीता रोट से रायपुर आना चाहती हैं। लेकिन अब रायपुर ब्यावर जिले में शामिल हो गया है। ऐसे में शिक्षिका को भी यह भय सता रहा है कि अगर अंतर जिला तबादला नहीं हुआ, तो वह पाली में ही कार्यरत रहेंगी।
नियमानुसार देखा जाएगा
तबादलों से प्रतिबंध हटता है, तो इसके बाद नियमानुसार जो भी होगा देखा जाएगा। डीओपी से भी इस संबंध में चर्चा की जाएगी। हालांकि सरकार को तबादला पॉलिसी दी हुई है। पॉलिसी के अनुसार ही तबादले होंगे।- डॉ. बीडी कल्ला, शिक्षा मंत्री राजस्थान
शिथिलता देनी चाहिए
जब स्थानांतरण पॉलिसी बनी थी। उस समय नए जिलों का गठन नहीं हुआ था। इस वजह से अगर सरकार शिक्षकों के तबादलों से बैन हटाती है, तो अंतर जिला और अंदर जिला तबादला करना चाहिए।- रवि आचार्य, अतिरिक्त महामंत्री राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय
शिक्षक जेठाराम पंवार 14 बीडी (खाजूवाला) स्कूल में हैं। उन्होंने बीकानेर शहर में आने के लिए कई प्रयास किए लेकिन स्थानांतरण पर रोक होने के कारण प्रयास विफल हो रहे हैं। उनकी चिंता उभरकर आने लगी है कि अगर अंतर जिला तबादला नहीं किया गया, तो वे बीकानेर कैसे आएंगे। क्योंकि खाजूवाला को अनूपगढ़ जिले में शामिल कर दिया है।
अंतर जिला तबादले नहीं होने से आशंकित शिक्षक
नए जिलों के गठन से असमंजस बढ़ा
बीकानेर. दिए गए तीन उदाहरण तो आपके सामने है। ऐसे सैकड़ों शिक्षक हैं, जो थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थानांतरण की बाट जोह रहे हैं। कांग्रेस सरकार में थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले एक बार भी नहीं हुए हैं। अब अगर सरकार थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थानांतरण से बैन हटाती है, तो अंतर जिला तबादले होंगे। अगर अंतर जिला स्थानांतरण नहीं होते हैं, तो बड़ी संख्या में शिक्षकों के अरमान टूट जाएंगे।
जिलों के पुनर्गठन ने उनकी आशंकाएं और असमंजस को बढ़ाया ही है। अगर बीकानेर का उदाहरण भी लेते हैं, तो यहां से बड़ी संख्या में शिक्षक खाजूवाला अपडाउन करते हैं। उनके सामने मुख्यालय वापस लौटने की समस्या स्थाई होती दिखाई दे रही है।
दो साल पहले जमा हुए थे 85 हजार आवेदन
प्रदेश में जब गोविंदसिंह डोटासरा शिक्षा मंत्री थे, तो उन्होंने थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थानांतरण करने का मानस बनाया था। उस वक्त उन्होंने ऑनलाइन आवेदन भी मांगे थे। बड़ी संख्या में शिक्षकों ने अपने गृह जिले में आने के लिए आवेदन किया था। पूरे प्रदेश में करीब 85 हजार आवेदन जमा हुए थे, लेकिन तबादले नहीं कर सरकार ने थर्ड ग्रेड शिक्षकों को मायूस ही नहीं किया, बल्कि उनके सामने समस्या खड़ी कर दी। गौरतलब है कि 85 हजार आवेदनों में से अधिकांश शिक्षकों ने अंतर जिला तबादलों के लिए आवेदन किया था।
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