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बुधवार, 30 अगस्त 2023

चिंता: संस्कृत के प्रति कम हो रहा युवाओं का रुझान शैक्षणिक पदों की कमी के चलते भी हो रही शिक्षा प्रभावित राजस्थान का एक मात्र संस्कृत विश्वविद्यालय में भी आधे पद खाली

 

चिंता: संस्कृत के प्रति कम हो रहा युवाओं का रुझान  शैक्षणिक पदों की कमी के चलते भी हो रही शिक्षा प्रभावित राजस्थान का एक मात्र संस्कृत विश्वविद्यालय में भी आधे पद खाली

 जयपुर। प्रदेश में संस्कृत शिक्षा के प्रति नौजवान युवाओं का रुझान कम हो रहा है। यह एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि संस्कृत ही सभी भाषाओं की जननी है और उसके बावजूद भी आज बच्चों की संख्या कम होने में कहीं ना कहीं सरकार तथा उनके आला अधिकारियों का बड़ा हाथ है। यदि समय पर संस्कृत शिक्षा में खाली पदों को भरा जाता तो हालात कुछ और होते, लेकिन सरकार के अधिकारी संस्कृत की तरफ सामान्य सहित अन्य शिक्षा की तरह ध्यान नहीं दे रहे है। संस्कृत शिक्षा में शैक्षणिक पदों की कमी के चलते भी शिक्षा प्रभावित हो रही है तो राजस्थान का एक मात्र जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर में भी आधे पद खाली चल रहे है। वहीं, यूनिवर्सिटी में पिछले चार-पांच सालों से बच्चे कम हो रहे, लेकिन इस बार हल्का बढ़ा ग्राफ बढ़ा है। 


यह है संस्कृत शिक्षा विभाग के संस्थान

प्रदेश में 14 राजकीय आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, 37 राजकीय शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय, 14 प्राइवेट आचार्य संस्कृत महाविद्यालय, 13 प्राइवेट शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय, 232 राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय, 255 राजकीय प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय, 920 राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय, 390 राजकीय प्राथमिक संस्कृत विद्यालय, 27 प्राइवेट वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय, 75 प्राइवेट प्रवेशिका संस्कृत विद्यालय, 260 प्राइवेट उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय, 13 प्राइवेट प्राथमिक संस्कृत विद्यालय, 1-1 राजस्थान राज्य संस्कृत शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान और राजकीय संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय है। इसके अलावा 15 प्राइवेट शिक्षण प्रशिक्षण विद्यालय और 82 शिक्षा शास्त्री प्रशिक्षण महाविद्यालय है। 



2001 में स्थापना के बाद ज्यादा बच्चों को नहीं जोड़ पाया 

राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय छह फरवरी, 2001 को स्थापित हुआ। अभी विवि में 44 शैक्षणिक पदों से 18 पद भरे है और 26 खाली है। वहीं, छात्रों की संख्या में भी लगातार गिरावट हो रही है। पिछले पांच-छह सालों के आंकड़ों की बात करें तो करीब 800 से हर साल आंकड़ा कम होता गया। करीब 450 तीन साल पहले थे, जो कि बढ़ नहीं पाए और आंकड़ा इसके आस-पास ही रहा। इस शैक्षणिक सत्र 2023-24 में आंकड़ा बढ़ा है। 


यह है पदों की गणित 

प्रदेश के संस्कृत स्कूलों व महाविद्यालयों में 2,01,681 विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे है। वहीं, पद 13 हजार 939 पद स्वीकृत है, इनमें 8 हजार 625 कर्मचारी है। वहीं, 5 हजार 314 पद भरने की प्रक्रिया चल रही है। बाकी के पद रिक्त है।



शोध के हालात ठीक 

विवि में रिसर्च सेंटर के हालात ठीक है। इसमें वेद, ज्योतिष, साहित्य, व्याकरण, दर्शनशास्त्र, योग और शिक्षा पर शोध कार्य हो रहे है। प्रदेश के साथ ही बाहर के विद्यार्थी भी शोध कार्य के लिए आ रहे है। उधर, विवि में पिछले सात साल से स्थापित योग में भी छात्रों की संख्या बेहतर हो गया है। नई शिक्षा नीति इस साल से विवि में लागू कर दी है।



महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा में संस्कृत भाषा को देववाणी मानते हुए कहा था कि इसके अध्ययन से मानव में देवतुल्य गुणों का विकास होता है। संस्कृत लगभग सभी भाषाओं का मूल स्त्रोत है, इसलिए संस्कृत भाषा को सभी भाषाओं की जननी भी कहा जाता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भी संस्कृत और संस्कृति को भारत की पहचान बताया था। -डॉ. बी.डी. कल्ला, संस्कृत शिक्षा मंत्री


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