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गुरुवार, 31 अगस्त 2023

मार्कशीट में संशोधन के नाम पर पैसे ऐंठने वाले संविदाकर्मी को बोर्ड ने हटाया

 

मार्कशीट में संशोधन के नाम पर पैसे ऐंठने वाले संविदाकर्मी को बोर्ड ने हटाया

अजमेर। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में मार्कशीट में संशोधन कराने के नाम पर पैसे ऐंठने वाले गिरोह में शामिल संविदा कर्मचारी को बोर्ड प्रशासन ने नौकरी से हटा दिया है। दैनिक नवज्योति ने 23 अगस्त के अंक में 'दसवीं की मार्कशीट में संशोधन कराने के एवज में दलालों ने ऐठे 3 हजार शीर्षक से खबर प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था। खबर के प्रकाशन के बाद हरकत में आए बोर्ड प्रशासन ने संविदा कर्मचारी बेटी को नौकरी से हटा दिया है। बोर्ड अन्य कर्मचारियों की मिलीभगत भी ढूंढने का प्रयास कर रहा है।

यह था मामला: पटवारी अशोक कुमार ने अपने बेटे यशसिंह सिराधाना की सैकण्डरी 2022 की मार्कशीट में माता विजयलक्ष्मी के नाम में सरनेम जोड़कर विजयलक्ष्मी सिराधाना कराने के लिए बोर्ड के दफ्तर में सम्पर्क किया। यहां असर खबर का आवेदन कर चालान कटवाने के बाद फोटोकॉपी के लिए जयपुर रोड स्थित मुख्य गेट के बाहर से सेन्ट्रल जेल के गेट के ठीक सामने खुले रूप में टेबल कुर्सी लगाकर फोटोकॉपी करने वाले "व्यक्ति से दस्तावेजों की फोटोकॉपी कराने पहुंचे। 


यहां उन्हें फोटोकॉपी करने वाले श्रवण नामक व्यक्ति से सम्पर्क कराया। श्रवण ने बोर्ड में ही कार्यरत बंटी नामक व्यक्ति के साथ मिलकर आवेदन लेकर संशोधन का पूरा काम दोपहर तीन बजे तक कराकर देने की एवज में तीन हजार रुपए मांगे। अशोक ने दो हजार रुपए उसी समय निकालकर दे दिए। शेष एक हजार रुपए काम पूरा होने के बाद देने की बात हुई। लेकिन एक माह तक भी उसकी मार्कशीट में संशोधन नहीं हुआ। फिर 21 अगस्त को उसे डुप्लीकेट मार्कशीट उपलब्ध कराई गई, तब उससे एक हजार रुपए और ले लिए। पटवारी ने यह लेन-देन ऑनलाइन ही किया था।


छह गुना ऐंठे थे पैसे

दलालों ने पटवारी से मार्कशीट में संशोधन और डुप्लीकेट मार्कशीट जारी कराने से छह गुना अधिक पैसे वसूल वि लिए। बोर्ड में संशोधन के लिए करन्ट ईयर में दो सौ रुपए शुल्क है। इसके बाद दस्तावेज जितना पुराना होगा उसका वि प्रति वर्ष के हिसाब से 100 रुपए वृद्धि क कर शुल्क लिया जाता है। इस मामले में वर्ष 2022 यानी एक वर्ष पुरानी मार्कशीट होने के कारण 300 रुपए शुल्क निर्धारित है। इसके अलावा डुप्लीकेट मार्कशीट के 200 रुपए अलग से लगते हैं। यानी कुल 500 रुपए का खर्चा था। पा चालान पीड़ित ने खुद ही कटवा लिया था। इसके बाद भी उससे तीन हजार यानी छह गुना अधिक पैसे दलालों ने में वसूल लिए थे।

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