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शनिवार, 5 अगस्त 2023

राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर का फैसला : शिक्षकों को समस्त जिलों में स्थानांतरण का लाभ मिले: न्यायाधीश मेहता



 राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर का फैसला : शिक्षकों को समस्त जिलों में स्थानांतरण का लाभ मिले: न्यायाधीश मेहता


निदेशक प्रारंभिक शिक्षा बीकानेर पर दस हजार का जुर्माना, नागौर के भी सैकड़ों शिक्षक प्रतिबंधित जिलों में कार्यरत, इनके भी सामान्य जिलों में तबादले की उम्मीद जगी

नागौर. राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने राज्य के प्रतिबन्धित जिलों से शिक्षकों के तबादले सामान्य जिलों में नहीं करने के सरकारी नियमों को न्यायसंगत नहीं मानते हुए कहा है कि सभी शिक्षकों को समस्त जिलों में स्थानांतरण का लाभ मिले। इसके साथ ही परिवादी को स्थानांतरण में वरीयता नहीं देते हुए दोषपूर्ण कार्यशैली अपनाने पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक पर दस हजार का जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि वर्तमान में नागौर, झुंझुनूं समेत कई सामान्य जिलों के शिक्षक बरसों से प्रतिबंधित जैसलमेर/बाड़मेर जैसे अन्य जिलों में कार्यरत हैं। प्रतिबंधित जिलों से सामान्य जिलों में तबादला नहीं करने के शिक्षा विभाग के फैसले के खिलाफ भी कई बार कर्मचारी संगठन आंदोलन कर चुके हैं।


एडवोकेट रामदेव पोटलिया ने बताया कि सुनवाई के दौरान न्यायाधीश दिनेश मेहता ने प्रतिबंधित जिलों से सामान्य जिलों में स्थानान्तरण नहीं करने के राज्य सरकार के नियमों व दिशा -निर्देशों का न्यायोचित नहीं माना। साथ ही इस बात पर भी नाराजगी जताई कि विपरीत परिस्थितियों में भी उच्च अधिकारियों ने गलत आदेश पारित कर विधवा शिक्षिका का तबादला नहीं होने दिया। न्यायाधीश ने महिला की याचिका स्वीकार करते हुए उसे गृह जिले में स्थानांतरित करने के आदेश दिए।


यह है मामला

उच्च न्यायालय का आदेश प्रशंसनीय है। इससे प्रतिबंधित जिलों में कई बरसों से काम कर रहे शिक्षकों के सामान्य जिले में स्थानांतरित होने का रास्ता साफ होने की उम्मीद है। अकेले नागौर जिले के ही सैकड़ों शिक्षक प्रतिबंधित जिलों में कार्यरत हैं, उनके स्थानांतरण की समय-समय पर मांग उठाई गई और आंदोलन भी किए गए।-अर्जुनराम लोमरोड, जिला अध्यक्ष राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) नागौर


एडवोकेट पोटलिया ने बताया कि महिला शिक्षिका राजेश पिछले करीब सोलह साल से जैसलमेर में कार्यरत है। अप्रेल 2018 में प्रारंभिक शिक्षा, बीकानेर को दिश-निर्देश जारी कर शिक्षा विभाग ने तृतीय श्रेणी के अध्यापकों के अंतर जिला स्थानांतरण के लिए सभी शिक्षकों से आवेदन मांगे गए थे। महिला राजेश ने अपने गृह जिले के लिए आवेदन किया पर उसका नहीं हुआ जबकि सैकड़ों शिक्षक स्थानांतरित हो गए। शिक्षिका ने बार-बार निदेशक के समक्ष प्रार्थना की पर उसकी सुनवाई नहीं हुई। इस पर उसने राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में याचिका दायर की। न्यायालय ने वर्ष 2019 में आदेश पारित कर निदेशक शिक्षा विभाग बीकानेर को याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन को 2 माह में निस्तारित करने के आदेश जारी किए। इस बीच शिक्षिका के पति का भी निधन हो गया और उसने अपनी वृद्ध माता का हवाला देते हुए अपने गृह जिले में स्थानांतरित करने को कहा। एडवोकेट पोटलिया ने बताया इस पर निदेशक ने राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग की ओर से जारी दिशा निर्देशों की गलत व्याख्या करते हुए तथा विधवा महिला होने तथा 700 किमी दूर पदस्थापित होने पर तकनीकी आधार बनाते हुए खारिज कर दिया तथा साथ ही स्थानान्तरण पर 2019 से बैन होने से स्थानान्तरण नहीं करना बताया। इस पर याचिकाकर्ता ने वर्ष 2021 में दोबारा याचिका पेश कर, जिस पर सुनवाई के बाद उसे राहत मिली।


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