सरकारी स्कूलों में 10% नामांकन बढ़ाना था, शिक्षकों के 3302 पद खाली; पिछले सत्र से 23465 विद्यार्थी घट गए
चूरू | जिले के सरकारी स्कूलों में इस साल 10 फीसदी नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य था, लेकिन पिछले साल से 23465 विद्यार्थी घट गए। पिछले साल जिले के 1423 स्कूलों में 238914 का नामांकन था, इस साल घटकर 215449 हो गया। खास बात ये है कि नामांकन बढ़ाने के लिए विभाग ने दो चरणों में प्रवेशोत्सव अभियान चलाया। इतना ही नहीं विभाग ने तीन बार एडमिशन की अंतिम तिथि तक बढ़ाई, लेकिन इस सत्र में स्टूडेंट्स की संख्या नहीं बढ़ पाई।
भास्कर ने मामले में पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, कि शिक्षा सत्र शुरू होने के दो महीने से ज्यादा समय गुजर जाने के बाद जिले के स्कूलों में 25 फीसदी तक शिक्षकों के पद खाली हैं। इसमें ग्रेड थर्ड के शिक्षक सहित प्रधानाचार्य के पद शामिल हैं। स्कूलों में इस सत्र से सृजित किए गए उप प्रधानाचार्य के पद तो 90 फीसदी तक खाली हैं। जिले में 369 में से 347 उप प्रधानाचार्य के पद खाली हैं, जबकि अभी तक 22 ही लगाए गए हैं। कुल 13576 में से 3302 शिक्षकों के पद खाली हैं, जबकि 10274 कार्यरत हैं।
3 बार प्रवेश की तिथि बढ़ाने के बावजूद नामांकन घटने के 3 बड़े कारण
सरकारी स्कूलों में शिक्षक लेवल फर्स्ट से लेकर व्याख्याता तक के पद खाली हैं। हालात ये है कि एक हजार नामांकन वाले सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के 11 पद खाली हैं। दूरस्थ गांव वाले स्कूलों में शिक्षकों की संख्या और भी कम है। इसका कारण डीपीसी से पदोन्नति सहित अन्य वजह है।सरकारी स्कूलों के शिक्षक जुलाई व अगस्त में क्लासों में पढ़ाने की बजाय शिविरों, युवा महोत्सव, शहरी-ग्रामीण ओलिंपिक में व्यस्त रहे। इस बारे में संबंधित संस्था प्रधान और विभागीय अधिकारी कुछ नहीं कर पाए, क्योंकि ये राज्य सरकार के घोषित कार्यक्रम थे। कोरोना के समय प्राइवेट स्कूलों में फीस - ज्यादा होने एवं ऑफलाइन क्लास नहीं होने के कारण अभिभावकों ने सरकारी स्कूल में प्रवेश दिला दिया, जहां सब कुछ फ्री था, लेकिन इसके बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होने से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स का प्राइवेट स्कूलों की ओर पलायन हो गया।
नामांकन का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए, इस बारे में निदेशालय को लिखित जवाब दे दिया : सीडीईओ
पिछले साल की तुलना में कम 7 से 8 फीसदी नामांकन कम हुआ है। इस बार प्रत्येक स्कूल का 10 फीसदी नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य था। कुछ को छोड़कर अन्य लक्ष्य हासिल नहीं कर पाए। 24.32% पद खाली हैं। हालांकि विभाग की ओर से लगातार नियुक्तियां भी हो रही है। नामांकन कम होने के बारे में निदेशालय को जवाब भेज दिया गया ।-जगवीरसिंह यादव, सीडीईओ, चूरू
इन 2 उदाहरणों से जानिए सरकारी स्कूलों के हाल
• राजलदेसर के राउमावि में एकहजार से ज्यादा नामांकन है, पर यहां कुल स्वीकृत पदों में से 11 पद खाली हैं। इसमें प्रधानाचार्य, व्याख्याता, वरिष्ठ अध्यापक एवं अध्यापक के पद शामिल है। इतनी बड़ी संख्या में राजलदेसर जैसे कस्बे के स्कूल में पद खाली होने से नामांकन कैसे बढ़ेगा। यहां 8 महीने पहले प्रधानाचार्य लगाए गए, लेकिन उन्होंने ज्वॉइन ही नहीं किया।
• चूरू तहसील के गांव ढाढरिया बणीरोतान के सरकारी स्कूल उमा में क्रमोन्नत हो गया, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां अभी तक व्याख्याता तक पद स्वीकृत नहीं हुए हैं। इतना ही नहीं 285 नामांकन वाले इस स्कूल में प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, व्याख्याता के अलावा ग्रेड सेकंड शिक्षकों के दो पद खाली हैं।
जिले के स्कूलों में स्वीकृत और खाली पदों की ये है स्थिति
पद----------------स्वीकृत---------कार्यरत---------खाली
उप प्रधानाचार्य----369-----------22-----------------347
व्याख्याता--------1617----------1193---------------424
वरिष्ठ अध्यापक--3215---------2369----------------846
शिक्षक लेवल-2---3045-------2398-----------------647
शिक्षक लेवल-1----3878------3198-----------------680
पीटीआई----------731--------522-------------------209
(पीटीआई की नियुक्ति के लिए 9 सितंबर को काउंसलिंग के बाद 152 में से केवल 26 का पदस्थापन हुआ है, जिन्होंने अभी ज्वॉइन नहीं किया है।)
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