क्रमोन्नति का तोहफा दिया, पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं दिए. 50% सीनियर स्कूलों में पुस्तकालय अध्यक्षों के पद सृजित ही नहीं
बीकानेर प्रदेश के सभी स्तर के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में पुस्तकालय अध्यक्षों के पद रिक्त पड़े हैं। नव सृजित अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में तो यह पद सृजित ही नहीं किया गया हैं। नए पुस्तकालय अध्यक्षों की भर्ती तो सरकार ने की नहीं साथ ही पदोन्नति भी समय पर नहीं हो रही है। कुल मिलाकर स्कूलों में लाइब्रेरियों की हालत खराब है।शिक्षा विभाग में पुस्तकालय अध्यक्ष संवर्ग की उपेक्षा हो रही है। हाल ही में विभाग ने 1409 महात्मा गांधी विद्यालयों में विभिन्न सवर्गों के 13000 से अधिक पदों का सृजन कर वित्तीय स्वीकृतियां जारी की। परन्तु एक भी पुस्तकालय अध्यक्ष के सवर्ग का पद आवंटित नहीं किया है। इससे पहले भी कुछ पद स्वीकृत किए लेकिन वित्तीय प्रावधान नहीं करने से तृतीय श्रेणी वेतन श्रृंखला के रिक्त पदों से इनके वेतन की व्यवस्था चल रही है।
14 हजार से अधिक स्कूलों में पद नहीं
हिन्दी माध्यम के विद्यालयों में भी पुस्तकालय अध्यक्ष के पद रिक्त पड़े है। माध्यमिक शिक्षा विभाग में 18 हजार 873 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में से 14 हजार 700 विद्यालयों में पुस्तकालय अध्यक्ष का पद ही नहीं हैं। माध्यमिक शिक्षा में पिछले 5 साल में 5000 से अधिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत कर दिया गया है। इनमें हर सवर्ग के पदों का सृजन किया गया परन्तु पुस्तकालय अध्यक्ष के पद का सृजन नहीं किया गया। विभाग में प्रथम श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्ष के मात्र 41 पद है। वो भी 1994 से पहले के सृजित है। इन 28 सालों में हजारों स्कूल क्रमोन्नत हुए लेकिन, प्रथम श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्ष व द्वितीय श्रेणी पुस्तकालय अध्यक्ष के पदों में कोई वृद्धि नहीं हुई।
पदोन्नति का लाभ भी नहीं
उच्च स्तर के पदों का सृजन नहीं होने से विभाग में कार्यरत पुस्तकालय अध्यक्षों को पदोन्नति का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।30-35 साल से उसी पद पर हैं।पुस्तकालय अध्यक्ष 30-35 साल की सेवा के बाद भी उसी पर बैठे है। स्टाफिंग पैटर्न के लागू होने के बाद क्रमोन्नत विद्यालयों में पुस्तकालय अध्यक्ष के पद का प्रावधान ही नहीं रखा गया। ऐसे में पदोन्नति ठप है।
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