स्कूलों में शिक्षकों के गैर शैक्षिक कार्यों से चरमराई शिक्षण व्यवस्था,सरकारी शिक्षकों ने एक साल में किए 78 तरह के गैर शैक्षिक कार्य
सीकर. सरकारी स्कूलों में सुधार के सरकारी ढोल की पोल उधडकऱ सामने आ गई है। शिक्षण व्यवस्था पर ध्यान देने की बजाय शासन-प्रशासन ने पिछले एक साल में शिक्षकों से 78 तरीके के गैर शैक्षिक कार्य करवाए हैं। जिसके चलते ज्यादातर शिक्षक अपने मूल काम से दूर हो गए। इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को खुद सरकार ही किस कदर पलीता लगाने में जुटी है।
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शिक्षक पढ़ाना चाहते हैं
शिक्षक स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं। पर सरकार व प्रशासन आरटीई एक्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ शिक्षकों को अन्य कामों में उलझाकर मूल कार्यों से भटका रही है। जिससे सरकारी स्कूलों की शैक्षिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इन नीतियों के खिलाफ हम आंदोलन कर रहे हैं, जो आगे भी जारी रहेगा।-उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत
गैर शैक्षिक कार्यों से मुक्त करे
शिक्षकों के जिम्मे इतने गैर शैक्षणिक कार्य कर दिए गए हैं कि उन्हें पढ़ाने की फुर्सत ही नहीं है। इससे स्कूलों की पढ़ाई बाधित हो रही है। जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। सरकार से मांग है कि शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्य से मुक्त कर केवल शैक्षणिक कार्य ही करवाया जाए।-बसन्त कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा
60 फीसदी से ज्यादा शिक्षक हुए प्रभावित
प्रदेश में 3.70 लाख शिक्षक कार्यरत है। इनमें से दो लाख से ज्यादा शिक्षक इन गैर शैक्षिक कार्यो में उलझे रहे। 1.72 लाख शिक्षकों को तो प्रवेशोत्सव के बीच ही नई शिक्षा नीति के तहत अलग- अलग चरणों में प्रशिक्षण दिया गया था। जबकि 40 हजार शिक्षक पहले से बीएलओ, सरकारी विभागों में प्रतिनियुक्ति व ऑनलाइन सरीखे कामों में जुटे हैं। इनके अलावा भी दस हजार से ज्यादा शिक्षक अलग- अलग कामों में जुटे रहे।
प्रतिनियुक्ति भी पड़ रही भारी
सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की विभिन्न विभागों में प्रतिनियुक्ति ने भी सरकारी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था को प्रभावित कर रखा है। प्रदेश में करीब दस हजार शिक्षक लंबे समय से शिक्षा निदेशालय , शिक्षा संकुल , जिला व ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों, समसा, कलेक्ट्रेट, एसडीएम कार्यालय, तहसील, आपदा प्रबंधन व कंट्रोल रूम सरीखे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर लगे हैं।
शिक्षा के अधिकार कानून की उड़ रही धज्जियां
आरटीई एक्ट 2009 की धारा 27 के अनुसार किसी भी शिक्षक को 10 वर्षीय जनगणना, आपदा राहत कार्यों, पंचायतीराज संस्थाओं, स्थानीय निकायों, विधान मण्डलों, विधान सभा और संसदीय चुनाव के अलावा कोई कार्य नहीं करवाया जा सकता। निर्वाचन आयोग भी 2010 में केवल संविदा शिक्षकों को ही बीएलओ लगाने के आदेश जारी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट व मुख्य सचिव भी शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्य में नहीं लगाने के कई आदेश जारी कर चुके हैं। पर इसके बावजूद प्रदेश के शिक्षक गैर शैक्षिक कार्यों के लिए मजबूर कर कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
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