तबादलों का सावन सूखा बीता ना नीति लागू हुई, ना हुए स्थानांतरण आचार संहिता का समय नजदीक आने से तबादलों की संभावना ना के बराबर
चुनावी साल में आचार संहिता लगने का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे शिक्षकों के तबादले होने की संभावना भीना के बराबर होती जा रही है। असल में सरकार ने तबादलों पर रोक लगा रखी है। ऐसे में अगर रोक हटाई भी जाती है तो ट्रांसफर के लिए आवेदन और पोस्टिंग की प्रक्रिया में वक्त लग सकता है। इसे लेकर प्रदेशभर के लाखा शिवको में सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त है।असल में शिक्षा विभाग ने गत वर्ष ही नई तबादला नीति का प्रारूप तैयार कर स्वीकृति के लिए कार्मिक विभाग को भिजवाया था। डीओपी ने पॉलिसी के प्रारूप में सुधार की आवश्यकता बताते हुए इसमें संशोधन के लिए फिर से शिक्षा विभाग को लौटा दिया था। इसके कुछ समय बाद ही सरकार ने तबादलों पर रोक लगा दी। इसके चलते ना तो नई तबादला नीति लागू की गई और ना ही शिक्षकों के तबादले हो सके।
ग्रीष्मावकाश में लगाई थी आस
मुख्यमंत्री तथा शिक्षा मंत्री के बयानों के चलते पई ग्रेड शिक्षक ग्रीष्मावकाश खत्म होने से पूर्व तबादला होने की आशा लगा बैठ थे। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले अंतिम बार 2018 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने किए थे। कांग्रेस सरकार में करीब दो साल पूर्व तत्कालीन शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे लेकिन बाद में इसे टाल दिया गया बी. डी. कालनेमी शिक्षा मंत्री बनने के बाद कईबार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले करने की बात कही लेकिन अब तक शिक्षकों का इंतजार खत्म नहीं हुआ है।
निदेशालय का केवल राग
शिक्षा निदेशालय 21 बिन्दुओं को शामिल कर गाइडलाइन सरकार को भेजने का राग अलाप रहा है। लेकिन शिक्षकों का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। माना जा रहा था कि अगस्त माह के अंदर कभी भी तबादले खोले जा सकते है लेकिन राज्य सरकारने शिक्षा विभाग के तृतीय श्रेणीको के तबादलों को लेकर गाइडलाइन जारी नहीं की और अगस्त के साथ ही उम्मीदों का सावन भी सूखा बीत गया। सबसे ज्यादा ऐसे शिक्षक परेशान हैं, जो लम्बे समय से दूरदराज के ग्रामीण पोत्रों में लगे है। अमुमन सभी शिक्षक शहरी क्षेत्र में आना चाहते है और यदि यह सम्भव नहीं होता है तो शहर के आसपास के क्षेत्रों के प्रयास कर रहे हैं।
तबादले का बेसब्री से इंतजार
प्रदेश में गत वर्ष अगस्त माह में शाला दर्पण पोर्टल पर थर्ड रोड शिक्षकों के तबादलों के लिए आवेदन मांगे गए थे जिसमें द्य प्रदेश के करीब 85 हजार से अधिक शिक्षकों ने अपने गृह जिले में आने के लिए आवेदन किया था। इसके साथ ही टीएसपी क्षेत्र से जॉन टीएसपी क्षेत्र के टीचर्स से भी विकल्प पत्र भरवाए गए थे लेकिन लंबा समय गुजरने के बावजूद शिक्षकों की मुराद पूरी नही हो सकी है। प्रदेश में करीब 1 लाख 60 हजार वर्ड ग्रेड शिक्षक है। इनमें से 85 हजार से अधिक शिक्षकों ने तबादलों के लिए आवेदन किया था।
सरकार को ना पड़े भारी
वर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादलों को लेकर पूर्व शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा द्वारा स्वीकार किया जा चुका है कि अगर थर्ड ग्रेड शिक्षकों के तबादले नहीं हुए तो प्रदेशभर में कांग्रेस की एक भी सीट आना काफी मुश्किल होगा। वे मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को मामले की गंभीरता समझने की बात भी कह चुके है। साथ ही प्रदेशभर में विभिन्न शिक्षक संगठन तबादले की मांग को लेकर कई मर्तबा अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। तबादले नहीं होने पर आगामी विधानसामा चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतने को तैयार रहने की चेतावनी तक दे चुके है।
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