तालों में कैद बेटियों की ‘मजबूरी’ कहां से मिले ‘गरिमा’ को मान, शिक्षा विभाग व संस्था प्रधान नहीं दे रहे ध्यान, स्कूलों में शो पीस बनी गरिमा पेटी
जिले के सरकारी स्कूलों में आठ साल पहले गरिमा पेटियां लगाई थीं, ताकि बेटियां शिकायत डाल सकें। स्कूलों व अन्य स्थानों पर लगी गरिमा पेटियों पर लगे ताले समय-समय पर नहीं खुलने से जंग खा गए है। ऐसे में इनमें डाली शिकायतों को निकालकर देखा तक नहीं गया। तो कार्रवाई की बात को दूर है। गरिमा पेटियां की कोई शिकायत देखता तक नहीं है।
यह था उद्देश्य
गरिमा पेटियां लगाने के पीछे सरकार का एक ही मकसद था कि बेटियों के साथ स्कूलों में कुछ भी गलत हो तो वे उस बारे में लिखकर गरिमा पेटी में डाल सकें। इससे दोषी शिक्षक या स्टाफ को कठघरे में खड़ा करना आसान हो। इसके अलावा रास्ते में मनचले भी परेशान करें तो उस बारे में भी छात्राएं शिकायत पेटी में डाल सकें। एक-डेढ़ साल तक तो गरिमा पेटियां लगी रहीं। फिर 2018 में सरकार बदली तो गरिमा पेटियां की सूरत भी बदल गई।
स्कूलों के समीप मनचलों का रहता जमावड़ा
सीनियर सैकण्डरी स्कूलों अध्ययनरत बालिकाओं के लिए घर से स्कूल पहुंचने के बीच मनचले परेशानी का कारण बने हुए है। बालिकाएं परेशान होने के बावजूद बदनामी के डर से आपबीती किसी को बता भी नहीं पाती हैं। इससे कुछ बेटियां तनाव में जीने को मजबूर हो जाती हैं। इस प्रकार की परेशानी से निपटने के लिए सरकार ने गरिमा पेटियां लगवाई थीं। सरकारी स्कूलों में पेटियां इधर-उधर यो किसी कोने में पड़ी है। लेकिन इन्हें खोलकर संभालने के प्रति कोई गंभीर नहीं हैं।
हर माह गरिमा पेटी को खोलने का है प्रावधान
सरकारी स्कूलों में हर माह गरिमा पेटी को खोलकर देखने का प्रावधान है। उसमें किसी प्रकार की कोई शिकायत मिलती है तो तत्काल प्रभाव से उसका निस्तारण किया जा सकें। गरिमा पेटी कब खोली गई और उसमें मिली शिकायतों पर क्या एक्शन लिया। इसके लिए रजिस्टर भी होना चाहिए। साथ ही एक कमेटी भी बनाने का प्रावधान है, जिसकी देखरेख में पेटी खोली जाए। मगर ऐसा नहीं हो रहा है।
करेंगे पाबंद
जिले के बालिका स्कूलों में जहां भी गरिमा पेटी की देखरेख नहीं की जा रही है, उन संस्था प्रधानों को पाबंद किया जाएगा। जिन स्कूलों में गरिमा पेटी कक्षों के अंदर कोने में रखी है या कभी खोल नहीं गया तो उनको सख्त निर्देश दिए जाएंगे।-नाथूलाल, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक, सवाईमाधोपुर
सवाईमाधोपुर. सरकार की ओर से बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भले ही खूब ढिंढोरा पीटा जा रहा है, लेकिन जिले की सरकारी स्कूलों में अध्ययन बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं है। करीब छह साल पहले बालिकाओं को सुरक्षा मुहैया कराने व उनकी शिकायत के निराकरण के लिए सरकारी स्कूलों में गरिमा पेटी स्थापित की गई थी, लेकिन शिक्षा विभाग व संस्था प्रधानों की लापरवाही से गरिमा पेटी इन दोनों स्कूलों में शो पीस बनी है।
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