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शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

साक्षरता की अलख जगाने वाले साढे़ पांच साल से हैं बेरोजगार


 साक्षरता की अलख जगाने वाले साढे़ पांच साल से हैं बेरोजगार

लालसोट. प्रदेश में निरक्षरता का कलंक मिटाने वाले 17 हजार प्रेरकों के जीवन में बीते करीब साढे़ पांच सालों से बेरोजगारी का अंधेरा पसरा हुआ है। करीब 14 साल तक साक्षर भारत मिशन के तहत संविदा के आधार पर प्रतिमाह अल्प 2 हजार रुपए का मानदेय पर कार्य करने वाले इन प्रेरकों का भविष्य अब तक अंधकार में है और साक्षरता की अलख जगाने वाले ये प्रेरक साढे़ पांच सालों से बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं।


अब इन प्रेेरकों को प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के अंतिम दौर में सरकार के शांति व अहिंसा विभाग के द्वारा होने वाली 50 हजार महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती से हैं। प्रेरकों को उम्मीद है कि इस भर्ती में उन्हे उचित प्राथमिकता मिलेगी, जिससे वे आगामी समय में इस बेरोजगारी से मुक्ति पा सकेंगे। गौरतलब है कि 31 मार्च 2018 तक प्रदेश में कुल 17 हजार प्रेरक कार्यरत थे, अकेले दौसा जिले में ही कुल 225 लोक शिक्षा केंद्र संचालित होते थे, जिसमे लालसोट ब्लाक में 47, बांदीकुई में 42, दौसा में 52, सिकराय में 41 व महुवा में 43 केंद्र थे और इन केंद्रों पर कुल 448 र्प्रेरकों के पद स्वीकृत थे। इन प्रेरकों को सरकार द्वारा मात्र दो हजार रुपए का ही मानदेय दिया जाता था कि जो कि न्यूनतम मजदूरी से भी काफी कम था।


इसके अलावा उन्हें पुस्तके व समाचार पत्र खरीदने के लिए साक्षरता विभाग द्वारा प्रतिमाह 500 रुपए का बजट भी दिया जाता था। इस अल्प मानदेय में भी कई साल तक अपने कार्य में जुटे इन प्रेरकों को उम्मीद थी कि इन्हे स्थायी किया जाएगा, लेकिन 31 मार्च 2018 को अनुबंध समाप्त होने के बाद सभी प्रेरक बेरोजगार हो गए। बेरोजगार होने के बाद लंबे समय तक इन प्ररकों को अपने मानदेय के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है। (नि.प्र.)


इस कारण बंद हुई योजना

देश के 50 फीसदी से कम महिला साक्षरता वाले जिलों में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर 8 सितम्बर 2009 को राजस्थान के कोटा को छोड़ सभी जलों में साक्षर भारत अभियान लागू किया गया। इसके तहत प्रदेश के 17 हजार प्रेरकों ने 7500 लोक शिक्षा केंद्र पर नौ साल तक असाक्षर महिला पुरुषों को साक्षर करने का दायित्व निभाया। 30 मार्च 2018 को अनुबंध समाप्त होने के साथ ही उन प्रेरकों की नौकरी चली गई, जबकि वे तो मात्र दो हजार रुपए के मासिक मानदेय पर प्रति पंचायत दो प्रेरक एक पुरुष और एक महिला प्रेरक कार्यरत थे। जो नवसाक्षरों को साक्षर बनाने में जुटे थे।


महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती से उम्मीदें बंधी है

राजस्थान प्रेरक संघ के तहसील अध्यक्ष विनोद कुमार सैनी ने बताया कि सरकार ने अब महात्मा गांधी सेवा प्रेरकों की भर्ती निकाली है, इससे भी बेरोजगार प्रेरकों को उम्मीदें बंधी है, इस भर्ती में सभी प्रेरकों को उम्र में छूट व अनुभव को प्राथमिकता दी जाए, जिससे सभी प्रेरकों समायोजित हो सके।


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