नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अगले सत्र से अहम बदलाव 23 भाषा में होंगी स्कूल की किताबें, कोर्स में ऑडियो-वीडियो मैटेरियल भी
शिक्षण सत्र 2024-25 से कक्षा 3 से लेकर 12वीं तक की पाठ्य सामग्री में अहम बदलाव होंगे। 10 में से कम से कम 6 कक्षाओं की किताबें 23 भाषा में मिलेंगी। इनमें कक्षा 3, 4, 5, 6, 9, 11 शामिल हैं। इन्हें एनसीईआरटी की नई किताबें मिलेंगी। कक्षा 6 से आगे के बच्चों को कौशल विषय भी पढ़ना होगा। इनकी किताबें कौशल विकास मंत्रालय की मदद से तैयार हो रही हैं। इस बार हर कक्षा के लिए पाठ्य सामग्री का पैकेज बन रहा है, जिसमें किताबों के साथ ऑडियो-वीडियो मैटेरियल, एनीमेशन व ग्राफिक्स भी होंगे। इन दिनों सभी कक्षाओं के सभी विषयों के सिलेबस के लिए देशभर से चुने शिक्षक व विशेषज्ञों की कार्यशाला हो रही हर विषय की टीम को सिलेबस व पाठ्य सामग्री के लिए दिसंबर से फरवरी तक अलग-अलग डेडलाइन दी गई हैं। एनसीईआरटी ने जुलाई में नीपा के चांसलर एमसी पंत की अध्यक्षता में 19 सदस्यीय नेशनल सिलेबस एंड टीचिंग लर्निंग मटेरियल कमेटी का गठन किया था।
अंग्रेजी के अलावा 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं में कोर्स
ऐसा पहली बार होगा कि भाषा विषयों को छोड़कर अन्य सभी किताबें अंग्रेजी के अलावा आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भाषाओं में प्रकाशित होंगी। देश में फिलहाल 1986 की शिक्षा नीति के तहत 2005 के नेशनल कॅरिकुलम फ्रेमवर्क के हिसाब से तैयार पुस्तकें चलन में हैं, जिसकी आखिरी कुछ किताबें 2008 तक आ पाई थीं। इसीलिए इस बार पंजाब सेंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर प्रो. जगबीर सिंह की अध्यक्षता में सिलेबस व पुस्तकें बनाने के कामकाज पर नजर बनाए रखने के लिए एक 13 सदस्यीय नेशनल ओवरसाइट कमेटी भी बनाई गई है
कॅरिकुलम तैयार, इसी के आधार पर बन रहा सिलेबस
एनसीईआरटी अधिकारी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति में सबसे मुश्किल काम करिकुलम तय करना था, जो हो चुका है। इस कॅरिकुलम तय करने की प्रक्रिया को इतने व्यापक रूप से किया गया। रिफरेंस मैटेरियल जुटाया गया कि अब सिलेबस तैयार तय होने के बाद एक तरह से विषय व अध्याय वार कंपाइलेशन और रिराइटिंग का काम ही बचेगा
वाद्य यंत्रों के लोकप्रिय नामों पर रखे जाएंगे किताबों के टाइटल
एनसीईआरटी ने फाउंडेशनल लेवल की पांच कक्षाओं- 'बाल वाटिका-1, 2 व 3 और कक्षा -1 व 2' के लिए जादुई पिटारा के रूप में पाठ्यसामग्री और किताबें फरवरी- जुलाई में जारी कर दी थीं। फाउंडेशनल लेवल की किताबों के शीर्षक में सारंगी, मृदंग व शहनाई जैसे शब्दों का प्रयोग पसंद किया गया, इसलिए किताबों के टाइटिल में भी भारतीय संस्कृति के लोकप्रिय शब्द व प्रतीकों के नाम इस्तेमाल होंगे।।
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