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शुक्रवार, 13 अक्तूबर 2023

विज्ञान के कमाल ने चंद्रयान पहुंचाया चांद पर, मगर बालिकाएं विज्ञान विषय पढ़ने से महरूम,डबलीराठान राजकीय उमा विद्यालय में 26 वर्षों से नहीं विज्ञान संकाय

 

विज्ञान के कमाल ने चंद्रयान पहुंचाया चांद पर, मगर बालिकाएं विज्ञान विषय पढ़ने से महरूम,डबलीराठान राजकीय उमा विद्यालय में 26 वर्षों से नहीं विज्ञान संकाय


विज्ञान पढ़ने को ही नहीं मिले तो कैसे पैदा होगी वैज्ञानिक सोच

डबलीराठान . भारत के मिशन मून चंद्रयान-3 की सफलता को देश की जनता सहित पूरे विश्व द्वारा सराहा गया था। इस सफलता की कहानी बच्चों को बताकर देश के विद्यालयों में जश्न एवं देश के वैज्ञानिकों को बधाइयां देते हुए बच्चों में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रूचि पैदा करने का कार्य किया गया। वहीं दूसरी ओर जिले के सबसे बड़े कस्बेनुमा गांव के सरकारी स्कूलों में विज्ञान संकाय की पढ़ाई का बरसों से इंतजार है। राज्य सरकार की अनदेखी, शिक्षा के प्रति स्थानीय जन प्रतिनिधियों की उदासीनता का खामियाजा यहां के बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।


ग्रामीणों ने दिया था स्कूल क्रमोन्नत के लिए अंशदान

शहीद चमकौर सिंह राउमावि के रुप में स्थापित गांव के रामावि को वर्ष 1997 में क्रमोन्नत करवाने में खासा जोर आया था। इस सम्बध में अशोक गाबा ने बताया कि तत्कालीन सरकार के प्रतिनिधियों से स्कूल शिक्षा विकास समिति संरक्षक सेवानिवृत्त सूबेदार मुख्तार सिंह, राज मिढ़ा, अजमेर सिंह, कृष्ण लालवाणी, बाबू सिंह, तेजा सिंह आदि द्वारा घर-घर जाकर तीन दिनों में पांच लाख रुपए राशि एकत्रित कर राजकोष में जमा करवानी थी। राशि कम रहने पर टीम के सदस्य दिवंगत चुनी लाल मिढ़ा द्वारा बैंक से अपनी जमा पूंजी से तीन लाख रुपए निकालकर दिए गए। चुनी लाल मिढ़ा को बाद में राशि एकत्रित होने पर वापस दी गई थी। तब जाकर जनसहभागिता योजना में यहां के दसवीं कक्षा तक के स्कूल को तत्कालीन सरकार ने क्रमोनत किया था।


उस समय स्वीकृत हुए वैकल्पिक विषय हिन्दी साहित्य, राजनीति विज्ञान और इतिहास को गांव के बच्चे आज 26 बरस बाद भी इन्ही विषयों को पढ़ने के लिए मजबूर हैं।राज्य में सरकारें बनती रही और बदलती रही परंतु यहां के स्कूल की तकदीर संवारने में विधायकों ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कहां तक किया यह स्कूल खुद बयां करता है। इसे राजनैतिक पिछड़ापन ही कहा जाएगा कि छोटे-छोटे गांवों में विज्ञान, कृषि विज्ञान, वाणिज्य, व्यवसायिक शिक्षा और कला वर्ग में भी विषय चयन के ज्यादा विकल्प उपलब्ध हैं परंतु जिले का सबसे बड़ा कस्बेनुमा गांव आज भी अन्य विषयों की बाट जोह रहा है। मेडिकल, नोन मेडिकल, कॉमर्स, कृषि वोकेशनल शिक्षा के लिए जिला मुख्यालय जाकर पढ़ना भारी पड़ रहा है। 



आर्थिक मजबूरी के चलते बहुत से बच्चों के इंजीनियर और डाक्टर बनने के सपने बाहरवीं कक्षा में विषय चयन का गांव के सरकारी स्कूलों में विकल्प नहीं होने से दफन हो जाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े पन की बानगी यह हैं कि तार्किक, सामाजिक और प्रशासनिक सोच को बढ़ावा देने वाले विषय दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र और लोकप्रशासन जैसे विषयों के बारे में तो बच्चों और अभिभावकों तक को जानकारी नहीं है जबकि इन विषयों के साथ-साथ भूगोल, पंजाबी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य, अर्थशास्त्र जैसे विकल्प भी सरकारी स्कूल में उपलब्ध होने चाहिए ताकि गांव के विकास के लिए अच्छी समझ के नागरिक तैयार हों।


शहीद चमकौर सिंह राउमावि में हिंदी साहित्य, राजनीतिक विज्ञान एवं इतिहास विषय हैं। राबाउमा में अंग्रेजी साहित्य, भूगोल, राजनीति विज्ञान हैं तथा कस्बे की दूसरी पंचायत कुतुबवास राउमावि में राजनीतिक, भूगोल, हिंदी साहित्य विषय की शिक्षा सुविधा है।


अभिभावक हैं परेशान

कस्बे से बाहर या निजि शिक्षण संस्थाओं में अपने बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि बच्चों को गांव से बाहर पढ़ाने का अत्यधिक खर्च उठाना उनके बूते से बाहर है। बाहर पढ़ रहे बच्चों का कहना है कि गांव के रावि में सभी विषयों की पढ़ाई का विकल्प उपलब्ध हो तो पैसे की बचत हो सकती है।


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