शिक्षकों की 30 से ज्यादा सरकारी योजनाओं में ड्यूटी, दो माह में सिर्फ 20% कोर्स हुआ, इसी माह दूसरा टेस्ट
शिक्षा विभाग सहित सरकार की करीब 30 अन्य योजनाओं में प्रदेश के एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की ड्यूटी लगी हुई है। शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने से स्कूलों में शिक्षण कार्य प्रभावित हो रहा है। हालात यह है कि जुलाई में शिक्षा सत्र शुरू हुए दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक महज 20 फीसदी कोर्स पूरा हो पाया है। जबकि अक्टूबर में बच्चों का दूसरा टेस्ट और दिसंबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा होनी है। चूंकि 10वीं-12वीं बोर्ड की अर्द्धवार्षिक परीक्षा में 100 व अन्य कक्षाओं में 70 फीसदी कोर्स से सवाल पूछे जाएंगे।
शिक्षा विभाग प्रदेश के करीब 65 हजार 112 स्कूलों में 90 लाख विद्यार्थियों के लिए अक्टूबर में दूसरे टेस्ट की तैयारी कर चुका है। लेकिन महज 20 फीसदी कोर्स ही पूरा हो पाया है। जबकि दूसरे टेस्ट में ही 40 फीसदी कोर्स से सवाल पूछे जाएंगे। ऐसे हालात में स्टूडेंट्स आधे सवालों के ही जवाब दे पाएंगे। इसका असर परीक्षा परिणाम पर होगा। सरकारी स्कूलों का परीक्षा परिणाम कमजोर रहने से नामांकन पर असर होगा। जबकि नए सत्र में नामांकन बढ़ाने के लिए शिक्षकों ने अभिभावकों से बड़े-बड़े वादे किए थे। निजी स्कूलों की तरह क्लास और सुविधाएं मुहैया करवाने के दम पर नामांकन करवाया।
एक्सप्लेनर : सह शैक्षणिक गतिविधियों के लिए अलग से तय करें समय
सेवानिवृत उपनिदेशक जगदीश प्रसाद शर्मा का कहना है कि सरकार ने 30 से ज्यादा योजनाओं में शिक्षकों की ड्यूटी लगा रही है। इनमें से करीब 20 योजनाएं सीधे तौर पर स्कूल और विद्यार्थियों से जुड़ी है। ऐसे में सरकार को इन योजनाओं को पूरा करने के लिए स्कूल समय से अलग टाइम तय करना होगा। इसके अलावा क्लास का समय कम किया जा सकता है। ताकि बच्चों की सुचारू पढ़ाई के साथ सह शैक्षणिक गतिविधियां भी की जा सके। इनमें एफएलएन ट्रेनिंग, सब्जेक्ट ट्रेनिंग, प्रधानाचार्य ट्रेनिंग, गुड टच बैड टच ट्रेनिंग एपीएआर, एसीआर व्याख्याता, आरकेएसएमबीके, नवोदय फॉर्म, इंस्पायर अवार्ड, नो बेगडे, संविधान की शपथ, अब्दुल कलाम व्यक्तित्व विकास, विभागीय खेल प्रतियोगिता, शक्ति दिवस कार्यक्रम, पीएम श्री आवेदन, निशुल्क पुस्तक वितरण, उड़ान सेनिटरी नेपकिन योजना, सीएम बाल गोपाल दुग्ध वितरण, एनआईएलपी, गार्गी पुरस्कार, मोबाइल वितरण, डिजिटल प्रवेशोत्सव, यूडीआईएसई अपडेशन, शाला सिद्धि, उपचारात्मक शिक्षण, पीटीएम, हर विद्यार्थी एक पौधा, विभिन्न छात्रवृत्ति, पालनहार, यशस्वी विद्यार्थी दुर्घटना बीमा, आईएफएमएस अपडेशन, दीक्षा पर कॉइन इकट्टा करो, विपस टेबलेट वितरण, ट्रांसपोर्ट वाउचर योजना, डायल फ्यूचर साइकिल वितरण योजना सीधे तौर पर एजुकेशन से जुड़ी है। इसके अलावा महंगाई राहत शिविर बीएलओ, प्रशासन गांवों के संग, युवा महोत्सव, शहरी ओलिंपिक खेल पंचायत, ग्रामीण ओलिंपिक ब्लॉक, स्वीप कार्यक्रम, मतदाता जागरूकता, सड़क सुरक्षा, विधानसभा प्रश्न जैसे कामों से मुक्त करना चाहिए ।
चुनौती : भर्ती प्रक्रिया में लग रहे दो से तीन साल, प्रदेश में सामान्य शिक्षा के 93 हजार पद मौजूद
प्रदेश में शिक्षकों की भर्तियां लंबे समय तक लंबितरहती है। एक भर्ती प्रक्रिया पूरी करने में दो से तीन साल लगते हैं। इस दौरान सेवानिवृति और पदोन्नति के कारण पांच से 10 हजार पद खाली हो जाते हैं। नए शिक्षकों को नियुक्ति मिलने तक स्कूल लगभग वापस उसी हालात में पहुंच जाते हैं। प्रदेश में प्रधानाचार्य के 5588, उप प्रधानाचार्य 11900, व्याख्याता 16081, वरिष्ठ अध्यापक 23912, अध्यापक 30900, शारीरिक शिक्षकों के 5300 रिक्त हैं। राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश महामंत्री उपेन्द्र शर्मा बताते हैं कि सत्र 2021-22 में प्रदेश की सरकारी स्कूलों में नामांकन 99 लाख के करीब पहुंच गया था। शिक्षकों में खुशी थी कि जल्द एक करोड़ का आंकड़ा छू लेंगे लेकिन 2022-23 के जुलाई-अगस्त महीने में 1.50 लाख शिक्षकों को नई शिक्षा के तहत एफएलएन (मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता) प्रशिक्षण में लगा दिया। ओलंपिक खेल शुरू कर दिए। नतीजा विद्यालयों में 3 लाख विद्यार्थी कम हो गए।
सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा के लिए कई नवाचार किए हैं। विद्यार्थियों की पढ़ाई को गंभीरता से ले रहे हैं। चयनित शिक्षकों की नियुक्ति के बाद स्कूलों की स्थिति और ज्यादा सुधरेगी। कानाराम, निदेशक, शिक्षा विभाग
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें