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शनिवार, 21 अक्तूबर 2023

मिशन स्टार्ट कार्यक्रम : 3800 स्कूलों में डिजिटल उपकरण ही नहीं, कैसे शत-प्रतिशत विद्यार्थियों की होगी तैयारी

 

मिशन स्टार्ट कार्यक्रम : 3800 स्कूलों में डिजिटल उपकरण ही नहीं, कैसे शत-प्रतिशत विद्यार्थियों की होगी तैयारी

बीकानेर. शिक्षा विभाग में नई-नई फ्लैगशिप योजनाएं लागू कर नवाचार तो किए जा रहे हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत विद्यार्थियों को भी मिले, इसकी तरफ सरकार का ध्यान नहीं है। हाल ही शुरू की गई नई फ्लैगशिप योजना मिशन स्टार्ट में ब्लैंडेड लर्निंग के प्रयोग से शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल लेसन गाइडेंस मॉड्यूल के अनुसार डिजिटल कंटेंट से अध्ययन कराने की पहल की गई है। निसंदेह यह योजना विद्यार्थियों के लिए अच्छी और फलदायी साबित हो सकती है। 


इससे जिन स्कूलों में विषयाध्यापकों के पद रिक्त अथवा जिनमें विषयाध्यापक अनुपस्थित होते हैं या फिर जिन स्कूलों में विषयाध्यापक हैं भी, उनमें कठिन विषय की विषयवस्तु को समझाने के लिए स्कूलों में डिजिटल सामग्री से शिक्षण को आसान बनाने की योजना है। बावजूद इसके राज्य के सभी सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूलों में डिजिटल इक्यूपमेंट ही उपलब्ध नहीं हैं, तो ऐसे में शत-प्रतिशत बच्चों को इस डिजिटल शिक्षण का लाभ मिलना संभव दिखाई नहीं दे रहा। 


जानकारी के अनुसार, राज्य के 3 हजार 802 उच्च माध्यमिक स्कूलों में मिशन स्टार्ट का लाभ विद्यार्थियों को नहीं मिल पाएगा, क्योंकि इन स्कूलों में डिजिटल इक्यूपमेंट ही उपलब्ध नहीं है। गौरतलब है कि राज्य में कुल 19 हजार 701 उच्च माध्यमिक स्कूल हैं, जिसमें से 3 हजार 802 स्कूलों में डिजिटल इक्यूपमेंट नहीं हैं। हालांकि शेष 15 हजार 899 स्कूलों में से 15 हजार 268 स्कूलों ने इस योजना के तहत शिक्षण का टाइम टेबल बनाकर शाला दर्पण पोर्टल पर अपलोड कर दिया है।



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