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रविवार, 1 अक्तूबर 2023

कल से हर सरकारी स्कूल में बच्चों की हाजरी होगी ऑनलाइन, 439 स्कूलों में नेटवर्क नहीं,गांवों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या, बिना इंटरनेट कैसे चलाएंगे एप



 कल से हर सरकारी स्कूल में बच्चों की हाजरी होगी ऑनलाइन, 439 स्कूलों में नेटवर्क नहीं,गांवों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या, बिना इंटरनेट कैसे चलाएंगे एप

स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति को मॉनिटरिंग करने के उद्देश्य से 'शाला दर्पण शिक्षक' एप लांच किया है। इसमें छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षकों की भी अब ऑनलाइन हाजरी होगी। कक्षाध्यापकों को अपनी कक्षा के बच्चों की हाजरी ऑनलाइन दर्ज करनी होगी। इसमें भी सरकार द्वारा जीपीएस सिस्टम लगाया गया है। जिसमें शिक्षक सिर्फ स्कूल की लोकेशन में ही हाजरी ऑनलाइन कर पाएंगे। ऐसे में घर बैठकर हाजरी भरने वाला सिस्टम अब पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। लेकिन जैसलमेर में इस ऑनलाइन एप के लिए शिक्षकों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ेगा। गौरतलब है कि आधा जैसलमेर जिला रेगिस्तानी है। ऐसे में यहां मोबाइल के नेटवर्क भी उपलब्ध नहीं है।  


ऐसे में इंटरनेट की बात तो बहुत दूर की है। जिससे नेटवर्क से दूर स्थित सरकारी स्कूलों में यह योजना शुरू ही नहीं हो पाएगी। सरकारी आंकड़ों की ही बात करे तो जैसलमेर में 1315 सरकारी स्कूलों में से 439 स्कूल नेटवर्क की पहुंच से दूर है। सरकारी आंकड़ों में जिले के सिर्फ 11 स्कूलों में ही ब्रॉडबैंड लगा हुआ है। ऐसे में बिना नेटवर्क ऑनलाइन हाजरी करवाना असंभव है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दावा है कि वे जल्द ही इसका निस्तारण करते हुए सभी स्कूलों की ऑनलाइन हाजरी की व्यवस्था करवा देंगे। लेकिन बिना नेटवर्क बिलकुल भी संभव नहीं है।


पहले शिक्षकों को देनी होगी ऑनलाइन अटेंडेंस 793 स्कूल मोबाइल से चलाते हैं इंटरनेट

सरकारी स्कूलों में बच्चों से पहले शिक्षकों को ऑनलाइन अटेंडेंस देनी होगी। इसके बाद कक्षाध्यापकों को अपने पहले पीरियड में शाला दर्पण शिक्षक एप में जाकर बच्चों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज की जाएगी। इससे हर रोज विभाग के पास ये जानकारी रहेगी कि आज राज्यभर में कितने स्टूडेंट्स स्कूल में हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए कितने टीचर्स पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 5 सितंबर को शाला दर्पण शिक्षक एप लांच किया था। जो अब 2 अक्टूबर को गांधी- शास्त्री जयंती से शुरू हो जाएगी।  


जिले में 1315 सरकारी स्कूल है। जिसमें से सिर्फ 11 स्कूलों में ही ब्रॉडबैंड लगा हुआ है। उसमें भी मुख्य रूप से सभी शहरी स्कूल है। इसके अलावा 65 स्कूलों में यूएसबी मॉडम से इंटरनेट चलाया जा रहा है। वहीं 793 स्कूलों में मोबाइल के भरोसे ही नेटवर्क चलाया जा रहा है। इसके अलावा 7 स्कूलों अन्य माध्यमों से इंटरनेट की पहुंच है। जिले में 876 स्कूलों में इन उपकरणों के भरोसे नेटवर्क पहुंच रहा है। इसके अलावा 439 स्कूल है जो पूरी तरह से नेटवर्क कवरेज से बाहर है। जहां ना तो मोबाइल नेटवर्क है और ना ही इंटरनेट। ऐसे में यह सरकारी एप कैसे चलेगा, यह समझ से परे है।


निदेशालय रख सकेगा हाजिरी पर नजर

माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने हर शिक्षक को यह एप जारी करने के निर्देश दिए। सरकारी स्कूल के प्रत्येक टीचर को अपने मोबाइल में ये एप डाउनलोड करनी होगी। सभी टीचर्स को स्कूल पहुंचते ही इस एप के माध्यम से उपस्थिति देनी होगी। इसके बाद क्लास टीचर को अपने क्लास के सभी स्टूडेंट्स की अटेंडेंस भी ऑनलाइन देनी होगी। ये डाटा विभाग की एप में सिंक हो जाएगा। ऐसे में निदेशालय ये पता कर सकेगा कि उनके स्कूलों में आज कितने स्टूडेंट्स उपस्थित हैं और कितने अनुपस्थित हैं। प्रिंसिपल व हैड मास्टर को इस उपस्थिति को हर रोज अप्रूव करना पड़ेगा


यह बिलकुल सही बात है कि जिले के सरकारी स्कूल मोबाइल नेटवर्क से बाहर है। ऐसे में इस एप का उपयोग अच्छी तरह से नहीं हो पाएगा। जीपीएस से अक्षांतर व देशांतर आने के बाद ही एप काम करता है। जबकि कई स्कूलों में सिग्नल ही नहीं पहुंच रहा है। लेकिन हमारा प्रयास रहेगा कि उस दिन में शाम तक बच्चों की उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज हो जाए। इसके लिए प्रयास कर रहे है। राजस्थान में दूसरे जिलों में इतनी समस्या नहीं है। लेकिन जैसलमेर जैसे दुर्गम स्थान पर इस एप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करना संभव भी नहीं है। हमारा प्रयास है कि 70 से 80 प्रतिशत स्कूलों में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। रामनिवास शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी, प्रारंभिक/माध्यमिक

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