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गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

एक साल बाद भी 5 हजार स्कूलों में व्याख्याता नहीं, 15000 पदों की स्वीकृति का है इंतजार,मार्च 2022 में प्रदेश के 3828 माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत किया था



एक साल बाद भी 5 हजार स्कूलों में व्याख्याता नहीं, 15000 पदों की स्वीकृति का है इंतजार,मार्च 2022 में प्रदेश के 3828 माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत किया था

प्रदेश में पिछले वर्ष मार्च 2022 में प्रदेश के 3828 माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत किया गया। पिछले सत्र अलग-अलग आदेश में कुल 1400 उच्च प्राथमिक विद्यालयों को सीधे ही उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत किया गया। इन सभी क्रमोन्नत विद्यालयों में 1 वर्ष बाद भी व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग में क्रमोन्नत किए गए उच्च माध्यमिक विद्यालयों में व्याख्याता पदों की स्वीकृति का इंतजार बढ़ता जा रहा है। विद्यालय क्रमोन्नति के बाद प्रत्येक उच्च माध्यमिक विद्यालय में 3 व्याख्याता पदों के हिसाब से कुल 5000 क्रमोन्नत उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 15000 व्याख्याता के पदों की स्वीकृति होनी है। लेकिन विभाग द्वारा अभी तक इन विद्यालयों में व्याख्याता के पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की है।


कुछ विद्यालयों में स्थानांतरण द्वारा व्याख्याता भी लग गए हैं। लेकिन व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने के कारण इन विद्यालयों में कार्यरत व्याख्याताओं का वेतन अन्य विद्यालयों में रिक्त चल रहे व्याख्याता पदों से वेतन आहरण किया जा रहा है। व्याख्याता के पदों के लिए हुई भर्ती के बाद अब विभिन्न विषयों के परिणाम भी जारी हो रहे हैं। लेकिन नव क्रमोन्नत स्कूलों में पद को सृजन नहीं होने से इन स्कूलों में व्याख्याताओं की नियुक्ति नहीं हो पाएगी। इसके चलते मजबूरी में सैकंड ग्रेड व तृतीय श्रेणी के शिक्षकों के भरोसे ही इन नक्क्रमोन्नत स्कूलों का संचालन हो रहा है


प्रति 2 वर्ष बाद स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा का प्रावधान

स्टाफिंग पैटर्न के बिंदु 5.4 के अनुसार प्रति 2 वर्ष बाद विद्यालयों के नामांकन की समीक्षा करने का प्रावधान रखा गया था। जिसके तहत विद्यालयों के नामांकन में कमी या वृद्धि होने पर नामांकन अनुसार पदों का पुनः निर्धारण करने का नियम बना हुआ है। लेकिन 2015 के बाद 8 वर्षों में एक बार भी स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं हो पाई है। जिसके कारण पुराने नामांकन अनुसार विद्यालयों में शिक्षकों के पदों का निर्धारण चल रहा है। इस अवधि में विद्यालयों के नामांकन में काफी वृद्धि हुई है। लेकिन स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं हो पाने के कारण पुराने नामांकन अनुसार पदों का प्रचलन है।


पहले होते थे 5 व्याख्याता पद

रेस्टा के प्रदेश प्रवक्ता बसंत कुमार ज्याणी ने बताया कि पहले प्रत्येक उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत के समय 5 व्याख्याता पदों का सृजन किया जाता था। लेकिन 2015 में स्टाफिंग पैटर्न लागू करने के बाद केवल 3 [व्याख्याता पदों का सृजन किया जा रहा है। तीसरे वर्ष अनिवार्य विषयों के व्याख्याता पद सृजन का प्रावधान रखा गया है। लेकिन स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा नहीं हो पाने के कारण 10 हजार उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अनिवार्य विषयों हिंदी व अंग्रेजी के व्याख्याता पदों का सृजन नहीं हो पाया है। ज्याणी के मुताबिक माध्यमिक व उच्च प्राथमिक से क्रमोन्नत 5 हजार उच्च माध्यमिक विद्यालयों में एक वर्ष बाद भी व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की गई है। जिसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। अतः विभाग द्वारा अतिशीघ्र क्रमोन्नत विद्यालयों में व्याख्याता पद स्वीकृत करके सीधी भर्ती व डीपीसी से भरा जाना चाहिए।


माध्यमिक शिक्षा में नहीं हुई स्टाफिंग पैटर्न की समीक्षा

माध्यमिक शिक्षा विभाग में विद्यालयों में शिक्षकों के पदों का निर्धारण नामांकन अनुसार करने के लिए स्टाफिंग पैटर्न की व्यवस्था की गई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग में अप्रैल 2015 में स्टाफिंग पैटर्न लागू किया गया था। जिसमें 2015 के नामांकन अनुसार विद्यालयों में पदों का आवंटन किया गया था।


स्टाकिंग पैटर्न की बिंदु 6.2 के अनुसार उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नति के समय केवल 3 वैकल्पिक विषयों के व्याख्याता पद सृजित किए जाएंगे। क्रमोन्नति के 2 वर्ष बाद तीसरे वर्ष कक्षा 11 व 12 में नामनकन 80 होने पर अनिवार्य विषयों के व्याख्याता पद सृजित किए जाने का प्रावधान है। लेकिन 2013 के बाद क्रमोन्नत 10 हजार उच्च माध्यमिक विद्यालय में अनिवार्य विषयों हिंदी व अंग्रेजी के व्याख्याता पदों का सृजन नहीं किया गया है।

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