5000 क्रमोन्नत स्कूलों को व्याख्याताओं का इंतजार
नई भर्ती में भी नुकसान, पिछले डेढ़ साल में सीनियर सेकंडरी में क्रमोन्नत हुई सरकारी स्कूलों में पदों को नहीं मिली वित्तीय स्वीकृति
सीकर. प्रदेश में पिछले डेढ सालों में सीनियर सैकंडरी स्कूल में क्रमोन्नत हुए पांच हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों की वित्तीय स्वीकृति अब तक जारी नहीं हुई है। इससे एक तरफ जहां क्रमोन्नत स्कूल व्याख्याताओं को तरस रहे हैं तो दूसरी और नई भर्ती में चयनित व्याख्याताओं की काउंसलिंग में भी इन स्कूलों को शामिल नहीं किया जा रहा। इससे इन क्रमोन्नत स्कूलों और नव चयनित व्याख्याताओं दोनों को ही इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। लिहाजा शिक्षक संगठनों ने क्रमोन्नत सभी स्कूलों में शिक्षकों के पद स्वीकृत करने और चयनित व्याख्याताओं ने इन स्कूलों को काउंसलिंग में शामिल करने की मांग की है।
17244 पद खाली
प्रदेश की सरकारी स्कूलों में व्याख्याताओं के 17 हजार 244 पद खाली चल रहे हैं। स्वीकृत 55 हजार 893 पदों में से 38 हजार 649 पदों पर ही व्याख्याता नियुक्त है।
एक्सपर्ट व्यू
प्रदेश में क्रमोन्नत पांच हजार से ज्यादा स्कूलों में व्याख्याताओं के पदों को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। इसका खामियाजा इन स्कूल के बच्चों और व्याख्याता भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों दोनों को हो रहा है। सरकार को जल्द इन पदों पर वित्तीय स्वीकृति जारी करनी चाहिए।-बसंत कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता, राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा
थर्ड ग्रेड शिक्षक व प्रतिनियुक्ति के भरोसे
क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने से बहुत से स्कूल प्रतिनियुक्ति पर नियुक्त व्याख्याताओं के भरोसे चल रहे हैं। वहीं हजारों स्कूलों में सैकंड व थर्ड ग्रेड शिक्षकों को भी कक्षा 11 व 12 को पढ़ाना पड़ रहा है। कई स्कूलों में तो दोनों ही व्यवस्था नहीं होने पर कक्षाएं खाली ही जा रही है।
जिले में 100 से ज्यादा स्कूल क्रमोन्नत
सरकार ने स्कूल क्रमोन्नति प्रदेश के हर जिले में की है। इनमें अकेले सीकर जिले में करीब 100 से ज्यादा सरकारी स्कूलों को उच्च माध्यमिक स्कूलों में क्रमोन्नत किया है। पर किसी भी स्कूल में व्याख्याता पद की वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है।
डीपीसी व नई भर्ती से आस
क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याता मिलने की आस करीब छह हजार पदों पर हो रही व्याख्याता भर्ती से लगी है। पर वित्तीय स्वीकृति के अभाव में इन स्कूलों को काउंसलिंग में शामिल नहीं करने पर वह उम्मीद भी धुंधली हो गई है। हालांकि इन शिक्षकों को पुराने स्कूल में नियुक्ति देकर क्रमोन्नत स्कूल में प्रतिनियुक्त कर शिक्षा विभाग राहत दे सकता है। वहीं, हाल में कैबिनेट की बैठक के बाद खुली डीपीसी की राह से भी इन स्कूलों को व्याख्याता मिल सकते हैं।
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