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गुरुवार, 19 अक्तूबर 2023

शिक्षक भर्ती घोटाला: एसीबी ने जांच में 70 शिक्षकों को माना था दोषी, जेएनवीयू के 154 शिक्षकों को पदोन्नति, सातवें वेतन आयोग का लाभ और एरियर भी दे दिया

 

शिक्षक भर्ती घोटाला: एसीबी ने जांच में 70 शिक्षकों को माना था दोषी, जेएनवीयू के 154 शिक्षकों को पदोन्नति, सातवें वेतन आयोग का लाभ और एरियर भी दे दिया


जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) में वर्ष 2013 में हुआ कथित शिक्षक भर्ती घोटाला वर्ष 2023 तक आते-आते नियमित हो गया। वर्ष 2017 में भाजपा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) कांग्रेस सरकार ने पांच साल इंतजार करने के बाद वापस लेने की अर्जी लगाई है। इन पांच वर्षों में जेएनवीयू ने न केवल 154 शिक्षकों को नियमित किया, बल्कि उन्हें कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम के तहत पदोन्नति, सातवें वेतन आयोग का लाभ और एरियर जैसे तोहफे भी दे दिए। एक तरह से भर्ती घोटाला नियमित कर दिया गया। वर्ष 2017 में गठित प्रो. पीके दशोरा कमेटी ने शिक्षक भर्ती को स्पष्ट तौर पर घोटाला माना। राजभवन ने जून 2018 में विवि को पत्र लिखकर रिपोर्ट सिण्डीकेट में रखने को कहा, लेकिन विवि व राज्य सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज किए बिना आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बीएम शर्मा की नई जांच कमेटी गठित कर दी। प्रो. शर्मा कमेटी ने शिक्षक भर्ती में घोटाला नहीं माना, इसलिए इनकी जांच रिपोर्ट विवि ने स्वीकृत कर ली।


शिक्षक भर्ती मामले में राज्यपाल करें हस्तक्षेप: राजेन्द्र राठौड़

जयपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती मामले में एसएलपी विड्रो करने के मामले में नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने राज्यपाल कलराज मिश्र को पत्र लिखा है। राठौड़ ने पत्र में मांग की है कि इस मामले में संज्ञान लेकर एसएलपी विड्रो करने की याचिका वापस लेने के निर्देश दिए जाएं। राठौड़ नेे अपने पत्र में कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने लोगों को बचाने के लिए वर्ष 2019 में एक कमेटी का गठन किया और अवैधानिक तथा अविधिक रूप से 154 शिक्षकों को नियमित करने का रास्ता निकाल दिया। इस मामले में संज्ञान लेकर तत्काल प्रभाव से सरकार को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएं।



कांग्रेस सरकार के 5 वर्षों में यह हुआ

भाजपा सरकार की ओर से वर्ष 2017 में गठित प्रो. पीके दशोरा कमेटी ने शिक्षक भर्ती में घोटाला माना, लेकिन उसकी रिपोर्ट आज तक सिण्डीकेट में नहीं रखी गई।


प्रो. दशोरा कमेटी की रिपोर्ट को दबाने के लिए जेएनवीयू शिक्षकों के कहने पर वर्ष 2020 में आरपीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बीएम शर्मा की अध्यक्षता में नई कमेटी बना दी, जिन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में शिक्षक भर्ती को हरी झंडी दे दी।


राजभवन की ओर से बर्खास्त 28 शिक्षकों को एसीबी की रिपोर्ट का आधार मानकर बहाल कर दिया गया।


पिछले दो वर्षों में इन शिक्षकों को असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद पर पदोन्नत किया गया।


बिना नियमों के इन शिक्षकों की पुरानी सेवाएं जोड़कर लाखों रुपए का एरियर दे दिया गया।


एसीबी की गिरफ्तारी से बचने के लिए कई शिक्षक जनवरी 2017 से लेकर मार्च 2017 तक विवि की ड्यूटी से गायब रहे। विवि ने पीएल/सीएल से इनके तीन महीने के बंक को मर्ज कर दिया।


वर्ष 2017 में एसीबी ने 70 शिक्षकों के विरुद्ध चालान पेश करने के साथ छह जनों को गिरफ्तार भी किया, लेकिन इन पांच वर्षों में एसीबी शांत रही।


मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद सभी असिस्टेंट प्रोफेसर्स को सिंडिकेट में कंफर्म करवा दिया गया।


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