नई शिक्षा नीति के तहत जारी की गई गाइडलाइन, अब तक 9वीं कक्षा से दे रहे थे कंप्यूटर की शिक्षा, सरकारी स्कूल में बच्चों को पहली कक्षा से पढ़ाया जाएगा कंप्यूटर, प्रदेश के सवा दो लाख बच्चों को मिलेगा फायदा
नई शिक्षा नीति के तहत अब सरकारी स्कूलों में पहली से 8वीं तक के बच्चों के लिए कंप्यूटर शिक्षा अनिवार्य की गई है। स्कूल शिक्षा, भाषा, पुस्तकालय एवं पंचायतीराज विभाग ने इसका पाठ्यक्रम जारी कर दिया है। स्कूलों में जनवरी से बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा का पाठ पढ़ाया जाएगा। अब तक स्कूलों में 9वीं से कंप्यूटर सब्जेक्ट पढ़ाया जा रहा था। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारियों को गाइड लाइन जारी की गई। प्रदेश के करीब 40 हजार स्कूलों में दो लाख 17 हजार व जिले के करीब 1130 स्कूलों में अध्ययनरत 46 हजार विद्यार्थियों को कंप्यूटर शिक्षा का फायदा मिलेगा। नई शिक्षा नीति के तहत पहली कक्षा से कंप्यूटर शिक्षा का अलग सिलेबस तय किया गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद ने इसे बीकानेर निदेशालय भेजा है। कक्षा 3 से एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) यानी कंप्यूटर साइंस पढ़ाया जाएगा। 7वीं कक्षा तक पहुंचने पर बच्चों को लैंग्वेज और इंटरनेट यूज की जानकारी दी जाएगी।
एक्सप्लेनर: इस तरह पढ़ाए जाएंगे चैप्टर, पहली कक्षा में हार्डवेयर से होंगे रूबरू
नई शिक्षा नीति के तहत पहली से 7वीं क्लास तक पढ़ाए जाने वाले चैप्टर जारी किए गए हैं। पहली क्लास में ही हार्डवेयर सिस्टम से अवगत करवाया जाएगा। सरकारी स्कूलों में नामांकन कम होने पर शिक्षा विभाग द्वारा करवाए गए सर्वे में भी बच्चों ने कंप्यूटर शिक्षा लागू करने के सुझाव दिए थे। अभिभावक शिक्षण व्यवस्था और संसाधनों को लेकर निजी स्कूलों से तुलना करते हैं। इसमें सरकारी स्कूल पिछड़ जाते हैं। सर्वे में सामने आया कि सरकारी की तुलना निजी स्कूलों के बच्चों की कंप्यूटर एजुकेशन में पकड़ जल्दी होती है। क्योंकि उन्हें पहली दूसरी क्लास से ही कंप्यूटर एजुकेशन शुरू कर दी जाती है। यह आंकड़ा सरकार के पास पहुंचने के बाद कंप्यूटर शिक्षा शुरू करने पर तेजी से काम हुआ।
कक्षा-1 बच्चों को हार्डवेयर के बारे में बताया जाएगा। इसमें कंप्यूटर का फंडामेंटल शामिल किया गया है। माउस, की-बोर्ड, सीपीयू आदि कंप्यूटर पार्ट्स की जानकारी दी जाएगी।
कक्षा-2: इसमें कंप्यूटर का उपयोग, माउस, की-बोर्ड, कंप्यूटर की स्टरिज, की-बोर्ड के फंक्शनल की, एमएस वर्ड और पेंट ब्रश का उपयोग कैसे किया जाता ।
कक्षा-3: कंप्यूटर के डिवाइस के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई करवाई जाएगी। ताकि बच्चे कंप्यूटर पर कामकाज की प्रक्रिया को समझ सकें।
कक्षा 4 : हार्डवेयर सॉफ्टेवयर कंप्यूटर के प्रकार, एमएस ऑफिस पढ़ाया जाएगा। इसमें बच्चों को कंप्यूटर के अंदर सॉफ्टवेयर से होने वाले काम की प्रक्रिया और हार्डवेयर में शामिल चीजें बताई जाएंगी ।
कक्षा-5 एमएस ऑफिस व एआई का स्ट्रक्चर का पढ़ाया जाएगा। इसमें बच्चे टाइपिंग से लेकर गणित सीख सकेंगे। सबसे ज्यादा फार्मूला एक्सल में उपयोग होता है।
कक्षा-6: कंप्यूटर लैंग्वेज, पायथन का परिचय व इंटरनेट की जानकारी दी जाएगी। इसमें बच्चों को और सोफ्टवेयर डक्लप करने के काम आने वाली लॅग्वेज पढ़ाई जाएगी।
कक्षा-7: नंबर सिस्टम, कक्षा-8: कंप्यूटर प्रोग्रामिंग आदि की जानकारी दी जाएगी। कंप्यूटर से नए प्रोग्राम कैसे है। इसकी उपयोगिता आदि की जानकारी दी जाएगी।
कक्षा-8: कंप्यूटर वायरस क्लाउड कंप्यूटिंग का पाठ पढ़ाया जाएगा। सोशल मीडिया के दौर में बढ़ रहे वायरस के खतरे सावधान रहने और बचाव के तरीके बताएं जाएंगे।
कम्प्यूटर शिक्षा के लिए आईसीटी लैब बना कम्प्यूटर अनुदेशक की नियुक्ति की गई। इसके साथ ही कार्यालयों में प्रतिनियुक्त कर दी। इससे कम्प्यूटर शिक्षा की थीम सफल नहीं हो रही है।-उपेन्द्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, शिक्षक संघ (शेखावत)
विभाग से सूचना मिलने के बाद एक से आठवीं तक की स्कूलों में उपलब्ध कंप्यूटर संसाधनों की जानकारी जुटाई जा रही है। जल्द स्कूलों में कंप्यूटर एजुकेशन को लेकर बेहतर व्यवस्था कर दी जाएगी।-घीसाराम भूरिया, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी
चुनौती : स्कूलों में कंप्यूटर सिस्टम आउट डेटेट, कई जगह खराब हुए
प्रदेश में फिलहाल 9वीं कक्षा से कंप्यूटर पढ़ाया जा रहा है। लेकिन हालात यह है कि इन स्कूलों में भी बच्चों के लिए पर्याप्त कंप्यूटर संसाधन और ट्यूटर नहीं है। ऐसे में शिक्षा विभाग के सामने नई शिक्षा नीति की पालना करवाना सबसे बड़ी चुनौती है। क्योंकि बिना संसाधन बच्चों को कंप्यूटर में पारंगत किया जाएगा। दैनिक भास्कर ने स्कूलों में कंप्यूटर क्लास, लैब सहित अन्य जरूरी संसाधनों को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट की । इसमें हालात बेहद चौकाने वाले सामने आए। कई स्कूलों में साल-सालभर से कंप्यूटर खबरा है। कई स्कूलों में कंप्यूटर पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं। ऐसे हालात में कंप्यूटर शिक्षा की अनिवार्यता पर सवाल उठने लगे हैं।
केस - 1. दौलतपुरा के राबाउमा विद्यालय में लैब है, लेकिन सभी 19 कंप्यूटर खराब है। वाइस प्रिंसिपल संगीता का कहना है कि स्कूल में कंप्यूटर अनुदेशक है। लेकिन प्रेक्टिकल के लिए कंप्यूटर सही नहीं हैं। विभाग को नए कंप्यूटर की डिमांड का पत्र लिखा हैं।
केस-2. काशी का बास गांव के राउमावि में करीब 10 कंप्यूटर की लैब है। जो सभी खराब है। प्रिंसिपल राजपाल भूकर का कहना है कि कंप्यूटर पढ़ाने के लिए शिक्षक है। लेकिन लैब में संसाधन नहीं होने से बच्चे कंप्यूटर एजुकेशन से वंचित हो रहे हैं।
केस - 3. रैवासा के राउमावि में कंप्यूटर लैब में करीब 9 कंप्यूटर है। प्रिंसिपल प्रेम कुमारी महरानिया का कहना है कि कंप्यूटर आउट डेट हो चुके हैं। ऐसे में नए सिस्टम दिए जाने चाहिए। ताकि बच्चे टेक्नॉलॉजी के साथ आगे बढ़ सके।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें