क्या ओल्ड पेंशन स्कीम के कारण राजस्थान में भाजपा को नुकसान होगा?
अनिल सक्सेना 'ललकार
भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के उच्च मानदंड स्थापित करने और सांस्कृतिक उनके लिए राजस्थान साहित्यिक आंदोलन के तहत पूरे प्रदेश में हमारा जाना हुआ। प्रदेश के दूरस्थ हो के पत्रकार साहित्यकार और प्रबुद्धजन हमारे संपर्क में आए। साहित्यकार के साथ ही पत्रका होने के कारण हमने प्रदेशभर में कई मुद्दों पर जानकारी।
अभी हम बात करेंगे प्रदेश में लागू स्कीम (ओपीएस) की । प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के कर्मचारियों से करने पर यह जानकारी सामने आई कि अशोक गहलोत के द्वारा ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के कारण विधानसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान होने की संभावना सबसे ज्यादा है।
प्रदेश के कर्मचारियों ने जिला स्तर पर पीएस के पक्ष में शुरू कर दी है और ये कांग्रेस के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। प्रदेश के अधिकांश कर्मचारियों को डर बना हुआ है कि अगर प्रदेश में भाजपा सरकार बनती है तो वो ओपीएस योजना को खत्म कर देंगे। राजस्थान के राजस्थान के कई क्षेत्रों में में कांग्रेस से नाराजगी है।लेकिन ओपीएस के मामले में कर्मचारी एकम होकर कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहे हैं।
केंद्र सरकार और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के बीच संबे समय से नई और पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर टकराव बना हुआ है।हालांकि केन्द्र सरकार पुरानी पेंशन स्कीम बहाली के पक्ष में नहीं है लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में और पेंशन स्कीम लागू कर दी, जिससे कर्मचारियों का अशोक गहलोत के पक्ष में खड़ा हो गया है। राजस्थान के साथ ही छत्तीसगढ़ झारखंड ,पंजाब और हिमाचल प्रदेश में पुरानी स्कीम बहाल कर दी गई है।
ओल्ड पेंशन स्कीम क्या है: ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत रिटायर्ड कर्मचारी को अनिवार्य पेंशन का अधिकार मिलता है। ये रिटायरमेंट के समय मिलने वाले मूल वेतन का 50 फीसदी होता है यानी कर्मचारी जितनी बेसिक पे पर अपनी नौकरी पूरी करके रिटायर होता है, उसका आधा हिस्सा उसे पेंशन के रूप में दे दिया जाता है। मतलब यह है कि इसमें सैलरी से कटौती नहीं, रिटायरमेंट पर आधी सैलरी मिलती थी बाकी जीवनभर आय के रूप में, जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा, सरकारी खजाने से पेंशन और 6 महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी होती है।
नई पेंशन स्कीम क्या है: इसमें कर्मचारी की सैलरी से 10 प्रतिशत कटौती की जाती है और यह हिस्सा पेंशन के लिए जाता है। इसमें 14 प्रतिशत हिस्सा सरकार देती है, लेकिन कोई ग्रैच्युटी नहीं मिलती है। रिटायरमेंट के बाद क्या रकम मिलेगी यह तय नहीं है क्योंकि यह शेयर मार्केटिंग पर आधारित है। कर्मचारियों से जो पैसा लिया जाता है, वह पीएफआरडीए बाजार में लगाता है और उसी में से 25 फीसदी या 40 फीसदी हिस्सा कर्मचारी निकाल सकते हैं और बाकी पैसा वार्षिकी के तौर पर उसी में पड़ा रहेगा।रिटायरमेंट के बाद भी कर्मचारी इसको निकाल नहीं सकते हैं। पुरानो स्कीम में कर्मचारियों को जनरल प्रोविडेंट फंड की सुविधा मिलती थी, जो नई स्कीम में नहीं है।
कब लागू हुई नई पेंशन स्कीम ?- एनपीएस को साल 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने लागू किया था। 2004 से पहले नौकरी करने वालों को पुरानो स्कीम का फायदा अभी भी मिलता है।
राजस्थान में कर्मचारियों का नारा 'जो ओपीएस लाए हैं, हम उनको लाएंगे: न्यू पेंशन स्कीम एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ राजस्थान के प्रदेश समन्वयक विनोद कुमार ने बताया कि पेंशन राज्य सूची का विषय होने के बावजूद केंद्र सरकार राजस्थान के कर्मचारी एवं सरकार के 41000 करोड रुपए वापस नहीं कर रही है जिससे प्रदेश के 6 लाख सरकारी कार्मिकों में भयंकर रोष व्याप्त है। परंतु दूसरी और कर्मचारी अधिकारी वर्ग यह समझ रहा है के 41000 करोड रुपए केंद्र सरकार से प्राप्त करना अब दूसरा मुद्दा हो गया है। पहला मुद्दा यह है कि इस पेंशन को बचाएं कैसे ?
उन्होंने बताया कि भारत का संविधान सरकारी कर्मचारियों को वोट डालने का अधिकार देता है और इस बार राजस्थान के कर्मचारियों, अधिकारियों ने अपने पेंशन के मुद्दे पर गंभीरता से मतदान करने का मन बना लिया है। वे यह भी बताते हैं कि प्रदेश के कर्मचारी मानते हैं कि घर सजाने का सपना तो बाद का है, पहले यह तय हो कि इस घर को बचाए कैसे ? कुल मिलाकर देखें तो राजस्थान मैं कर्मचारियों के एक बड़े तबके ने यह मानस बना लिया है कि 'जो ओपीएस लाए हैं, हम उनको लाएंगे। अब देखते हैं कि क्या मतदान के समय तक सभी कर्मचारी अपने फैसले पर अडिग रह पाएंगे ?
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