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बुधवार, 18 अक्तूबर 2023

विद्यार्थियों में हो चरित्र निर्माण, इसलिए चार स्कूलों में खुद के खर्चे से स्थापित किए बुक बैंक

 


विद्यार्थियों में हो चरित्र निर्माण, इसलिए चार स्कूलों में खुद के खर्चे से स्थापित किए बुक बैंक

राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक ने किया नवाचार, विद्यार्थियों के लिए खोला मॉरल बुक बैंक

बीकानेर. नवाचारों के जरिए शैक्षणिक उन्नयन की कोशिशों के लिए पहचान बना चुके राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक दीपक जोशी ने इस बार चार सरकारी स्कूलों में मोरल बुक बैंक मानुष की शुरुआत की है। ताकि स्कूलों में खाली कालांश में या फिर शनिवार को नो बैग डे के दिन विद्यार्थी ज्ञानवर्द्धक पुस्तकों से जुड़ सकें। जोशी ने स्वयं के खर्चे से बीकानेर जिले के चार सरकारी स्कूलों में बुक बैंक की स्थापना की है।


इनमें तीन राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जेलवेल, महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय सर्वोदय बस्ती, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नयाशहर भीमनगर शहरी क्षेत्र में तथा ग्रामीण क्षेत्र का राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सम्मेवाला शामिल है। गौरतलब है, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय जेलवेल में जोशी स्वयं प्रधानाध्यापक थे और महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय सर्वोदय बस्ती में विज्ञान के शिक्षक थे। इस समय वे अधिशेष शिक्षक होने के कारण राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय नयाशहर भीमनगर में कार्यरत हैं।


सवा सौ से अधिक पुस्तकें उपलब्ध कर्राइं

जोशी ने इन चार स्कूलों में सवा सौ से अधिक ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें उपलब्ध कराई हैं। इनमें महापुरुषों की जीवनियों, प्रेरक व नैतिक चित्रकथाएं, कथा संग्रह एवं बाल साहित्य शामिल हैं। ऐसे मोरल बुक बैंक का मुख्य उद्देश्य राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों का नैतिक व शैक्षिक उत्थान करना है। ये पुस्तकें विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण के साथ-साथ आनंददायक अधिगम को बढ़ावा देती हैं। साथ ही उनमें राष्ट्रीयता का विकास भी करेंगी। प्रति विद्यालय पांच हजार रुपए की पुस्तकें खरीदी गई हैं। उन्होंने बताया कि अगर विद्यार्थियों का रुझान और बढ़ेगा, तो और पुस्तकों की खरीद की जाएगी। अगर इस काम के लिए कोई भामाशाह भी आएगा, तो उसका सहयोग लेकर अन्य स्कूलों में भी बुक बैंक की स्थापना की जाएगी।


पूर्व में कर चुके नवाचार

सरकार की ओर से विद्यार्थियों को निशुल्क पोशाक वितरित की गई थी। उस समय जोशी ने स्वयं का खर्च तथा भामाशाहों से सहयोग लेकर जूते, जुराब तथा स्वेटर वितरित किए थे। इसके अलावा राष्ट्रपति पुरस्कार के रूप में मिले 50 हजार रुपए तथा इतनी ही राशि अन्य स्टाफ से एकत्रित कर मोबाइल बैंक की भी स्थापना की थी। विज्ञान मेलों में विद्यार्थियों के लिए मॉडल बनाने में भी आर्थिक सहयोग करते हैं।


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