चार साल से लैपटॉप का इंतजार कर रहे होनहार विद्यार्थी चुनावी साल में भी सरकार ने नहीं दिए
राजस्थान बोर्ड की कक्षा 8, 10 और 12वीं के करीब 1 लाख एवं जिले के 2 हजार से अधिक होनहार बच्चे लैपटॉप का 4 साल से इंतजार कर रहे हैं। चुनावी वर्ष में लैपटॉप मिलने की उम्मीद भी आचार संहिता लगने के साथ ही खत्म हो गई। सरकार इनके लिए करीब 250 करोड़ का प्रावधान नहीं कर पाई। इधर, विगत दो साल से पात्र छात्राओं को निशुल्क साइकिल वितरण नहीं हो सका। जिले की करीब 17 हजार से अधिक छात्राओं को इसका इंतजार है।
सरकार ने पल्ला झाड़ा, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड पर डाली जिम्मेदारी
पता करने पर पाया कि चुनावी वर्ष में सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ते हुए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के मार्फत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के पाले में गेंद डाल दी और उनसे लैपटॉप का वित्तीय प्रबंधन करने की बात कही। सूत्रों के अनुसार परीक्षा की फीस इत्यादि से बोर्ड को सालाना 200 करोड़ की आमदनी होती है, जो परीक्षा आयोजन में खर्च हो जाती है तो वो 250 करोड़ के लैपटॉप कैसे वितरित करें। सरकार के इस फरमान का बोर्ड के कर्मचारियों ने विरोध भी किया। नतीजा फाइल ठंडे बस्ते में चली गई
पहले कोविड से किनारा किया, हर बार बदला निर्णय... सरकार ने पहले कोविड के समय बच्चों से किनारा किया । आपत्ति आने पर उन्हें शामिल करने का मानस बनाया तो लैपटॉप की जगह सस्ते टैबलेट देने की योजना की घोषणा कर दी। टैबलेट देने की घोषणा अमलीजामा पहनती उससे पहले ही वापस लैपटॉप देने की घोषणा कर दी। विद्यार्थी सरकार की घोषणाओं के जाल में उलझकर लैपटॉप और टैबलेट का इंतजार ही करते रह गए।
मुख्यमंत्री की घोषणा से जगी थी आस, परिणाम सिफर... मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में हुए ग्रामीण ओलिंपिक की शुरुआत करते हुए जयपुर के राज्य स्तरीय समारोह में विगत वर्ष होनहारों को लैपटॉप को जगह स्मार्ट टैबलेट 3 साल की इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ देने की घोषणा की थी। सीएम ने कहा था की हम 3 वर्षों के बकाया टैबलेट एक साथ देंगे पर उनकी यह घोषणा मात्र घोषणा बनकर ही रह गई।
2018 में पात्र विद्यार्थियों को लैपटॉप दिए गए थे। लैपटॉप वितरण का मामला उच्च स्तर का है। साइकिल वितरण के संबंध में सूचना मांगी थी, जिसकी सूची भेज दी है। - कल्पना शर्मा, डीईओ माध्यमिक चित्तौड़गढ़
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