Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

सोमवार, 9 अक्तूबर 2023

आठवीं तक के विद्यार्थियों को राहत पर बड़े बच्चों की दूर नहीं हुई आफत

 आठवीं तक के विद्यार्थियों को राहत पर बड़े बच्चों की दूर नहीं हुई आफत


  • 149 के अभी दस्तावेजों की हो रही है जांच, बाहरी राज्यों से ली थी डिग्री
  • नवीं से बारहवीं तक के करीब साढ़े पांच हजार पद अब भी खाली

नागौर. तृतीय श्रेणी अध्यापकों की भर्ती से सरकारी स्कूल के बच्चों को खास राहत नहीं मिलने वाली है। थर्ड ग्रेड अध्यापकों की हाल ही में हुई भर्ती ‘ ऊंट के मुंह में जीरा ’ वाली कहावत साबित हो रही है । हाल ही तृतीय श्रेणी के 1316 शिक्षकों को पोस्टिंग दी गई है, जबकि 149 की डिग्री जांची जा रही है।


सूत्रों के अनुसार हाल ही में स्कूलों में नियुक्त होने वाले तृतीय श्रेणी के अध्यापकों से कुछ खास असर इसलिए भी नहीं पड़ने वाला क्योंकि यह भर्ती/नियुक्ति खाली पड़े पद के मुकाबले बीस फीसदी है। इनमें से काफी की अभी दस्तावेज जांच बाकी है। वो इसलिए कि इन्होंने अन्य राज्यों की डिग्री पेश की है, जबकि मेड़ता में पहले भी एक शिक्षक फर्जी डिग्री के आरोप में बर्खास्त हो चुका है। शिक्षा विभाग की तृतीय श्रेणी की भर्ती में अभ्यर्थियों के ताइक्वाण्डो खेल के सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़े का भी हाल ही खुलासा हो चुका है। 


फर्जी खेल प्रमाण-पत्र के मामले में ताइक्वांडो फैडरेशन के प्रमाण-पत्र में फर्जीवाड़ा करने की बात पहले ही कह दी थी। इस संबंध में फैडरेशन ने भी कहा कि जितने प्रमाण-पत्र लगाए गए हैं उनमें 90 फीसदी फर्जी हैं। सूत्रों के मुताबिक राहत की बात यह है कि 1465 तृतीय श्रेणी के शिक्षकों की नियुक्ति की जानी थी, इनमें से 1316 को पोस्टिंग भी दे दी गई है। इससे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर किया जा सकेगा। अभी 149 को पोस्टिंग नहीं दी गई है, वो इसलिए कि इनकी डिग्री समेत अन्य दस्तावेज बाहरी राज्यों के हैं। शिक्षा निदेशालय स्तर पर इनकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। जांच के बाद ही इन्हें पोस्टिंग दी जाएगी।


बरसों से हालत ज्यों के त्यों

रिक्त पदों के कारण सरकारी स्कूलों के हाल खराब हैं। परिणाम के साथ नामांकन बढ़ाने पर सरकार जोर देती है, लेकिन बरसों से पड़े खाली पदों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। एक चौथाई से अधिक पद खाली पड़े हैं और सरकार बेहतर परिणाम की अपेक्षा कर रही है। 25 हजार 792 में से 6 हजार 918 पद खाली हैं। सूत्रों के अनुसार जिले (डीडवाना-कुचामन समेत) के करीब तीन हजार से अधिक स्कूलों का यह हाल है। कई स्कूल तो एक अथवा दो शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। हालत यह है कि दसवीं-बारहवीं का कोर्स पूरा कराने के लिए शिक्षकों की वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ रही है। हर बार शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए शिक्षक संगठनों की ओर से आंदोलन होते हैं पर ये महज आश्वासन के बाद समाप्त हो जाते हैं। हाल ही में दसवीं-बारहवीं परीक्षा में मानक से भी कम परिणाम देने पर चार संस्था प्रधान को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।


प्राचार्य- उप प्राचार्य की भी किल्लत

सूत्र बताते हैं कि प्राचार्य के 836 स्वीकृत पदों में से 523 पर कार्यरत हैं वहीं उप प्राचार्य को लेकर तो हालात बहुत खराब हैं। स्वीकृत उप प्राचार्य के 592 पद में सिर्फ पांच फीसदी ही कार्यरत हैं ,जबकि 572 पोस्ट खाली पड़ी हैं। यही नहीं स्कूली व्याख्याता/शिक्षक के पद भी भारी संख्या में खाली हैं। हिन्दी के 584 में से 104 तो अंग्रेजी के 197 में से 47 पद खाली चल रहे हैं। इतिहास, भूगोल के साथ राजनीति विज्ञान विषय के शिक्षक भी काफी कम हैं। राजनीति विज्ञान के 70, इतिहास के 97 तो भूगोल के 93 पद खाली हैं। शारीरिक शिक्षक के भी पद खाली चल रहे हैं, प्रबोधक हों या शिक्षाकर्मी, पदों का टोटा बना हुआ है।


सूत्रों की मानें तो माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों का टोटा ज्यों की त्यों बना हुआ है। नवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई में शिक्षकों की कमी के कारण सरकारी स्कूलों का परिणाम औसतन आ रहा है। कई स्कूलों में तो वैकल्पिक व्यवस्था के जरिए कोर्स तक पूरा करवाया जा रहा है। ऐसे में प्राथमिक/उच्च प्राथमिक स्तर के स्कूलों को राहत मिली है तो माध्यमिक/उच्च माध्यमिक स्कूलों की आफत बरकरार है।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें