त्योहार सिर पर और...सरकार है कि भुगतान ही नहीं दे रही पैसा चहेती योजनाओं को डायवर्ट : बाबू से जज तक का अटका पैसा
जयपुर. दीपावली का त्योहार सिर पर है, लेकिन ट्रेजरी से पास बिलों पर भी आम कर्मचारियों से लेकर न्यायिक अधिकारियों (जज) तक को भुगतान नहीं मिल रहा। ट्रेजरी से पास बिल भुगतान के लिए एक माह से भी अधिक समय से कतार में हैं। इस माह 25 दिन गुजरने के बावजूद बुजुर्ग, विधवा व विशेष योग्यजनों को पेंशन नहीं मिल पाई। उधर, राज्य के स्वायत्त संस्थानों में तंगहाली से सहकारी दवा भंडारों पर दवाई नहीं, रोडवेज इस माह वेतन-पेंशन नहीं दे पाया और आरसीडीएफ ने दुग्ध उत्पादकों को दो माह से अनुदान नहीं दिया। आरएसआरडीसी भी ठेकेदारों को हजारों करोड़ नहीं चुका रहा।
कर्मचारी, अधिकारी व न्यायिक अधिकारियों को एरियर, लोन सहित अन्य भुगतान समय पर नहीं मिलने का दर्द है, लेकिन ठेकेदारों सहित अन्य बकायेदारों को चिंता है कि कहीं भुगतान सरकार के अंतिम छह माह के कार्यों की जांच में अटक नहीं जाए। इस माह रोडवेज के करीब 13 हजार कर्मचारियों व 7 हजार पेंशनरों को वेतन-पेंशन के 90 से 95 करोड़ रुपए नहीं मिल पाए। उधर, पेंडेंसी की सूची लंबी होने का कारण यह भी है कि सेवानिवृत्ति के दिन पेंशन जारी होने और वेतन एडवांस लेने की सुविधा पिछले दिनों ही लागू हुई तथा चुनावी सीजन में ठेकेदारों ने अधूरे काम के भी बिल पास करवा लिए हैं।
जिलों की स्थिति
कोटा : कर्मचारियों व अधिकारियों के एरियर सहित कई तरह के भुगतान अटके।
पाली: कुछ दिन पहले नगर परिषद ठेकेदारों को 5 माह बाद 5 करोड़ मिले, अभी 2 करोड़ रुपए का इंतजार।
सिरोही: नगर पालिका के 65 लाख रुपए का भुगतान एक माह से अटका।
बाड़मेर-जैसलमेर-बालोतरा: बीमा लोन सहित कई कार्यों का भुगतान एक से दो माह से रुका।
उदयपुर: अनुसूचित जनजाति के 11 हजार बच्चों को पिछले वित्तीय वर्ष की छात्रवृत्ति के 23 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं।
बारां: कई विभागों के बिल पास नहीं, मेडिकल कॉलेज निर्माण का करीब 10 करोड़ बकाया।
बीकानेर: वेतन और पेंशन को छोड़कर एरियर सहित अन्य भुगतान रुके हुए हैं।
अजमेर: फिक्सेशन, पेंशन का भुगतान तीन-चार माह रुका है।
बूंदी: 17 पेशनर्स का भुगतान बकाया है।
नागौर: पीडी पेमेंट, बिजली के बिल, टीए-डीए आदि।
सीकर, चूरू व नीमकाथाना: दस से अधिक ठेकेदारों के 7 करोड़ के बिल अटके।
दौसा: करीब 350 बिलों का 10 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान बकाया।
यहां भी हो रहा इंतजार
आरसीडीएफ... मिड-डे मील के लिए सप्लाई दूध पाउडर के बिल दो माह से अटके हैं, जिससे 98 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं मिला। इसी तरह दूग्ध उत्पादकों के दो माह के अनुदान के करीब 50 करोड़ रुपए बकाया है।
कॉनफेड... सहकारी दवा भंडारों का 181 करोड़ रुपए बकाया होने से वे खाली पड़े हैं और लोगों को दवाई उपलब्ध नहीं करवा पा रहे।
राजस्थान राज्य सड़क विकास व निर्माण निगम: 6000 करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स के लिए हुड़को से 5400 करोड़ ऋण मंजूर और 1400 करोड़ रुपए की पहली किस्त मिल चुकी। वित्त विभाग ने राजकीय उपक्रमों एवं संस्थाओं को भुगतान के लिए बनाए कॉमन खाते पूल पीडी अकाउंट में ऋण राशि जमा करवा दी, जिससे आरएसआरडीसी न ही 550 करोड़ रुपए के बिलों का भुगतान कर पा रहा और न यू.सी. दे पाया।
पैसा पसंदीदा कार्यों पर खर्च
आ रोप लग रहे हैं कि सरकार के पास पैसे तो हैं, लेकिन उसे नियमित खर्चों के बजाय सरकार की उन फ्लेगशिप योजनाओं पर खर्च कर दिया जो चुनाव जिताऊ साबित हों और जिसने जो मांगा उसको तत्काल पूरा करने के लिए पैसे देने में दरियादिली दिखाई।
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