एनपीएस-ओपीएस पर रार के बीच राज्यों की मांग, पेंशन भले कम हो पर फिक्स हो
नई दिल्ली. कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू होने के बाद केंद्र सरकार पर नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत फिक्स पेंशन दिलाने का दबाव बढ़ रहा है। एनपीएस के तहत गारंटीड पेंशन पर सुझाव देने के लिए केंद्र सरकार ने जिस पैनल का गठन किया है, उसके सामने कई राज्यों ने केंद्र से फिक्स पेंशन की मांग की है। राज्य चाहते हैं कि भले ही एनपीएस के तहत कम पेंशन दी जाए, लेकिन पेंशन की राशि फिक्स होनी चाहिए।
कुछ राज्यों ने न्यूनतम वेतन स्तर से जुड़ी सुनिश्चित पेंशन की मांग की है। उनका कहना है कि एनपीएस में न्यूनतम पेंशन अंतिम आहरित वेतन का 50% नहीं, बल्कि प्रवेश स्तर के वेतन का 50% होना चाहिए। वहीं कई राज्य एनपीएस को खत्म कर ओपीएस लागू करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाएगा। ऐसे में विशेषज्ञों को आंध्र प्रदेश का गारंटीड पेंशन सिस्टम बेहतर विकल्प नजर आ रहा है, क्योंकि यह दोनों प्रणाली का मिश्रण है।
क्या है आंध्र का नया गारंटीड पेंशन सिस्टम
आंध्र प्रदेश गारंटीड पेंशन सिस्टम विधेयक एक कॉन्ट्रिब्यूटरी स्कीम यानी अंशदायी योजना है जो गारंटी देती है कि सरकारी कर्मचारियों को उनके अंतिम सैलरी का 50% मासिक पेंशन के रूप में दिया जाएगा और इसमें महंगाई भत्ता राहत भी शामिल होगा। यह सरकार पर अधिक वित्तीय बोझ बढ़ाए बिना पेंशन का आकर्षक विकल्प है।
पेंशन मिलती है ओपीएस में अंतिम माह के वेतन का
केंद्र की परेशानी: ओल्ड पेंशन स्कीम में महंगाई को लिंक किया गया है। इसके चलते हर सरकारी कर्मचारी के पेंशन में महंगाई के आधार पर सालाना 6% से 8% की बढ़ोतरी हो जाती है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ता है।
इसलिए बढ़ी ओपीएस की मांग
पुरानी पेंशन प्रणाली के तहत कर्मचारी की आखिरी सैलरी का 50% हिस्सा हर माह पेंशन के रूप में दिया जाता है, जबकि एनपीएस में पेंशन किए गए अंशदान के आधार पर मिलता है।एनपीएस में अंतिम महीने की सैलरी का अधिकतम 35% से 40% ही पेंशन मिलता है, वह भी निश्चित नहीं हैं। क्योंकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का पेंशन राशि पर असर पड़ता है। नई पेंशन योजना में मैच्योरिटी पर 60% राशि एकमुश्त मिलती है। वहीं 40% राशि से एन्युटी खरीदना होता है जिससे पेंशन मिलती है। पेंशन राशि टैक्सेबल है। ओपीएस में मासिक पेंशन टैक्सफ्री है।
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