परेशानी: बेपटरी हुई आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था,महीनों से नहीं मिला किराया व कार्यकर्ताओं को मानदेय, विभाग की ओर से दिए चूल्हे की गुणवत्ता पर उठे सवाल
सीकर. सरकार के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश के ज्यादातर ब्लॉकों में आंगनबाड़ी केन्द्र की व्यवस्था बेटपरी है।सीकर सहित प्रदेश की कई बाल विकास परियोजनाओं की ओर से लगभग एक साल से किराए के भवनों का किराया नहीं चुकाया गया है। ऐसे में भवन मालिकों की ओर से लगातार कार्यकर्ताओं से भवन खाली जमा कराने की धमकी दी जा रही है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय नहीं दिया जा रहा है।
सीकर शहर की कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने विभागीय अधिकारियों को अपना दर्द बताया है। इधर कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कई महीने से वह किराए की पीड़ा बता रही है लेकिन विभाग की ओर से दो महीने से जल्द भुगतान कराने का आश्वासन देकर टरकाया जा रहा है। इधर, कई कार्यकर्ताओं ने मानदेय भी समय पर नहीं मिलने की बात कही है।
नियमित करने का सपना भी अधूरा
मानदेय कर्मचारियों को नियमित करने का मामसा भी दस सालों से उलझा हुआ है। सियासी दलों की ओर से कई बार चुनाव के घोषणा पत्रों में मानदेय कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया गया। इसके बाद भी अभी भी मानदेय कर्मचारी नियमित नहीं हो सकी है।
सिलेंडर वितरण योजना भी सवालों के घेरे में
शहर की कई आंगनबाड़ी केन्द्रों की कार्यकर्ता, सहायिका व सहयोगनी ने गैस सिलेंडर वितरण योजना को लेकर सवाल उठाए है। आरोप लगाया कि कई रेगुलेटर लीकेज है इससे हादसा होने की आशंका है। इस मामले में कई कार्यकर्ताओं ने विभाग की महिला पर्यवेक्षकों को इस संबंध में शिकायत दी है। इस पर रेगुलेटर को खुलवा दिया गया। कार्यकर्ताओं का कहना है कि लीकेज की वजह से कभी भी हादसा हो सकता है।
सीडीपीओ: वीसी में बताई है समस्या
आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवन किराए के मामले में बजट की डिमांड की हुई है। बुधवार को वीसी में भी यह मुद्दा उठाया है। कार्यकर्ताओं को मानदेय लगातार जारी कराया जा रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर आने वाले नैनिहालों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
रिया पूनिया, सीडीपीओ, सीकर
केस एक: घर से कैसे चुकाए किराया
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि 2023 में किराए का एक रुपया भी नहीं मिला है। मकान मालिक का कहना है कि विभाग तो पता नहीं कब देगा बजट। ऐसे में केन्द्र की जगह को खाली करते है तो इतने कम बजट में दूसरा भवन मिलना मुश्किल है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि कब तक घर से ऐसे किराया चुकाते रहेंगे।
केस दो:कैसे बढ़ेगा केंद्रों पर नामांकन
कार्यकर्ताओं का कहना है कि एक तरफ सरकार की ओर से केंद्रों पर नामांकन बढ़ाने के दावे किए जा रहे हैं। जबकि केन्द्रों पर संसाधन नहीं बढ़ाए जा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों के भवन अलॉट करने के प्रस्ताव लिए गए। इनको अभी तक मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें