कमजोर बच्चों की उम्मीद बन रही शिक्षा में बढ़ते कदम योजना
सूरवाल. कोरोना काल में लर्निंग एप में पिछड़े बालकों को आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम द्मयोजनाद्य उपयोगी साबित हो रही है। इस कार्यक्रम के तहत बालकों के शिक्षण कार्य के आंकलन, मापन और मूल्यांकन को और बेहतरीन बनाया जा रहा है। इससे विद्यार्थी परीक्षाओं में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो सकें। कोरोना काल में शिक्षा से पिछड़े बालक-बालिकाओं एवं इनमें आए अधिगम अन्तराल को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम योजना को चलाया गया है। जो कारगर साबित हो रही है। शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों के शिक्षा अधिकारियों को कार्यक्रम को प्रभावी बनाने और अच्छी मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं।
वर्कबुक से मिला लाभ
राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम कार्यक्रम के तहत पिछले दो सालों से कक्षा तीन से पांचवीं और छठी से आठवीं तक के बालक-बालिकाओं के लिए अभ्यास चरण के लिए वर्क बुक तैयार की जाती है। यह वर्क बुक राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर से तैयार की जाती है और स्कूलों में बालक-बालिकाओं को वितरित कर दी जाती है। इन कार्य पुस्तिकाओं को अभ्यास चरण चलाकर पूरा करवाया जाता है, इसके लिए स्कूलों में अलग-अलग कालांश निर्धारित किए गए हैं।
यूं करते हैं पढ़ाई का आकलन
वर्क बुक में कक्षा तीन से पांचवीं तक में 20 और छह से आठवीं तक में 30 प्रश्न होते हैं। इसके बाद शाला दर्पण पोर्टल पर ऑनलाइन डाले गए पेपर की प्रिंट निकालकर स्कूलों में परीक्षा आयोजित करवाई जाती है। इसकी वर्कबुक शीट को ऑनलाइन जांच कर बालक-बालिकाओं का आंकलन, मापन और मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रक्रिया में से कमजोर और होशियार बालक-बालिकाओं का वर्गीकरण कर लिया जाता है। बाद में संबंधित विषय के शिक्षक से कमजोर बालकों को फीडबैक दिया जाता है, जिससे कि वे आगामी परीक्षाओं में और अच्छे अंक ला सकें।
इस योजना की प्रभावी मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके लिए राजस्थान के शिक्षा में बढ़ते कदम एप बना हुआ है। इससे सरकार एवं शिक्षा निदेशालय से मिले निर्देशो के तहत योजना को एक सेतु की तरह काम में लिया जा रहा है।-राजेश मंगल, सीबीईओ, सवाईमाधोपुर
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