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शनिवार, 14 अक्तूबर 2023

आदिवासी अंचल में शिक्षा का ऐसा हाल कहीं जर्जर भवन तो कहीं शिक्षकों का अभाव

 


आदिवासी अंचल में शिक्षा का ऐसा हाल कहीं जर्जर भवन तो कहीं शिक्षकों का अभाव

उदयपुर . आदिवासी अंचल की जब बात आती है तो हरी-भरी, ऊंची-नीची वादियों के बीच निकलते हुए घुमावदार रास्ते, पहाड़ियों से निकलते हुए झरने और कहीं कच्चे घर तो कहीं झोंपड़ियों में रहते आदिवासी लोग याद आ जाते हैं। ये तस्वीर दूर से ही भले अच्छी लगती हो लेकिन यहां जीवन का संघर्ष भी है। उदयपुर जहां स्मार्ट सिटी बन चुका है और तमाम सुविधाओं से परिपूर्ण है, वहीं यहां से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बसे आदिवासी अंचल के लोगों की दुनिया पूरी तरह अलग है। यहां आज भी बच्चे स्कूल जाने के लिए घंटों पैदल चलते हैं तो जंगलों, नदियों के रास्तों को पार कर स्कूल तक पहुंचने का संघर्ष रोज करते हैं। कहीं किराए के कमरों में तो कहीं एक या दो कमरों में ही स्कूल चल रहे हैं। डिजिटल होते जमाने में शिक्षा विभाग भले ही डिजिटल प्रवेशोत्सव और ऑनलाइन शिक्षा के दावे करता हो, लेकिन कई आदिवासी क्षेत्रों के स्कूलों की हकीकत कुछ और ही है।


यहां स्कूल तक पहुंचना मुश्किल


इन स्कूलों में कमरों के लिए संघर्ष

● कोटड़ा ब्लॉक के राप्रावि खुणा और राजकीय प्राथमिक विद्यालय, सेईकला, क्यारी तक पहुंचने के लिए लगभग 7 किमी. तक कच्चा और उबड़-खाबड़ रास्ता पार कर पहुंचना पड़ता है। वहीं, बरसात के दिनों में नदी-नाले और जंगल भी परेशानी बढ़ा देते हैं।


● राप्रावि खेराखेत जाने के लिए खौफनाक जंगल पार करना पड़ता है। यहां आजादी के बाद पहली बार 2013 में स्कूल खुला था। यह स्कूल केवल 5वीं तक का है। इसके बाद यहां से 8 किमी. दूर धोल की पाटी में माध्यमिक विद्यालय है, लेकिन वहां तक पहुंचना भी एक चुनौती ही है। इसलिए बच्चे यहां 5वीं के बाद ही पढ़ाई छोड़ देते हैं।


उदयपुर जिले के गिर्वा, कोटड़ा, गोगुंदा, खेरवाड़ा, सलूंबर, झाड़ोल आदि क्षेत्रों के विभिन्न स्कूलों में कमरों और भवनों के लिए संघर्ष सालों से चल रहा है।


● राजकीय प्राथमिक विद्यालय, पारगीफला, कोटड़ा का स्कूल तो ऐसा स्कूल है, जो कुक कम हेल्पर के घर पर संचालित किया जा रहा है। यहां लगभग 100 बच्चे पड़ते हैं। इस स्कूल का भवन वर्ष 2022 में जर्जर होकर गिर गया था। वहीं, राजकीय प्राथमिक विद्यालय पीपली खेत, ग्राम पंचायत खुणा, कोटड़ा में विद्यालय जर्जर हालत में चल रहा है। यहां एक ही कमरे में पढ़ाई करने को विद्यार्थी मजबूर हैं।


● राजकीय प्राथमिक विद्यालय, उपलाफला सामलाई, पानवामगरा, खेरवाड़ा एक छोटे से कमरे में वर्ष 2013 से चल रहा है। वर्तमान में 55 विद्यार्थियों का नामांकन है और 3 शिक्षक कार्यरत हैं।


● राउप्रवि कचारिया, ब्लॉक झल्लारा स्कूल में कुल 140 बच्चों का नामांकन है। यहां 1 से 8 तक कक्षाएं संचालित हैं लेकिन कक्षाकक्ष केवल 2 ही हैं। राज्य सरकार द्वारा 2021 में विद्यालय को प्राथमिक से उच्च प्राथमिक किया गया था परंतु वर्तमान में 1 कमरे में 1 से 5 और दूसरे कमरे में 6 से 8 तक कक्षाएं लगती हैं।


100 से अधिक स्कूल ऐसे जो एक कमरे या किराए के भवनों में चल रहे

उदयपुर जिले में कुल प्राथमिक विद्यालय 2223, उच्च प्राथमिक 745 तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय 885 हैं। इनमें 100 से अधिक विद्यालय ऐसे हैं, जो एक कमरे में चल रहे हैं या फिर किराए के भवनों में या बगैर भवन ही चलाए जा रहे हैं। जानकारी के अनुसार जिले के विद्यालयों में वर्तमान समय में बालकों व कक्षाओं के अनुपात में 1200 कमरों की जरूरत है। साथ ही इन विद्यालयों में लगभग 60 से 70 प्रतिशत कमरे जर्जर हालत में हैं, जिन्हें मरम्मत की सख्त जरूरत है।

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