एक साल पहले साढ़े तीन हजार स्कूल किए क्रमोन्नत, अभी तक एक भी पद स्वीकृत तक नहीं किया, बिना व्याख्याता स्कूलों में कैसे होगी पढ़ाई
श्रीगंगानगर। स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार पानी की तरफ पैसा खर्च कर रही है साथ ही एकाएक स्कूलों को क्रमोन्नत भी कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि एक साल पहले जिन साढ़े तीन हजार स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया, उनमें से अधिकांश स्कूलों में आज भी व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं किए गए इनमें श्रीगंगानगर जिले में 112 और हनुमानगढ़ में 70 स्कूल क्रमोन्नत किए गए थे। जबकि पिछले साल बोर्ड परीक्षाएं भी हो गई और परिणाम भी आ गया इतना ही नहीं नया शिक्षा सत्र भी शुरू हो गया, लेकिन इन क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याता नहीं लगाए गए। ऊपर से पेच यह भी है कि हाल ही में हुई भर्ती परीक्षा में चयनित हुए अभ्यर्थियों के लिए इन स्कूलों में व्याख्याता का एक पद भी स्वीकृत नहीं है।
33 जिलों में 3832 स्कूल क्रमोन्नत
मार्च 2022 में प्रदेश के सभी 33 जिलों के पुनर्गठन से पहले ) जिलों में साढ़े तीन हजार से अधिक स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया था। इसमें सभी स्तर के स्कूल शामिल थे। सबसे अधिक बाडमेर में 285 स्कूल क्रमोन्नत किए गए थे। जबकि सबसे कम झालावाड़ में 40 स्कूलों को क्रमोन्नत किया गया था।जानकारी के मुताबिक, सभी 33 जिलों में 3832 स्कूलों को क्रमोन्नति का तोहफा दिया गया था। ये सभी विद्यालय मार्च 2022 में एक साथ माध्यमिक से उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत हुए थे। इनमें से किसी भी विद्यालय में व्याख्याता का पद स्वीकृत नहीं किया गया।
इन जिलों में इतने स्कूल क्रमोन्नत
श्रीगंगानगर 112 तथा हनुमानगढ़ में 70, अजमेर 144, अलवर 189, बांसवाड़ा 85, बारां 46, बाड़मेर 285, भरतपुर 117 भीलवाड़ा 122, बीकानेर 129, बूदी 58, चितौड़गढ़ 77. चूरू 179, दौसा 87, धौलपुर 94. इंगरपुर 75 स्कूल क्रमोन्नत किए गए थे। इसी तरह जयपुर में 235, जैसलमेर 58, जालौर 108 शलावाड़ 40, 141, जोधपुर 198, करौली 77, कोटा 82, नागौर 213, पाली 139, प्रतापगढ़ 56, राजसमद 69, सवाई माधोपुर 65 सीकर 181, सिरोही 52, टाँक 59 तथा उदयपुर जिले में 188 स्कूलों को माध्यमिक से उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किए गए थे।
शिक्षक संघों ने उठाया सवाल
सरकार ने शिक्षा को बढ़ावा देने तथा बालिकाओं की दसवी को पढ़ाई को आगे जारी रखने के लिए 2022 में 3832 स्कूलों को क्रमोन्नत तो कर दिया, लेकिन इनमें व्याख्याताओं के पद स्वीकृत नहीं किए। जबकि इस साल और स्कूल क्रमोन्नत कर दिए गए है। सवाल यह है कि बिना व्याख्याता ही स्कूलों को क्रमोन्नत करने से शिक्षा का स्तर कैसे सुधरेगा।-बसंत कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ
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