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रविवार, 8 अक्तूबर 2023

Israel-Hamas War Update: ओवरकॉन्फिडेंस में इजरायल ने फिर दोहरा दी 50 साल पुरानी गलती; हमास से जंग के बीच सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां

Israel-Hamas War Update: ओवरकॉन्फिडेंस में इजरायल ने फिर दोहरा दी 50 साल पुरानी गलती; हमास से जंग के बीच सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां

 Israel-Hamas War Update: ओवरकॉन्फिडेंस में इजरायल ने फिर दोहरा दी 50 साल पुरानी गलती; हमास से जंग के बीच सामने खड़ी हैं ये चुनौतियां


Israel-Palestine War: आज से करीब 50 साल पहले, इजराइल 1973 के योम किप्पुर जंग की जानकारी जुटाने में नाकामयाब रहा था. तब अरब देशों के गठबंधन ने उसकी सीमाओं पर चौंकाने वाला हमला किया था. अब लगता है कि देश की इंटेलिजेंस फिर सुरक्षित होने के ओवरकॉन्फिडेंस की शिकार हो गई.


इजराइली समाज में यह बात काफी फैली हुई थी कि आतंकवादी समूह हमास खुद को और गाजा के लोगों को और ज्यादा दर्द और नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए इजरायल पर हमला नहीं बोलेगा. लेकिन शनिवार की सुबह हवा, जमीन और समुद्र के रास्ते किए गए हमलों ने उसके इस मिथक को तोड़ दिया.


हमले की शुरुआत इजराइल पर 2,000 से अधिक रॉकेट दागे जाने से हुई. रॉकेटों की आड़ में, गाजा से बड़े पैमाने पर जमीनी ऑपरेशन शुरू किया गया और गाजा पट्टी से सटे 20 से अधिक इजरायली कस्बों और सेना के ठिकानों पर हमला किया गया.


इजराइल को इससे भारी नुकसान हुआ और खबर लिखे जाने तक 600 से ज्यादा इजराइली मारे जा चुके हैं और 2000 से ज्यादा घायल हैं. इसमें और इजाफा होने की आशंका है. हमास के हमलों का जवाब देने के लिए इजरायल ने ऑपरेशन आयरन स्वॉर्ड शुरू किया और देखते ही देखते गाजा स्थित हमास के ठिकानों और कमान पर इजरायली वायुसेना ने बम गिराए. गाजा में अब तक 230 से ज्यादा फलस्तीनी अब तक मारे जा चुके हैं जबकि 1,700 घायल हुए हैं.


हमले के पीछे का गणित


योम किप्पुर जंग के मामले की तरह, आने वाले हफ्तों, महीनों और सालों में इंटेलिजेंस, ऑपरेशन और राजनीतिक विफलताओं पर कई विश्लेषण और जांच की जाएंगी, जिनकी वजह से हमास हमले में सफल रहा. हमले को साफ तौर से शुरुआत में इजराइल ने अनदेखा किया गया था, और फिर घंटों तक बिना तैयारी के इजराइली सैनिकों ने इन हमलों का मुकाबला किया. हमले के लिए 1973 के युद्ध की तरह जानबूझकर सबाथ और सुक्कोट की यहूदी छुट्टी को चुना गया.


अब तक तय नहीं है कि हमास ने किस रणनीतिक गणना के आधार पर हमले की शुरुआत की. हालांकि हमास के खिलाफ इजराइल की गंभीर जवाबी कार्रवाई और गाजा की आबादी का गंभीर नतीजा भुगतना लाजमी था. ऐसे में यह आशंका है कि संघर्ष जैसे को तैसे के जवाब से परे जा सकता है. इजराइली जेलों में बंद हमास के आतंकवादियों की अदला-बदली के तहत इजराइली नागरिकों का अपहरण हमास के पहले के अभियानों का एक मकसद होता था.


कैदियों को छुड़ाना हो सकता है मकसद


इजराइली सैनिक गिलाद शालित को गाजा में 2006 से बंदी बनाकर रखा गया था और 2011 में उसे एक हजार से अधिक फलस्तीनी कैदियों के बदले में रिहा किया गया था. इन कैदियों में गाजा में हमास का वर्तमान नेता याह्या सिनवार भी शामिल था जो इजराइल की जेल में 22 साल से कैद था.


शनिवार के हमले में दर्जनों इजराइलियों को बंदी बनाए जाने की खबरें आई हैं, जिनमें कई आम नागरिक हैं. इससे संकेत मिलता है कि हमले के पीछे कैदियों की अदला-बदली एक बड़ा मकसद हो सकता है. हमास के आतंकवादियों ने इजराइल के दो दक्षिणी शहरों में अज्ञात संख्या में लोगों को घंटों तक बंधक बनाए रखा जिन्हें बाद में इजराइल की स्पेशल फोर्स ने छुड़ाया.


हमास का एक और बड़ा मकसद सऊदी अरब और इजराइल के बीच संबंधों को सामान्य बनाने को लेकर अमेरिका और सऊदी अरब के बीच चल रही बातचीत को रोकना भी हो सकता है.


ईरान के लिए होगी बड़ी सफलता


इन बातचीतों को रोकना हमास के प्रमुख समर्थक ईरान और उसके सहयोगियों के लिए एक अहम सफलता होगी. ईरान ने कहा है कि वह इजराइल के खिलाफ हमास के हमलों का समर्थन करता है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि क्या ईरान या हिजबुल्लाह (लेबनान में आतंकवादी समूह जिसकी हमास के साथ साझेदारी है) आने वाले दिनों में इजराइल के खिलाफ एक और मोर्चा खोलेंगे.


ईरान या लेबनान की ओर से मोर्चा खोले जाने पर इजराइल की मुश्किल बढ़ेगी. यही स्थिति तब होगी यदि हमास के साथ युद्ध वेस्ट बैंक तक फैलता है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच पहले से ही तनाव है और झड़पें होती रहती हैं.


आगे क्या हो सकता है?

गाजा में हमास के खिलाफ इजराइल का जवाबी हमला ‘आयरन स्वॉर्ड्स’ नाम से लंबे समय तक चलने की संभावना है. इसके सामने आने वाली चुनौतियां बहुत बड़ी हैं.


इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार को इजरायली जनता के विश्वास को बहाल करने और हमास व अन्य दुश्मनों के खिलाफ इजराइल की ध्वस्त हो चुकी सैन्य प्रतिरोध क्षमता को फिर बहाल करने के अलावा कई अन्य चुनौतियों का भी सामना करना होगा.


दर्जनों इजराइली बंधकों को बचाने के संभावित अभियान को लेकर इजराइली फोर्सेज का जोखिम काफी बढ़ गया है, अगर वे जमीनी कार्रवाई करते हैं तो लेबनान, वेस्ट बैंक और इजराइल के भीतर मिश्रित यहूदी-फलस्तीनी आबादी वाले शहरों सहित अन्य मोर्चों पर तनाव बढ़ने का खतरा है.


फलस्तीनी नागरिकों के हताहत होने की संख्या बढ़ने के साथ किसी आक्रामक अभियान के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन को बनाए रखना भी मुश्किल हो सकता है.


और बढ़ेगा खून-खराबा

हिंसा का मौजूदा दौर अभी शुरू हुआ है, लेकिन यह दशकों में सबसे खूनी हो सकता है. शायद 1980 के दशक में लेबनान में इजराइल और फलस्तीनियों के बीच हुए युद्ध के बाद से 


इजराइली, हमास के खिलाफ अपने देश की सैन्य प्रतिरोध क्षमता को फिर बहाल करने को ज्यादा अहम मानेंगे. कई लोगों का मानना है कि यह क्षमता गाजा पर इजराइल के सैन्य कब्जे के रूप में हो सकती है. यह गाजा के आम लोगों के लिए और ज्यादा विनाशकारी नतीजे लाएगा.


कई फलस्तीनियों के लिए, इस वीकेंड की घटनाएं इजराइलियों के लिए उस जीवन का एक छोटा सा अनुभव है जो वे कब्जे के अधीन दशकों से जी रहे हैं. हालांकि, शुरुआती जश्न जल्द ही गुस्से और हताशा में बदल जाएगा क्योंकि फलस्तीनी नागरिकों के हताहत होने की संख्या बढ़ती जाएगी. हिंसा ही हिंसा को जन्म देगी.


इजरायल की राजनीति पर पड़ेगा असर


अल्पकाल और मध्यम काल में हमास के अचानक किए गए हमले के नुकसान का असर इजराइल की घरेलू राजनीति पर पड़ना तय है. हालांकि, हमले का इजराइलियों और उनकी सुरक्षा पर पड़ने वाले असर का आकलन करना जल्दबाजी होगी. एक चीज तय है कि पहले ही इजराइलियों और फलस्तनियों के बीच मौजूद अविश्वास का भाव और भी अपने निचले स्तर पर चला जाएगा.

यकीनन, इस वीकेंड इजराइल का राष्ट्रीय आघात और नेतन्याहू की दक्षिणपंथी सरकार की कट्टरपंथी संरचना के कारण आने वाले दिनों में उनके लिए इसी तरह का संयम दिखाना बहुत मुश्किल हो जाएगा.


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