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बुधवार, 22 नवंबर 2023

मुद्दा: 18% डीए का बकाया, ओल्ड पेंशन, आयुध कारखाने व 11 लाख जॉब, क्या ये इंडिया के घोषणापत्र में होंगे?



मुद्दा: 18% डीए का बकाया, ओल्ड पेंशन, आयुध कारखाने व 11 लाख जॉब, क्या ये इंडिया के घोषणापत्र में होंगे?

 विभिन्न संगठनों से जुड़े सरकारी कर्मचारी अब अपनी मांगों के लिए केंद्र सरकार से नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के 'इंडिया' गठबंधन से आग्रह कर रहे हैं। एआईटीयूसी की जनरल काउंसिल मीटिंग, जो तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 21 से 24 सितंबर तक आयोजित हुई है, उसमें इंडिया गठबंधन से अपील की गई है कि वे कर्मचारियों की मांगों को अपने एजेंडे में शामिल करें। इसके लिए एक प्रस्ताव पास किया गया है। एआईटीयूसी के राष्ट्रीय सचिव सी. श्रीकुमार ने कहा है कि सरकारी कर्मियों के 18 प्रतिशत डीए का बकाया, पुरानी पेंशन, आयुद्ध कारखानों का निजीकरण रोकना व केंद्र सरकार के विभिन्न महकमों में खाली पड़े 11 लाख पदों को भरना, आदि बातों सहित 21 प्वाइंट, इंडिया गठबंधन के सामने रखे गए हैं। अब इंडिया गठबंधन को यह बताना है कि 2024 में केंद्र में उनकी सरकार आती है तो वे 21 प्वाइंट एजेंडे पर क्या कदम उठाएंगे। 


हर वर्ष 2 करोड़ नौकरियां पैदा करने की बात ...

 

श्रीकुमार के मुताबिक, इंडिया गठबंधन को अपने चुनावी दस्तावेजों/घोषणापत्र में श्रमिक वर्ग से संबंधित मुद्दों को शामिल करना चाहिए। भाजपा सरकार जनविरोधी, मजदूर विरोधी और किसान विरोधी है। यह गंभीर चिंता का विषय है कि वर्तमान सरकार अपने राजनीतिक लाभ के लिए 'फूट डालो और राज करो' के सिद्धांत को अपना रही है। इसके द्वारा देश के लोगों को क्षेत्रवाद, धर्म और जाति के आधार पर ध्रुवीकृत करने का प्रयास किया जा रहा है। 


बेरोजगारी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। महंगाई ने आम लोगों का जीना दूभर कर दिया है। रुपये का अवमूल्यन हो रहा है। 2014 में चुनावों के दौरान भाजपा का वादा था कि हर वर्ष 2 करोड़ नौकरियां पैदा की जाएंगी। अब सरकार उस वादे को पूरी तरह से भूल गई है। पिछले 9 वर्षों के दौरान कई क्षेत्रों के श्रमिकों और कर्मचारियों ने अपनी नौकरियां खो दी हैं। सरकारी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र में 16 लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं। 


भारतीय श्रम सम्मेलन 2015 से बंद है ... 

श्रीकुमार के अनुसार, मजदूरों के अहित वाले श्रम कानूनों को रद्द किया जाए। चार प्रो कॉरपोरेट विरोधी मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं को लागू करने का निर्णय वापस हो। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाला भारतीय श्रम सम्मेलन 2015 से बंद है। इसे तुरंत बहाल किया जाना चाहिए। श्रम मंत्रालय और अन्य मंत्रियों को ट्रेड यूनियनों के साथ नियमित बातचीत करनी चाहिए। ध्यान रहे कि इस मामले में किसी विशिष्ट ट्रेड यूनियन के प्रति कोई पक्षपात नहीं हो। सभी द्विदलीय और त्रिपक्षीय निकायों में आनुपातिक आधार पर प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय श्रम मानकों और अनुसमर्थित आईएलओ कन्वेंशन का सम्मान किया जाना चाहिए। सभी मंत्रालयों और विभागों द्वारा ट्रेड यूनियनों को उचित महत्व दिया जाए।

 


इंडिया गठबंधन के सामने रखी हैं ये 21 मांगें ... 

  • बैंक, सामान्य बीमा, एलआईसी, बीएचईएल, कोयला, तेल, बिजली, सड़क परिवहन, हवाई बंदरगाह और बंदरगाह आदि सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण बंद हो। सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करने और विकसित करने के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ परामर्श शुरू करना। 
  • आयुध कारखानों (रक्षा उद्योग) के बुरी तरह से विफल हुए निगमीकरण को वापस लिया जाए। इसकी स्थिति को एक सरकारी संगठन के रूप में वापस बहाल करें। ट्रेड यूनियनों द्वारा दिए गए वैकल्पिक प्रस्ताव पर उनके साथ चर्चा कर आयुध कारखानों को दोबारा से मजबूत तरीके से विकसित करें। 
  •  डीआरडीओ के पुनर्गठन के लिए नियुक्त समिति को वापस लिया जाए। एआईडीईएफ द्वारा डीआरडीओ को मजबूत करने के लिए रामाराव समिति को दिए गए प्रस्ताव को लागू किया जाए।
  •  रेलवे की गतिविधियों का निजीकरण बंद करें। विकलांग व्यक्तियों, खिलाड़ियों और वंचित लोगों को वरिष्ठ नागरिक रियायत प्रदान करना। अन्य रियायतें बहाल की जाएं। 
  •  बीएसएनएल को पूरी तरह से समर्थन देना और इसे अत्याधुनिक संचार उद्योग बनाना। बीएसएनएल कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन संशोधन मुद्दों का निपटान करना।
  •  बिना गारंटी वाले एनपीएस को खत्म करें। केंद्र और राज्य सरकार दोनों कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल हो।
  •  शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल का निजीकरण रोका जाना चाहिए। सार्वजनिक शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने के लिए अधिक धन आवंटित किया जाए।   
  •  इस देश के युवाओं की सेना में 'अग्निवीर' के रूप में संविदा भर्ती को खत्म कर सशस्त्र सेनाओं में नियमित भर्ती शुरू की जाए।
  • आउटसोर्सिंग और संविदा नियुक्तियों को बंद करके केंद्र सरकार में खाली पड़े 11 लाख से अधिक पदों और सार्वजनिक क्षेत्र में खाली पड़े 5 लाख पदों को भरना। 
  • सरकारी, सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के उद्योगों में प्रशिक्षु प्रशिक्षण को मजबूत करना। उनके लिए उद्योगों में रोजगार के अवसर सुनिश्चित करना। -केंद्र सरकार के कर्मचारियों की संयुक्त सलाहकार मशीनरी को मजबूत करना। इसके प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित कर इसके दायरे को व्यापक बनाना। 
  • सरकारी पेंशनभोगियों पर सेवानिवृत्ति की तारीख से हर 5 साल में 5% पेंशन बढ़ाने की संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों को लागू करना। 
  •  सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के परिवर्तित हिस्से को 15 साल के बजाय 12 साल बाद बहाल करना। 
  •  देश में न्यूनतम मजदूरी 26,000/- प्रति माह तय करना।
  •  आशा, आंगनवाड़ी, मध्याह्न भोजन आदि सभी योजना कर्मियों को 'वर्कर' का दर्जा देना और उनकी सेवाओं को नियमित करना। 
  •  शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी के लिए न्यूनतम 200 दिनों के काम की गारंटी सुनिश्चित करना। उस योजना को बिना किसी भ्रष्टाचार के लागू करना। देश के विकासात्मक कार्यों के लिए योजना का उपयोग करना।
  •  ईपीएफ पेंशन संबंधी विसंगतियों एवं मुद्दों का निपटारा किया जाए। 
  •  सर्विस मैटर में अदालती फैसलों को बिना लंबे समय तक खींचे, उन्हें समान रूप से सभी कर्मचारियों के लिए लागू किया जाए।
  •  अमीरों और कॉरपोरेट्स पर कर लगाया जाना चाहिए। वेतनभोगी लोगों और पेंशनभोगियों को आयकर में राहत दी जानी चाहिए। 
  •  कोविड-19 महामारी के दौरान अन्य लोगों के साथ मारे गए कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति सीमा को 5 प्रतिशत से 100 प्रतिशत किया जाए। 

 केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का 18 महीने का डीए बकाया जारी करना। केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी का फायदा उठाकर इस भुगतान को रोक दिया था। ऐसे कई अन्य मुद्दे हैं जिन पर भारत को ध्यान देने की जरूरत है। इंडिया गठबंधन के नेता, अपना घोषणा पत्र तैयार करने से पहले केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों से मिलें। उनके साथ श्रमिक वर्ग से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करें।

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