Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

श्रीगंगानगर व अनूपगढ़ के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का 40% कोर्स ही पूरा हो पाया

 

श्रीगंगानगर व अनूपगढ़ के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों का 40% कोर्स ही पूरा हो पाया

 श्रीगंगानगर ।  सरकारी स्कूलों की बोर्ड कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपने कोर्स को लेकर चिंता सताने लगी है। 10वीं और 12वीं कक्षा की अर्द्धवार्षिक परीक्षा दिसंबर में और वार्षिक परीक्षा मार्च में होनी प्रस्तावित है। हैरानी की बात यह है कि श्रीगंगानगर व अनूपगढ़ जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में अभी तक 40 फीसदी कोर्स ही पूरा हो सका है। नियमानुसार अब तक 50 फीसदी कोर्स पूरा हो जाना चाहिए था। इससे 10वीं और 12वीं के बोर्ड स्टूडेंट्स का परिणाम प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। क्योंकि वे अधूरी तैयारी से परीक्षा देंगे। अब नवंबर का पूरा महीना चुनाव और त्योहारी अवकाश में निकल रहा है। दिसंबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा आ जाएगी और महीने का ज्यादातर हिस्सा परीक्षा और मूल्यांकन में चला जाएगा।  


एक्सपर्ट के मुताबिक अर्द्धवार्षिक परीक्षा के आधार पर बोर्ड स्टूडेंट्स की तैयारी और परफॉरमेंस का पता चलता है। इसके बाद कोर्स पूरा कराने के लिए सिर्फ जनवरी ही बचेगा और इसी एक माह में 50 फीसदी कोर्स पूरा कराना होगा। विभाग के अधिकारियों कहना है कि अतिरिक्त कक्षाएं लेकर पाठ्यक्रम पूरा कराया शनिवार और रविवार को भी मुख्य विषयों की पढ़ाई कराई जाएगी। नवंबर तक तिमाही परीक्षा के नतीजे आ जाते थे। इसके बाद कमजोर बच्चों के लिए रेमेडियल क्लासेज शुरू हो जाती थी। इस बार स्थिति अलग है। अतिरिक्त कक्षाएं लेकर पाठ्यक्रम पूरे कराए जाएंगे। शनिवार और रविवार को भी मुख्य विषयों की कक्षाएं लगाकर पाठ्यक्रम पूरे कराए जाएंगे। इसकी व्यवस्था भी की जा है। जानकारी के अनुसार श्रीगंगानगर व अनूपगढ़ जिले में 1939 सरकारी स्कूल संचालित हो रहे हैं। इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या लाखों में है।


जिले के कई स्कूलों के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया, अध्यापकों के पद भी रिक्त

बेहतर परिणाम नहीं आने पर शिक्षा विभाग शिक्षकों को नोटिस जारी करता है। सत्र 2022-23 में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर का परीक्षा परिणाम कम रहने पर कई शिक्षकों को नोटिस दिया था। ऐसे में जिले के कई सरकारी स्कूलों को अपना पाठ्यक्रम पूरा करवाने की चिंता सता रही है। सूत्रों के अनुसार जिले की काफी स्कूलों के शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाया गया है। इससे प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय में सबसे अधिक पढ़ाई प्रभावित हो रही है। माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय में भी शिक्षक चुनावी कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में शिक्षकों के पद भी रिक्त पड़े है।


शिक्षकों को प्रवेशोत्सव, ओलिंपिक व बीएलओ ड्यूटी में लगाया

प्रवेशोत्सव : 26 जून से शुरू हुआ बीएलओ नामांकन प्रवेशोत्सव 31 अगस्त तक चला। इस दौरान शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाने का अवसर ही नहीं मिला। क्योंकि निदेशालय ने निर्देश दिए थे कि पहला टास्क नामांकन बढ़ाना है। इसलिए शिक्षक इसी में जुटे रहें। ऐसे में करीब दो महीने तक पढ़ाई प्रभावित रही।


युवा महोत्सव : राज्य सरकार का यह अभियान 22 जुलाई से शुरू होकर अगस्त तक चला। इस दौरान जिला व ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रमों के अलावा स्कूलों में विभिन्न आयोजन हुए। इसलिए शिक्षकों को यह जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी। इसमें शिक्षकों को ही युवा महोत्सव सफल बनाने की जिम्मेदारी दी। ऐसे में करीब दो महीने तक शिक्षक व्यस्त रहे।


बीएलओ : नामांकन अभियान पूरा होते ही  बीएलओ के तौर पर ड्यूटी लगा दी गई। इसमें टीचर्स को मतदान सूची में नाम जोड़ने, युवा वोटर्स को कनेक्ट करने के साथ शतायु, दिव्यांग मतदाताओं के नाम जोड़ने का काम मिला था। इसके अलावा अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में वोटर आईडी वितरित करने का काम भी सौंपा था


चुनाव ड्यूटी : विधानसभा चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी करीब एक महीने पहले से लगी हुई है। इसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी होगी। दशहरा की छुट्टी भी रही। इसके बाद अब दीपावली और चुनाव हैं। ऐसे में स्कूलों में छुट्टी रहेगी और लगभग सभी शिक्षक चुनावी ड्यूटी में रहेंगे। स्कूल भवनों में मतदान केंद्र बनेंगे। अब सवाल ये है कि बचा हुआ कोर्स कैसे पूरा हो सकेगा।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें