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शनिवार, 4 नवंबर 2023

ओपीएस के इंतजार में 8 हजार रिटायर, शेष 19 हजार को आधी पेंशन भी नहीं मिलेगी

 

ओपीएस के इंतजार में 8 हजार रिटायर, शेष 19 हजार को आधी पेंशन भी नहीं मिलेगी

जोधपुर । राज्य सरकार ने भले ही डेढ़ साल पूर्व प्रदेश में 2004 के बाद के सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी हो, लेकिन इस सुविधा का पूरा फायदा राज्य के करीब 19 हजार प्रबोधक व वरिष्ठ प्रबोधकों को सेवा गणना में गड़बड़ी के चलते नहीं मिल पाएगा। प्रदेश के दूरदराज के गांव-ढाणियों में बच्चों कोशिक्षित करने के उद्देश्य से 39 साल पहले में राजीव गांधी पाठशालाएं खोली गई। इनमें महज 1200 रुपए लोक जुंबिश व शिक्षाकर्मियों को लगाया गया। 


इसके बाद 24 साल पहले करीब 4600 रुपए मानदेय पर पैराटीचर्स लगाए गए। ये पैराटीचर्स, मदरसा पैराटीचर्स, लोकजुंबिश व शिक्षाकर्मी न्यूनतम मानदेय में शिक्षा की अलख जगाते रहे। इनकी बदौलत शिक्षा के क्षेत्र में राजस्थान को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान भी मिला। इधर, राज्य सरकार ने राजस्थान पंचायतीराज प्रबोधक सेवा नियम- 2008 के तहत इनको नियमित करने के लिए न्यूनतम पांच साल का अनुभव और इसके बाद दो साल का परिवीक्षाकाल समाप्ति के बाद स्थाई करने का नियम लागू किया। यानी इनको वर्ष 2011 से स्थाई सेवाकाल में मानते हुए वेतन वृद्धि के आदेश किए गए।  गंभीर बात यह है कि वर्ष 1984 से 2010 के बीच करीब पांच हजार लोक जुविश, पैराटीचर्स व शिक्षाकर्मी रिटायर हो गए। 


इनको सिर्फ वेतन वृद्धि का लाभ मिला, ओपीएस का परिलाभ नहीं मिला। वहीं जो पैराटीचर्स वर्ष 1999 में सेवा में आए, उनको वर्ष 2011 में 11 साल मानदेय पर काम करने के बाद स्थाई माना गया और वर्ष 2010 से 2023 के मध्य तीन हजार पैराटीचर व शिक्षाकर्मी सेवानिवृत्त हो गए। अब शेष 19 हजार पैराटीचर्स में से 90 प्रतिशत आगामी छह-सात साल में रिटायर होने हैं। ऐसे में स्थाई सेवाकाल के तहत 13 से 15 साल की सेवा गणना मानते हुए इनकी पेंशन भी 11 से 15 हजार के बीच ही बन पाएगी। एडीईओ प्रारंभिक ओमप्रकाश गहलोत का कहना है कि यह मामला उच्च स्तरीय है। इसमें वित्त व कार्मिक विभाग ही कुछ कर सकता है।


फुल पेंशन के लिए 25 साल सेवा जरूरी

राजस्थान कर्मचारी महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष केसरसिंह चंपावत के अनुसार फुल ओपीएस का लाभ तब मिलेगा, जब सेवा गणना 25 साल की हो। यहां 5 साल अनुभव व 3 साल कार्य आधार पर वेतन वृद्धि प्रबोधकों की सेवा में जोड़ी गई। विभागीय त्रुटि के कारण 2008 में नियुक्त प्रबोधक को पुरानी सेवा का लाभ नहीं मिला। इससे 1984 से काम कर रहे कार्मिकों की सेवा गणना 2008 से होने से 25 वर्ष किसी भी प्रबोधक की नहीं हो पाई।


 तीन माह पहले मुख्यमंत्री ने की थी बैठक

राजस्थान प्रबोधक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष रामजीवन चौधरी के अनुसार मुख्यमंत्री ने तीन माह पहले अपने आवास पर प्रबोधकों के साथ बैठक कर भरोसा दिया था कि प्रबोधकों को गरिमामय जीवनयापन के लिए सेवानिवृत्ति के बाद पुरानी सेवा गणना का लाभ सरकार देगी, लेकिन अब मामला आचार संहिता में अटक गया और कर्मचारी लगातार रिटायर हो रहे हैं।


20 साल की सेवा पर भी 12 हजार पेंशन

प्रबोधक संघ प्रदेशाध्यक्ष हरलाल डूकिया के अनुसार प्रदेश में कुल 27 हजार पैराटीचर्स, लोक जुबिश व शिक्षाकर्मियों और मदरसा पैराटीचर्स थे। इनमें से अधिकतर को 12 से 26 साल की सेवा के बाद स्थाई किया। इसमें अस्थाई सेवा 10 से 20 और स्थाई सेवा 13 से 14 वर्ष है। उनको 70 हजार वेतन मिलने के बाद भी सेवानिवृत्ति पर पेंशन महज 11 से 12 हजार मिल रही है, इनकी सेवा गणना नियुक्ति तिथि से मानते तो कहीं अधिक पेंशन के हकदार होते।


ग्रेच्युटी का भी होगा नुकसान

शिक्षक नेता शंभूसिंह मेड़तिया के अनुसार पुरानी पेंशन नहीं मिलने से प्रबोधक को 8 से 10 लाख की ग्रेच्युटी का नुकसान होगा। इनकी नियुक्ति प्रबोधक पद पर 40 से 45 वर्ष की उम्र पूरी होने के बाद साल 2008 में हुई। इससे पुरानी पेंशन का लाभ पूरा नहीं मिल पाएगा

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