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शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

मिशन स्टार्ट योजना: स्कूलों में डिजीटल उपकरण नहीं, कैसे मिले लाभ

 मिशन स्टार्ट योजना: स्कूलों में डिजीटल उपकरण नहीं, कैसे मिले लाभ

सीकर. शिक्षा विभाग में नई नई फ्लैगशिप योजनाएं लागू कर नवाचार तो किए जा रहे हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ शत-प्रतिशत विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा है। प्रदेश के 3 हजार 802 उच्च माध्यमिक स्कूलों में मिशन स्टार्ट योजना का लाभ विद्यार्थियों को नहीं मिल पाएगा। क्योंकि इन स्कूलों में डिजीटल उपकरण ही उपलब्ध नहीं है।


सीकर जिले में महात्मा गांधी सहित कुल 799 उच्च माध्यमिक स्कूल हैं, जिनमें से करीब 200 स्कूलों में आइसीटी लैब्स नहीं हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी और जिला स्तरीय सीडीईओ, डीईओ, सीबीईओ और संस्था प्रधान भामाशाहों से भी डिजीटल उपकरण उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। इसका सीधा नुकसान 9वीं से 12वीं तक की कक्षा के स्टूडेंट्स को हो रहा है। विशेषकर बोर्ड के स्टूडेंट्स को इस तकनीक से काफी फायदा मिलता।


होता है शिक्षण प्रभावी

हाल ही शुरू की गई नई फ्लैगशिप योजना मिशन स्टार्ट में ब्लेंडेड लर्निंग के प्रयोग से शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल लेसन गाइडेंस मॉड्यूल के अनुसार डिजिटल कंटेंट से अध्ययन कराने की पहल की गई है। नि:संदेह यह योजना विद्यार्थियों के लिए अच्छी और फलदायी साबित हो सकती है। जिन स्कूलों में विषयाध्यापकों के पद रिक्त या जिनमें विषयाध्यापक अनुपस्थित होते हैं, या फिर जिन स्कूलों में विषयाध्यापक है भी, उनमें कठिन विषय की विषयवस्तु को समझाने के लिए स्कूलों में डिजीटल सामग्री से शिक्षण को आसान बनाने की योजना है। बावजूद इसके राज्य के सभी सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूलों में डिजीटल उपकरण ही उपलब्ध नहीं हैं।


15 हजार 268 स्कूलों में ही शुरू हो पाई

प्रदेश के 3802 उच्च माध्यमिक स्कूलों में मिशन स्टार्ट का लाभ विद्यार्थियों को नहीं मिल पाएगा, क्योंकि इन स्कूलों में डिजिटल उपकरण ही उपलब्ध नहीं हैं। राज्य में कुल 19 हजार 701 उच्च माध्यमिक स्कूल हैं, जिनमें से 3 हजार 802 स्कूलों में डिजिटल उपकरण नहीं हैं। प्रदेश के 15 हजार 899 स्कूलों में से 15 हजार 268 स्कूलों ने इस योजना के तहत शिक्षण का टाइम टेबल बनाकर शाला दर्पण पोर्टल पर अपलोड कर दिया है। इन स्कूलों में डिजीटल उपकरण लगे हुए हैं और आइसीटी लैब के तहत ये प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।


स्टाफ की कमी वाले स्कूलों में ज्यादा कारगर

जिन स्कूलों में स्टाफ की कमी है वहां पर इस मिशन स्टार्ट में ब्लेंडेड लर्निंग के प्रयोग से बच्चों को पढ़ाकर कोर्स पूरा करवाया जा रहा है। वहीं साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स स्ट्रीम के जो टॉपिक काफी टफ हैं, उन्हें समझाने के लिए और बच्चों को जल्द याद करवाने के लिए भी इस लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है। बच्चे प्रयोगों के माध्यम से इन कठिन टॉपिक्स को आसानी से समझ पा रहे हैं। कमजोर बच्चों और बोर्ड परीक्षा के होशियार छात्रों के अंकों में बढ़ोतरी होगी।


सीकर जिले में जिन उच्च माध्यमिक स्कूलों में आइसीटी लैब लैब्स नहीं हैं, वहां संस्था प्रधान ग्रामीणों व भामाशाहों के सहयोग से आइसीटी लैब लैब्स लगवाने का बंदोबस्त कर रहे हैं। सीकर जिले में भामाशाहों की ओर से 25 प्रतिशत राशि देने पर सरकार की ओर से 75 प्रतिशत राशि देकर कंप्यूटर लैब्स तैयार की जाती है।-शीशराम कुल्हरी, डीईओ, माध्यमिक शिक्षा, सीकर


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