Breaking

Primary Ka Master Latest Updates | Education News | Employment News latter 👇

गुरुवार, 16 नवंबर 2023

अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर, सरकारी विद्यालयों में कोर्स पूरा नहीं, अब स्मार्ट क्लासेज के भरोसे विभाग

 

अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर, सरकारी विद्यालयों में कोर्स पूरा नहीं, अब स्मार्ट क्लासेज के भरोसे विभाग

हनुमानगढ़। चुनाव और दीपावली के त्यौहार ने सरकारी सहित निजी स्कूलों की शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डाला है। बता दें कि कक्षा 10वीं और 12वीं की अर्द्धवार्षिक परीक्षा दिसंबर में और वार्षिक परीक्षा मार्च में प्रस्तावित है। विडंबना यह है कि कि ज्यादातर सरकारी स्कूलों में अभी तक कोर्स ही पूरा नहीं हो सका है। नियमानुसार अब तक 50 प्रतिशत से अधिक कोर्स पूरा हो जाना चाहिए था। इससे 10वीं और 12वीं के  बोर्ड स्टूडेंट्स का परिणाम प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। क्योंकि वे अधूरी तैयारी से परीक्षा देंगे।


बता दें कि नवंबर का पूरा महीना चुनाव और त्योहारी अवकाश में निकल जाएगा। वहीं दिसंबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षा आ जाएगी और महीने का ज्यादातर हिस्सा परीक्षा और मूल्यांकन में चला जाएगा। एक्सपर्ट के मुताबिक अर्द्धवार्षिक परीक्षा के आधार पर बोर्ड स्टूडेंट्स की तैयारी और परफॉरमेंस का पता चलता है। इसके बाद कोर्स पूरा कराने के लिए सिर्फ जनवरी ही बचेगा और इसी एक माह में 50 फीसदी कोर्स पूरा कराना होगा।  


विभागीय अधिकारियों की मानें तो अतिरिक्त कक्षाएं लेकर पाठ्यक्रम पूरा कराया जा रहा है। बच्चों को ऑफलाइन के साथ साथ ऑनलाइन पढ़ाई करवाकर सिलेबस पूरा करवाया जा रहा है। खास बात यह है कि नवंबर तक तिमाही परीक्षा के नतीजे आ जाते थे। इसके बाद कमजोर बच्चों के लिए रेमेडियल क्लासेज शुरू हो जाती थी। लेकिन, इस बार स्थिति अलग है।


जानिए, कोर्स अधूरे रहने के 4 मुख्य कारण

1 - नामांकन बढ़ाने पर जोर: 26 जून से प्रवेशोत्सव कार्यक्रम शुरू किया गया था जो 31 अगस्त तक चला। इस दौरान शिक्षकों को स्कूलों में पढ़ाने का अवसर ही नहीं मिला। क्योंकि निदेशालय ने निर्देश दिए थे कि पहला टास्क नामांकन बढ़ाना है। इसलिए शिक्षक इसी में जुटे रहे। ऐसे में करीब दो महीने तक पढ़ाई प्रभावित रही।


2- युवा महोत्सव में व्यस्त रहे शिक्षक: राज्य सरकार का यह अभियान 22 जुलाई से शुरू होकर अगस्त तक चला। इस दौरान जिला व ब्लॉक स्तरीय कार्यक्रमों के अलावा स्कूलों में विभिन्न आयोजन हुए। इसलिए शिक्षकों को यह जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी। इसमें शिक्षकों को ही युवा महोत्सव सफल बनाने की जिम्मेदारी दी। ऐसे में करीब दो महीने तक शिक्षक व्यस्त रहे।


3- शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी दी नामांकन अभियान पूरा होते ही बीएलओ के तौर पर ड्यूटी लगा दी गईं। इसमें टीचर्स को मतदान सूची में नाम जोड़ने, युवा वोटर्स को कनेक्ट करने के साथ शतायु, दिव्यांग मतदाताओं के नाम जोड़ने का काम मिला था। इसके अलावा अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में वोटर आईडी वितरित करने का काम भी सौंपा था।


4- सभी शिक्षक चुनावी ड्यूटी में जुटे विधानसभा चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी करीब एक महीने पहले से लगी हुई है। इसके बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी होगी। दशहरा की छुट्टी भी रही। इसके बाद अब दीपावली और चुनाव हैं। ऐसे में स्कूलों में छुट्टी रहेगी और लगभग सभी शिक्षक चुनावी ड्यूटी में रहेंगे। स्कूल भवनों में मतदान केंद्र बनेंगे। अब सवाल ये है कि बचा हुआ कोर्स कैसे पूरा हो सकेगा।


एक मजबूत तंत्र विकसित होगा

18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के तुरंत बाद प्रत्येक छात्र को मतदाता पहचान पत्र सौंपने के ईसीआई के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना चाहता है। योग्य और भावी छात्रों के ऑनलाइन पंजीकरण के लिए एक संस्था गत ढांचा तैयार किया जाएगा। छात्रों के बीच मतदाता जागरूकता को बढ़ावा देने विभिन्न गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है, यह सुनिश्चित करता है कि वे देश की चुनावी प्रणाली से वाकिफ है। उन्हें मतदाता के रूप में पंजीकृत होने और हर चुनाव में अच्छी तरह सूचित और नैतिक दृष्टिकोण के साथ उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।


एक्स्ट्रा क्लासेज लगा कोर्स पूरा करवा रहे : डीईओ

अधिकतर स्कूलों में कोर्स पूरा करवाने के लिए हमने ऑनलाइन सिस्टम के जरिए क्लासेज लगवाई थी। वर्तमान में भी कोर्स पूरा करवाया जा रहा है। इसके साथ साथ हम एक्स्ट्रा क्लासेज लगवाकर पाठ्यक्रम पूरा करवा रहे हैं। जिन स्कूलों में आईसीटी लैब हैं वहां भी शिक्षण सामग्री पहुंचाई गई है ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। हंसराज जाजेवाल, डीईओ, हनुमानगढ़।



इधर... कक्षा 6 से 12 तक बच्चों को पढ़ाएंगे मतदाता शिक्षा

मतदान बढ़ाने से लेकर आमजन को जागरूक करने के प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में निर्वाचन विभाग व शिक्षा विभाग के बीच एमओयू हुआ है। इसके तहत कक्षा 6 से 12 तक पाठयक्रम में मतदाता शिक्षा व चुनावी साक्षरता को शामिल किया जाएगा। साथ ही कॉलेजों में एकीकरण सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए पाठ्यचर्या ढांचे में बदलाव होगा। इसे विभिन्न विषयों के अनुरूप तैयार किया जाएगा एनसीईआरटी चुनावी साक्षरता पर सामग्री शामिल करने के लिए पाठ्यपुस्तकों को पेश और अद्यतन करेगा। 


राज्य शिक्षा बोडों और अन्य बोर्डों को भी इसके पालन की सलाह देगा । कक्षाओं में चुनावी साक्षरता को प्रभावी ढंग से प्रदान करने के लिए शिक्षकों के अभिविन्यास और प्रशिक्षण पर जोर दिया है। स्कूलों और कॉलेजों में चुनावी साक्षरता क्लब (ईएलसी) स्थापित करने के लिए राज्य शिक्षा विभागों के भीतर जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना। शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से युवाओं में चुनावी साक्षरता पैदा करने की दीर्घकालिक दृष्टि से समझौता किया है। इस पहल से शहरी और युवाओं की उदासीनता दूर करने के चुनाव आयोग के प्रयास में मदद मिलने की उम्मीद है, इससे अगले आम चुनावों में बेहतर चुनावी भागीदारी हो सकेगी। विधानसभा चुनावों में भी इसका असर देखने को मिलेगा।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें