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सोमवार, 20 नवंबर 2023

यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की ड्यूटी पद के अनुरूप नहीं, सीईओ के निर्देश के बाद भी नहीं बदली

 

यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की ड्यूटी पद के अनुरूप नहीं, सीईओ के निर्देश के बाद भी नहीं बदली

60 से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी पीआरओ में

जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी में शिक्षकों की चुनाव ड्यूटी का विवाद थमने का नाम नहीं लेे रहा है। अब शिक्षकों ने नियमों का हवाला देकर चुनाव में पद के अनुरूप ड्यूटी नहीं लगाने का विरोध शुरू किया है। इतना ही नहीं, शिक्षकोें ने चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भी शिकायत की है। इस पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर शिक्षकों की ड्यूटी पद के अनुरूप लगाने के निर्देश दिए हैं। हैरानी की बात है कि इसके बाद भी जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से अभी तक शिक्षकों की ड्यूटी में संशोधन नहीं किया गया है। यूनिवर्सिटी के 60 से अधिक शिक्षकों की ड्यूटी पीआरओ में लगाई है।


मुख्य निर्वाचन अधिकारी की ओर से भेजे पत्र में बताया कि राजस्थान के महाविद्यालय सेवा वर्ग के सहायक आचार्य, सह आचार्य और प्राचार्य की चुनाव ड्यूटी उनके पद और वेतनमान के अनुरूप नहीं लगाई गई है। इन शिक्षकों को पीआरओ लगाए जाने के आदेश दिए गए हैं। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में इन शिक्षकों को सेक्टर अधिकारी और जोनल मजिस्ट्रेट नियुक्त किया जाता रहा है। ऐसे में शिक्षकों को पीआरओ नियुक्त किया जाना पद के अनुरूप नहीं है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग की ओर से जारी पत्र का भी हवाला दिया है। उन्होंने पत्र की सख्ती से पालना के निर्देश दिए थे।


उच्च शिक्षा विभाग और कुलपति की आपत्ति भी दरकिनार

यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की ड्यूटी लगाने पर उच्च शिक्षा विभाग ने भी यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट मांगी है। इतना ही नहीं, कुुलपति ने भी दो बार जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर शिक्षकों की ड्यूटी पद के अनुरूप लगाने को कहा।जिला निर्वाचन कार्यालय को पत्र लिखकर शिक्षकों की ड्यूटी पद के अनुरूप ही लगाने के लिए कहा है। लेकिन संशोधन नहीं करने पर फिर से पत्र लिखा है।-अल्पना कटेजा, कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय


मृत और छोड़कर जाने वाले शिक्षकों की भी लगी ड्यूटी

राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय कुमार का कहना है कि यूनिवर्सिटी के जिन शिक्षकों का निधन हो गया, उनकी भी ड्यूटी जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से लगा दी गई। इसके अलावा जो शिक्षक यूनिवर्सिटी छोड़कर दूसरे विश्वविद्यालयों में चले गए, उनके नाम भी ड्यूटी में शामिल हैं। बाद में विरोध के बाद ड्यूटी हटाई गई।


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