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शनिवार, 4 नवंबर 2023

गहरी चाल पुरानी पेंशन मुद्दे को खत्म करने की साजिश



 गहरी चाल पुरानी पेंशन मुद्दे को खत्म करने की साजिश

देशभर के कर्मचारियों में पुरानी पेंशन को लेकर जबरदस्त आक्रोश है। दिल्ली में विरोधी रैलियों ने सरकार को नोंद उड़ा दी है। वहीं यह मुद्दा पार्टियों को तार-जीत मी तगः कर रहा है। कई राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग मान चुके हैं। अब मध्यप्रदेश, राजस्थान समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी पुरानी पेंशन मुद्दा बन चुका है। मैंने अपने पूर्व के कई लेखों में स्पष्ट भी कर दिया था कि वह कुछ चुनावी बनेगा। देशभर के करो हो कर्मचारियों के साथ यूपी के कर्मचारियों के विरोध को लेकर योगी सरकार चिंतित नजर आने लगी है। सरकार लोकसभा चुनावों में कोई जोखिम लेना नहीं चाहती गणेश कुमार ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर पांच बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है।  


जिससे पुरानी पेंशन बहाली की उम्मीद जगाई गयी है। लेकिन इसमें विशिष्ट बीटीसी 2004 में नियुक्त अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया गया है। वैसे 2005 तक नियुक्ति वालों को पुरानी पेंशन देने का ढोल पीटा जा रहा है। ऐसा करके नौकरशाही विभागवार आकड़ों मुद्दे को उलझा रही है इस संदर्भ में विशिष्ट बोटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी एवं प्रदेश महामंत्री सुभाष कनोजिया ने शिक्षा निदेशक को एक पत्र गत 1 नवंबर को लिखा है। जिसमें कहा गया है कि वर्ष हैं। इसलिए सरकार चाहती है कि सांप 2004 में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक भी मर जागे और लाठी भी न टूटे। उसी विद्यालयों में 46189 सहायक शिक्षकों दिशा में संयुक्त निदेशक बेसिक शिक्षा के पदों को भरने हेतु 4 जनवरी 2004 संशोधित 20 फरवरी 2004 को जारी शासनादेश के क्रम में 22 फरवरी 2004 को अंतिम विज्ञापन प्रकाशित कराया था।  शासन आदेश के अनुसार प्रशिक्षण प्रारंभ से सहायक अध्यापक पद पर स्थापना तिथि तक रुपए 2500 प्रति माह मानदेय देय था।


 उक्त शासनादेश विज्ञापन के माध्यम से चयनित अभ्यर्थियों का निर्धारण 6 माह का प्रशिक्षण भी अगस्त 2004 में ही प्रारंभ हो गया था। विभागीय देरी के कारण तैनाती दिसंबर 2005/ जनवरी 2006 में मिली। वर्ष 2004 के बाद नियुक्ति का कोई नया विज्ञापन प्रकाशित नहीं किया गया। 22 जनवरी 2004 को प्रकाशित विज्ञापन के आधार पर लगभग 40 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती हुई थी। विद्यालयों में तैनाती 2004 में हो जाता है। उनका कहना है कि इन जारी मेरिट सूची के आधार पर ही दी गई। शिक्षकों के साथ दोहरा मापदंड क्यों 31 अक्टूबर 2005 को जारी पत्र के माध्यम से प्रस्तर-11 द्वारा स्वीकार भी किया गया कि विज्ञापन प्रक्रिया 2004 में हो चुकी है।  


1 अप्रैल 2005 से बाजार आधारित नई अंशदान पेंशन योजना प्रभावी की गई। सर्वोच्च न्यायालय में संगठन द्वारा वोजित एसएलपी 295 80/- 2018 में माननीय न्यायालय द्वारा दिये गए निर्णय में भी उल्लिखित है कि यदि याची सरकार को पुनः प्रत्यावेदन देते हैं और याचियों के प्रत्यावेदन पर सरकार कोई निर्णय लेती है तो सर्वोच्च न्यायालय निर्णय बाधा नहीं बनेगा। उक्त निर्णय के बाद उत्तर प्रदेश सरकार को संगठन द्वारा दिया गया प्रतिवेदन विचाराधीन है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि विशिष्ट बीटीसी 2004 चयन प्रक्रिया द्वारा नियुक्त शिक्षक व शिक्षिकाओं को भी उपरोक्त प्रक्रिया में सम्मिलित कर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए। 


उधर इसी तरह का एक पत्र उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने भी जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि विशिष्ट बीटीसी 2004 में नियुक्त अभ्यर्थियों को सम्मिलित ना किया जाना न्याय पूर्वक नहीं है। इसमें यह भी कहा गया है कि जब चयनित अभ्यर्थियों को 2500 मानदेय भी दे दिया गया तो उनकी नियुक्ति पूर्व में ही हो चुकी है, यह स्पष्ट अपनाया जा रहा है ? जिस तरह से विज्ञापन को बीच में लाकर प्रदेश के 40 हजार सहायक अध्यापकों को किनारे किया जा रहा है, उन्हें पुरानी पेंशन योजना से दूर किया जा रहा है। उससे इस मामले में सोची समझी करता है। साजिश नजर आती है। क्योंकि इन 40 हजार शिक्षकों को इससे अलग करके केवल 8 सो कर्मचारियों को ही लाभ मिलेगा । उस स्थिति में सरकार उंगली कटाकर शहीद बन जाएगी।


 अर्थात हल्दी लगेगी न फिटकरी और रंग भी अच्छा आएगा। सरकार सीना ठोककर कहेगी कि वह पात्रों को पुरानी पेंशन दे रही है। जब सरकार खुद विज्ञापन में कह चुकी है कि ट्रेनिंग में निकाला गया विज्ञापन ही मान्य है, अलग से विज्ञापन निकालने की आवश्यकता नहीं है। फिर दोहरा मापदंड अपनाना गहरी साजिश की ओर ही संकेत मन की आवाज से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 2013 में पुरानी पेंशन का समर्थन कर चुके हैं लेकिन अपने नंबर बढ़ाने के किए नोकरशाही 40 हजार सहायक अध्यापको के साथ अन्याय करने पर तुली है। साथ ही भाजपा सरकार का नुकसान भी कर रही है। कहा जाता है कि नादान वेस्त से दाना दुश्मन अच्छा है।



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