जोधपुर हाईकोर्ट का फैसला: बीकानेर शिक्षा विभाग के निदेशक को न्यायाधीश ने दिए आदेश, ऑप्शन लेकर एक माह में करें महिला शिक्षिका की परेशानी का निस्तारण
नागौर/श्रीगंगानगर. नया जिला बनने के बाद एक शिक्षिका की याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट, जोधपुर ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इसमें शिक्षा विभाग, बीकानेर के निदेशक को एक माह के भीतर याचिकाकर्ता किस जिले में पदस्थापना चाहती है, उसका विकल्प लेकर तुरंत निस्तारण करने के आदेश दिए। यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि राज्य में जिले बढऩे के बाद शिक्षा, मेडिकल सहित कई विभागों के कर्मचारियों की मुश्किल कम होगी।
एडवोकेट रामदेव पोटलिया ने बताया कि याचिकाकर्ता महिला शिक्षिका श्रीगंगानगर जिले की मूल निवासी है, जो वर्ष 2018 में अनूपगढ़ तहसील के एक विद्यालय में नियुक्त हुई थी। अब अनूपगढ़ नया जिला बन गया, विद्यालय तो अनूपगढ़ में आ गया जबकि उसका निवास श्रीगंगानगर में। उसकी नियुक्ति गृह जिले श्रीगंगानगर से दूसरे जिले अनूपगढ में हो गई, निवास स्थान से स्कूल की दूरी करीब सौ किलोमीटर। यही नहीं उसकी भर्ती व पद जिलेवार होने से अन्तर जिला स्थानांतरण की समस्याओं सामना करना पडेगा जो अपने आप में बड़ी समस्या है । शिक्षा सेवा नियमों के अनुसार शिक्षक की एक जिले से दूसरे जिले में अंतर जिला स्थानांतरण होने पर वरिष्ठता समाप्त हो जाती है, पदोन्नति में भी नुकसान होता है। इसी याचिका पर गुरुवार को न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने बीकानेर शिक्षा निदेशक को एक माह में प्रकरण का निस्तारण करने के आदेश दिए। आदेश में कहा कि महिला शिक्षिका से ऑप्शन लिया जाए कि वो गंगानगर में पदस्थापित होना चाहती हैं या अनूपगढ़ में।
यह मुश्किल हजारों कर्मचारियों की
एडवोकेट पोटलिया का तर्क था कि सम्बन्धित जिला कलक्टर नव गठित जिलों में कार्य संचालन के लिए विद्यमान जिलों में उपलब्ध कार्मिकों से ऑप्शन लेकर उन्हें विद्यमान या नवगठित जिले में नियुक्ति दे। ऐसे में जिला कलक्टर व शिक्षा विभाग की ओर से कुछ कार्मिकों को तो ऑप्शन लेकर इच्छित जिले में समायोजन किया गया। पर उन जिलों में अन्य कार्मिकों, शिक्षकों इत्यादि से ना तो ऑप्शन लिए गए ना ही शिक्षकों को विद्यमान व नवगठित जिलों में इच्छित अनुसार समायोजन किया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में नई भर्तियों में तो ऑप्शन के अनुसार भर्ती की गई पर शिक्षा समेत अन्य विभाग के अधीन कार्यरत शिक्षकों के ऑप्शन मांगे ना ही समायोजन किया गया। नवगठित जिलों के बहुत से शिक्षकों से ऑप्शन लेकर पदस्थापन नहीं करने पर शिक्षक संगठनों ने भी प्रतिवेदन दिए हुए हैं। एडवोकेट पोटलिया ने कहा कि ऐसे हजारों कर्मचारी इस समस्या से पीड़ित हैं। इस पर न्यायाधीश ने यह फैसला दिया।
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