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शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

यूनिफॉर्म न किताबों का बोझ... खेल-खेल में शिक्षा

 यूनिफॉर्म न किताबों का बोझ... खेल-खेल में शिक्षा

जयपुर. गुरप्रीत कौर ने अपनी बेटी को उद्देश्यपूर्ण और सार्थक शिक्षा के लिए सैकड़ों स्कूल का अवलोकन किया। लेकिन जो शिक्षा वह अपनी बेटी को दिलाना चाहती थी, वह शहर के किसी भी स्कूल में नहीं मिली। जब वह दिल्ली में लेंडमार्क स्किल ट्रेनिंग कर रही थी तो उन्हें वाल्डोर्फ स्कूल के बारे में पता चला। उन्होंने वहां स्कूल की जानकारी ली और रिसर्च की। उन्होंने इंटरनेशनल वाल्डोर्फ कमेटी से जुड़कर 2014 में 2 बच्चों के साथ जयपुर में उदय वाल्डोर्फ इंस्पायर्ड स्कूल की स्थापना की, जिसमें बच्चों को ऑर्गेनिक शिक्षा दी जाती है। यह आधुनिक युग में गुरुकुल की तरह काम करता है। यहां बच्चों को डांट और सजा से नहीं बल्कि प्यार से पढ़ाया जाता है। स्कूली शिक्षा के दौरान सकारात्मक अनुभव दिए जाते हैं, जो जीवन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।


टीचर्स खुद बनाते है पाठ्यक्रम


स्कूल में बच्चों को किताबों व बैग के बोझ से दूर रखा जाता है। ग्रेड के अनुसार बच्चा किस उम्र में क्या चीज सुनने और समझने में रुचि रखता है, इसके अनुसार टीचर्स पाठ्यक्रम बनाते हैं। लॉजिक से नहीं स्टोरी से पढ़ाते हैं। बच्चों को एक जगह बैठाकर नहीं बल्कि एनवॉयरमेंटल, प्रैक्टिकल और डायलॉग से सिखाया जाता है। यहां न तो एग्जाम होता है और न ही बच्चों को होमवर्क दिया जाता है। यहां तक कि उनका कोई ड्रेस कोड भी नहीं होता है।



यह है प्रोसेस

0 से 7 वर्ष की आयु के बच्चों पर हाथों से मेहनत करने पर बल दिया जाता है। 7 से 14 वर्ष के बच्चों को भावनात्मक शिक्षा कहानी के माध्यम से दी जाती है। 14 से 20 वर्ष के बच्चों में थिंकिंग वैल, जिसमें बच्चों से लॉजिकल डिस्कशन करते हैं।


माता-पिता को भी जोड़ते हैं


अभिभावक अपने घर में गैजेट्स नहीं रखते। बच्चों को सप्ताह में एक दिन, वो भी आधे घंटे के लिए टीवी दिखाते हैं। बच्चे स्क्रीन मुक्त वातावरण में रहते हैं। इसमें माता-पिता का महत्वपूर्ण योगदान है। बच्चों को भरपूर खेलने देते हैं और संवाद करते है। इससे कम्यूनिटी और डाउन टू अर्थ की समझ विकसित होती है।


जर्मनी से मिली सीख


वाल्डोर्फ एजुकेशन जर्मनी की शिक्षा पद्धति है, जो सौ वर्ष पुरानी है। यह पद्धति ऑस्ट्रियाई दार्शनिक और शिक्षाविद् रुडोल्फ स्टीनर के शैक्षिक दर्शन पर आधारित है। जिन्होंने 1919 में जर्मनी में पहला वाल्डोर्फ स्कूल खोला था। यहां बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जाती है, जिससे बच्चे का बौद्धिक, रचनात्मक, आध्यात्मिक, भावनात्मक, शारीरिक, काल्पनिक और व्यक्तित्व निर्माण किया जा सकें। आज पूरे विश्व में इसके लगभग ढाई हजार स्कूल हैं।


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